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एनडीए के सीट बंटवारे में चिराग की बल्ले-बल्ले, चाचा पशुपति पारस रह गए अकेले

बिहार में इस हफ्ते कई सियासी घटनाक्रम देखने को मिले. जहां एक तरफ एनडीए ने लोकसभा के लिए सीटों के बंटवारे का ऐलान किया तो वहीं पशुपति पारस ने एक भी सीट नहीं मिलने की वजह से मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.

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इस हफ्ते बिहार में कई सियासी घटनाक्रम देखने को मिले
इस हफ्ते बिहार में कई सियासी घटनाक्रम देखने को मिले

बिहार की राजनीति में पिछले एक सप्ताह के घटनाक्रम पर नजर डालें तो सबसे बड़ी खबर रही लोग जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान को आधिकारिक तौर पर एनडीए गठबंधन में 5 सीट लोकसभा चुनाव के लिए देना. दूसरी तरफ उनके चाचा पशुपति पारस को एनडीए में एक भी सीट नहीं मिली जिसके बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं.

चिराग की हो गई बल्ले बल्ले !

2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार एनडीए से जुड़ी हुई सबसे बड़ी खबर यह रही कि आखिरकार चिराग पासवान को आधिकारिक रूप से गठबंधन में पांच लोकसभा सीट लड़ने के लिए दे दिया गया है जिसमें हाजीपुर सीट भी शामिल है जो की चिराग पासवान के पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि भी रही है.

पिछले कुछ समय से चिराग पासवान लगातार गठबंधन में यह मांग कर रहे थे कि वह आगामी लोकसभा चुनाव हाजीपुर से लड़ना चाहते हैं और आखिरकार उन्हें वह सीट मिल भी गई है.

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यह भी पढ़ें: बिहार: महागठबंधन में किस पार्टी को कितनी लोकसभा सीटें? लालू यादव ही लेंगे आखिरी फैसला

हाजीपुर के साथ-साथ चिराग पासवान को खगड़िया, वैशाली, जमुई और समस्तीपुर सीट दी गई है. इसके बाद चिराग पासवान ने ऐलान कर दिया है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव हाजीपुर से लड़ेंगे.

चिराग और पशुपति की लड़ाई !

दरअसल, पिछले 3 साल से चिराग की उनके चाचा पशुपति पारस के साथ पारिवारिक झगड़ा चल रहा था. जब से चाचा पारस ने लोग जनशक्ति पार्टी को तोड़कर चार अन्य सांसदों को मिलाकर नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बना ली और फिर नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बन गए उसके बाद से ही चिराग और उनके चाचा के बीच में जबरदस्त तलवार खींची हुई थी.

लोकसभा चुनाव को लेकर जब एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत भी चल रही थी तो भी चाचा भतीजे के झगड़े के कारण ही सीट समझौते में लगातार दिक्कतें आ रही थी. आखिरकार, बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए चिराग पासवान को बेहतर विकल्प माना और उनकी पार्टी को पांच लोकसभा सीट दी जबकि पशुपति पारस को एक भी सीट लड़ने के लिए नहीं दी गई.

चिराग के खिलाफ पारस लड़ेंगे हाजीपुर ?

एनडीए गठबंधन में दरकिनार किए जाने के बाद पशुपति पार्क दिल्ली से पटना तो लौट आए हैं लेकिन अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर उन्होंने कोई फैसला नहीं किया है. हालांकि, एनडीए में साइड लाइन किए जाने के बाद पशुपति पारस ने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है मगर वह एनडीए में अभी बने हुए हैं.

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सूत्रों की माने तो पशुपति पर से महागठबंधन के भी संपर्क में है और वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से भी मिलने का प्रयास कर रहे हैं मगर अभी उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है. लालू प्रसाद के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने पशुपति पारस के साथ एनडीए में जो हुआ है उसको लेकर भाजपा पर हमला बोला है और कहा है कि अगर पारस से महागठबंधन में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत होगा. अब ऐसे में देखने वाली बात यह है कि पशुपति पारस अपने भविष्य को भी लेकर क्या फैसला करते हैं क्या वह महागठबंधन में शामिल होंगे और क्या राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पशुपति पारस पर दाव लगाएंगे या फिर पारस को निर्दलीय या अपने ही पार्टी के सिंबल पर हाजीपुर से अपने भतीजे चिराग को चुनौती देंगे.

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