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MOTN सर्वे: ब्रांड मोदी और बीजेपी फिर से खड़े हो गये, लेकिन क्या ये संघ के सपोर्ट बिना संभव था?

जगह जगह डबल इंजन होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में बीजेपी की गाड़ी डिरेल हो गई थी. अब MOTN सर्वे बता रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ट्रैक पर लगभग लौट आई है - और ये सिर्फ ब्रांड मोदी के कारण ही नहीं, बल्कि संघ के समर्थन से ही मुमकिन हो पाया है.

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मोदी के चेहरे पर दिल्ली चुनाव जीत लेने के साथ ही बीजेपी की गाड़ी ट्रैक पर लौट आई है.
मोदी के चेहरे पर दिल्ली चुनाव जीत लेने के साथ ही बीजेपी की गाड़ी ट्रैक पर लौट आई है.

MOTN सर्वे बता रहा है कि करीब 8 महीने और लगातार चुनावी जीत की बदौलत भारतीय जनता पार्टी ट्रैक पर लौट आई है. और, अब ये भी साफ हो गया है कि ब्रांड मोदी के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सपोर्ट के बगैर बीजेपी के लिए राष्ट्रीय राजनीति में टॉप पर बने रहना कतई मुमकिन नहीं है. 

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लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का वो गुरूर खत्म कर दिया था, जिसमें उनका दावा था कि बीजेपी को वो मुकाम हासिल हो चुका है, जिससे आगे का सफर वो अकेले दम पर पूरा कर सकती है. जेपी नड्डा की ये बाद संघ नेतृत्व को बेहद नागवार गुजरी थी, और आरएसएस कार्यकर्ताओं ने खुद को वर्क-टू-रूल टाइप समेट लिया - नतीजा क्या हुआ सबने देखा ही. 

सबक सिखाने के लिए इतना काफी होता है, और आम चुनाव के ठीक बाद हरियाणा और झारखंड चुनाव में संघ फिर से बीजेपी के सपोर्ट में जमीन पर उतर आया. झारखंड में तो ज्यादातर प्लान ही बने, लेकिन अनुपालन अच्छे से हरियाणा और महाराष्ट्र में ही हो पाया, नतीजों से तो ऐसा ही लगता है. 

और अब दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के बल्ले बल्ले हो गये हैं, जिसकी गूंज पंजाब तक पहुंचने लगी है. आम आदमी पार्टी में मची हलचल और अरविंद केजरीवाल का अलर्ट हो जाना भी यही बता रहा है. 

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इंडिया टुडे ग्रुप और CVoter का MOTN सर्वे दिल्ली चुनाव के दौरान ही हुआ है. ये सर्वे 2 जनवरी, 2025 से 9, फरवरी 2025 के बीच किया गया है, यानी उस दिन भी जब दिल्ली और मिल्कीपुर में वोट डाले जा रहे थे, और उस दिन भी जब चुनाव और उपचुनाव के नतीजे आये थे. 

आखिरकार ट्रैक पर लौटी बीजेपी

आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में ही लगा था, और दो बार में 10 सीटों पर हुए चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8 सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी है, जिसमें अयोध्या क्षेत्र की मिल्कीपुर विधानसभा सीट भी शामिल है. 

लोकसभा चुनाव में बीजेपी से भी ज्यादा सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी को अखिलेश यादव महज 2 ही विधानसभा सीटें दिला पाये, जिसमें सबसे तकलीफदेह उनके लिए कुंदरकी और मिल्कीपुर की हार ही रही होगी. 

झारखंड की हार को थोड़ा अलग रख कर भी देखें तो हरियाणा और महाराष्ट्र से ज्यादा महत्वपूर्ण बीजेपी के लिए दिल्ली की जीत लगती है. 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने वाला बीजेपी नेतृत्व तभी से दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत का इंतजार कर रहा था, लेकिन अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता के कारण दाल नहीं गल पा रही थी - जैसे ही केजरीवाल कमजोर पड़े, बीजेपी ने धावा बोल दिया और दिल्ली पर फतह कर लिया.

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बीजेपी के बीते 8 महीने के ट्रैक रिकॉर्ड को MOTN सर्वे भी वेरीफाई कर रहा है. चुनाव तो कुछ ही राज्यों में हुए हैं, लेकिन ये सर्वे पूरे देश में कराया गया है - सर्वे के नतीजे पूरे देश का राजनीतिक मिजाज बता रहे हैं. 

सर्वे से मालूम होता है कि अगर आज की तारीख में लोकसभा चुनाव होते हैं, तो बीजेपी को 281 सीटें मिल सकती हैं. ऐसे देखें तो बीजेपी के खाते में 41 सीटों का इजाफा हो रहा है.

ऐसा होने का मतलब ये हुआ कि ‘400 पार’ न सही, लेकिन बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गई है - और ये बता रहा है कि बीजेपी को ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टियों के सपोर्ट की जरूरत नहीं के बराबर रह जाती है. 

 MOTN सर्वे के मुताबिक, बीजेपी के वोट शेयर में भी करीब 4 फीसदी का उछाल महसूस किया जा रहा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 36.56 फीसदी वोट मिले थे, और अब 40.7 फीसदी वोट मिलने की संभावना जताई गई है - और इस तरह बीजेपी की सीटें बढ़ने के साथ ही अब एनडीए का नंबर 343 तक पहुंच जा रहा है. 

ब्रांड मोदी का प्रभाव भी फिर से कायम

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बेशक बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही दिल्ली चुनाव लड़ रही थी, लेकिन संघ भी पूरे फॉर्म में काम पर लौट आया था. हरियाणा और महाराष्ट्र में तो स्थानीय चेहरे नजर भी आ रहे थे, लेकिन दिल्ली चुनाव में तो बीजेपी अरविंद केजरीवाल के सवाल का जवाब भी नहीं दे पा रही थी, ‘दूल्हा कौन है?’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार के कामकाज को ज्यादातर लोगों ने अच्छा तो बताया ही है, प्रधानमंत्री के रूप में और देश के अब तक के प्रधानमंत्रियों की लिस्ट में भी वही टॉपर पाये गये हैं. 

सर्वे में शामिल 51.2 फीसदी लोगों ने प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी को बेस्ट बताया है, और 50.7 फीसदी लोग मोदी को अब तक का सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री मानते हैं. 

MOTN का सर्वे देश की राजनीति में ब्रांड मोदी का दबदबा फिर से कायम होने का भी इशारा कर रहा है. अब तो जेपी नड्डा को भी मान लेना पड़ेगा कि मोदी के साथ संघ का जमीनी सपोर्ट है, तभी सब कुछ मुमकिन है. 

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