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MCD में फ्लोर टेस्ट की बीजेपी की मांग AAP के खिलाफ दिल्ली की राजनीति में अगला पड़ाव है

दिल्ली चुनाव में हार के बाद MCD में भी आम आदमी पार्टी की सत्ता पर खतरा मंडराने लगा है. दिल्ली में सरकार बनाने के बाद बीजेपी की नजर अब एमसीडी पर जा टिकी है.

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अब एमसीडी में भी घिरने लगी है अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी.
अब एमसीडी में भी घिरने लगी है अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी.

विधानसभा चुनाव के नतीजे का दिल्ली की राजनीति पर व्यापक असर हुआ है. दिल्ली की गद्दी गंवाने के बाद एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी का संघर्ष बढ़ गया है.  

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तीन साल पहले एमसीडी में सत्ता गवांने वाली बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने के बाद स्वाभाविक रूप से एक्टिव हो गयी है. जाहिर है, हौसला हद से ज्यादा बढ़ा हुआ है. और यही वजह है कि बीजेपी अब एमसीडी में भी वर्चस्व कायम करने की रणनीति पर काम करने लगी है.  

बीजेपी का दावा है कि आम आदमी पार्टी एमसीडी में बहुमत गवां चुकी है - और अपने दावे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एमसीडी में फ्लोर टेस्ट की मांग पर अड़ गई है. 

दिल्ली सरकार के बाद MCD पर BJP की नजर

17 मार्च को दिल्ली नगर निगम में भारी हंगामा देखने को मिला. जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, बीजेपी और आम आदमी पार्टी, दोनो तरफ से तेज नारेबाजी होने लगी. देखते ही देखते बीजेपी पार्षदों ने एजेंडा पेपर फाड़ दिया, और टेबल पर चढ़ गये.

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सदन में भारतीय जनता पार्टी फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही थी. एमसीडी में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने विपक्ष पर संविधान की हत्या का आरोप लगाया है.

बीजेपी का दावा है कि आम आदमी पार्टी के पास एमसीडी में बहुमत नहीं बचा है. 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 250 में से 134 और बीजेपी को 104 सीटें मिली थीं. 

असल में, AAP के कई पार्षदों के पाला बदलने, और दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद हालात काफी मुश्किल हो गये हैं. रिपोर्ट के मुताबिक,  अब एमसीडी हाउस में AAP और BJP के पार्षदों की संख्या बराबर हो गई है. कांग्रेस के पास 8 पार्षद हैं. स्थिति ये है कि फ्लोर टेस्ट हुआ तो कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद तख्तापलट भी कर सकते हैं. 

आम आदमी पार्टी के सामने चुनौती ये भी है कि एमसीडी में सांसदों और विधायकों की तरह दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता. ऐसे में अगर कोई पार्षद किसी दूसरी पार्टी में चला जाये, तो भी उसे अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता - और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है. 

MCD में कौन कितना ताकतवर, BJP या AAP

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी ने अपना नंबर बढ़ाकर 120 कर लिया था, जबकि आम आदमी पार्टी की संख्या घटकर 121 रह गई थी. चुनाव बाद दोनो दलों के नंबर घट गये हैं. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी तो चुनाव से पहले पार्षद ही हुआ करती थीं. 

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माना जा रहा है कि मेयर चुनाव में बीजेपी ‘खेला’ करने की तैयारी में जुट गई है. मेयर चुनाव में पार्षदों के अलावा 14 मनोनीत विधायक, 7 लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसद वोट देते हैं. विधानसभा में मनोनीत विधायकों का नंबर भी अब बीजेपी के पक्ष में होगा. पहले बीजेपी के पास केवल एक मनोनीत विधायक था. लोकसभा के तो सारे सांसद बीजेपी के हैं, लेकिन राज्यसभा के आम आदमी पार्टी के. 

दरअसल, MCD में भी AAP की मुश्किलें अब करीब करीब पिछली दिल्ली सरकार जैसी ही हो गई हैं. 

1. जैसे आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और एलजी में टकराव के चलते कामकाज पर असर पड़ता था, वैसे ही नौकरशाही और बीजेपी के साथ टकराव के कारण आम आदमी पार्टी को अब तक चुनावी वादे पूरा कर पाने में सफलता नहीं मिली है. 

2. 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 10 चुनावी गारंटी दी थी, और उसी के चलते बीजेपी की जीत पक्की हो पाई. दिल्ली के तीन लैंडफिल को खत्म करना, संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और पार्किंग की समस्या का हल निकालना - ये सब चुनावी गारंटी का ही हिस्सा है, लेकिन AAP नेताओं के कानूनी पचड़ों में फंस जाने, और जेल चले जाने के कारण पूरे वक्त अफरातफरी मची रही. 

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आम आदमी पार्टी के संविधान की हत्या के आरोप का बीजेपी अपने तरीके से काउंटर कर रही है. एमसीडी में विपक्ष के नेता राजा इकबाल सिंह कहते हैं, सदन को सुचारू रूप से चलाना सत्तारूढ़ पार्टी की जिम्मेदारी होती है, लेकिन AAP के सीनियर नेता ही कार्यवाही में बाधा डाल देते हैं.

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