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अडानी से आंबेडकर तक आए राहुल गांधी अब धक्का-मुक्की में उलझ गए | Opinion

अडानी के मुद्दे पर राहुल गांधी विपक्षी खेमे में अकेले पड़ने लगे थे, तभी आंबेडकर का मुद्दा मिल गया और कांग्रेस को सहयोगियों का साथ मिलने लगा - लेकिन संसद में अब जो हुआ है क्या वो क्या जोश में होश गवांने जैसा नहीं कहा जाएगा?

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राहुल गांधी को बीजेपी ने भले ही घेर लिया हो, लेकिन विपक्ष का छूटता साथ वापस मिल रहा है.
राहुल गांधी को बीजेपी ने भले ही घेर लिया हो, लेकिन विपक्ष का छूटता साथ वापस मिल रहा है.

संसद में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आंबेडकर पर छिड़ी जंग का हिंसक रूप भी सामने आ गया है. बीजेपी का आरोप है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बीजेपी के सांसदों को धक्का दिया है, जिससे पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी के सिर पर चोट आई है. 

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लाइव टीवी पर एक वीडियो चल रहा है जिसमें प्रताप सारंगी के सिर से खून बह रहा है, और उनको फर्स्ट ऐड दिया जा रहा है. अपडेट ये है कि प्रताप सारंगी और फर्रूखाबाद से बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है. प्रताप सारंगी ओडिशा के बालासोर से बीजेपी के सांसद हैं. 

ये वाकया तब का है जब कांग्रेस के नेतृत्व में INDIA ब्लॉक के नेता संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ये विरोध आंबेडकर को लेकर अमित शाह बयान के विरोध में हो रहा था. अपने बयान पर अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर सफाई भी दे दी है. 

खास बात ये रही कि विरोध सिर्फ इंडिया ब्लॉक तरफ से ही नहीं, बल्कि बीजेपी की तरफ से भी हो रहा था. बीजेपी सांसद अमित शाह के सपोर्ट में कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे - और देखते ही देखते दोनो तरफ के प्रदर्शनकारी संसद के मकर द्वार पर बिल्कुल आमने सामने आ गये थे. वहां जो धक्का-मुक्की हुई उसमें ही प्रताप सारंगी को चोट आ गई - अब ये विवाद दिल्ली पुलिस के पास पहुंच चुका है. 

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जब आंबेडकर पर विरोध प्रदर्शन धक्का-मुक्की में तब्दील हो गया

संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने बीजेपी के तीन सांसद संसद मार्ग थाने पहुंचे हैं. ये तीन सांसद हैं - बांसुरी स्वराज, अनुराग ठाकुर और हेमांग जोशी. कांग्रेस की तरफ से भी क्रॉस एफआईआर की तैयारी हो रही है. 

बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी का दावा है कि राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया था, जो उन पर गिर गये और वो भी घायल हो गये. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी पर विरोध प्रदर्शन के दौरान दो बीजेपी सांसदों पर हमले का आरोप लगाया है. 

वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी धक्का देने का आरोप लगाया है. नगालैंड से बीजेपी सांसद कोन्याक ने राहुल गांधी पर पास पहुंचकर चिल्लाने का इल्जाम लगाया है, और कह रही हैं कि वो बहुत असहज हो गई थीं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनो सांसदों से फोन पर बातकर हालचाल जाना है. शिवराज सिंह चौहान सहित कई मंत्रियों अस्पताल जाकर बीजेपी सांसदों प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत का हालचाल लिया है. मिलने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'राहुल गांधी की गुंडागर्दी का ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा... मुझे समझ नहीं आता कि राहुल गांधी को गुंडागर्दी करके मिलेगा क्या? अब ऐसे सांसदों को पीटा जाएगा? ऐसा आचरण आज तक भारत के संसदीय इतिहास में देखने को नहीं मिला.'

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राहुल गांधी घिरे भी, विपक्ष का भी साथ मिला

राहुल गांधी के साथ एक अच्छी बात भी हुई है, और एक बुरी भी. अच्छी बात ये है कि राहुल गांधी को आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर विपक्ष का साथ मिल रहा है - और बुरी बात ये है कि वो बीजेपी के हमले में घिरने लगे हैं. पूरा मामला अब प्रताप सारंगी से बीजेपी की महिला सांसद की तरफ शिफ्ट होने लगा है, और राहुल गांधी के लिए ठीक नहीं है.

देखा जाये तो अडानी के मुद्दे से आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर पहुंच चुकी कांग्रेस के लिए फिर से संभलने का मौका आ गया है. अडानी के मुद्दे पर भले ही विपक्षी दलों के नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था, लेकिन आंबेडकर की बात पर भला ऐसी हिम्मत कौन जुटा सकता है - आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी जोरदार तरीके से टीवी पर राहुल गांधी का बचाव करते देखा गया. 

अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस अकेली पड़ रही थी. तृणमूल कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी और दूसरे दलों ने भी साथ छोड़ दिया था, और ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेता बनाने की मांग शुरू हो चुकी थी. लालू यादव से लेकर शरद पवार तक ममता बनर्जी के सपोर्ट में खड़े हो गये थे - ऐसे में आंबेडकर के बहाने कांग्रेस को अचानक सपोर्ट सिस्टम मिल गया है. 

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क्योंकि ये राहुल गांधी की जातीय राजनीति की लाइन को भी सूट कर रहा है. आंबेडकर का नाम दलित राजनीति से जुड़ा है, जिसे हर राजनीतिक दल अपनी तरफ करने की होड़ में शामिल है. 

जातिगतण जनगणना का फोकस ओबीसी पॉलिटिक्स है, जबकि आंबेडकर दलित राजनीति के आइकॉन हैं - और राहुल गांधी कुछ दिनों से कांग्रेस के खोये जनाधार को हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं. 

अडानी से आंबेडकर की तरफ चल पड़ी लड़ाई का फायदा ये भी है समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसे राजनीतिक दल चाहकर भी मुंह मोड़ नहीं सकते, जबकि उनको नुकसान भी हो सकता है. 

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