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हिंदुत्व पर लौटी बीजेपी INDIA गुट के लिए कितनी खतरनाक है? दिल्ली की जंग में असली इम्तिहान | Opinion

लोकसभा चुनाव के बाद INDIA ब्लॉक ने भी भले ही बीजेपी के बराबर दो राज्यों में सरकार बना ली हो, लेकिन पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र की हार उसे भारी पड़ रही है - और जिस तरह से सहयोगी दल कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं, आगे की राह काफी मुश्किल लग रही है.

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दिल्ली के चुनावी मैदान में बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे का असली इम्तिहान है.
दिल्ली के चुनावी मैदान में बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे का असली इम्तिहान है.

बीजेपी के हिंदुत्व का एजेंडा, ऐसा लगा लोकसभा चुनावों में फेल हो गया था. सबसे बड़ा झटका तो बीजेपी को फैजाबाद लोकसभा सीट पर लगा था, जिसे विपक्ष अयोध्या की हार के तौर पर प्रचारित करने लगा था. 

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हाथ में संविधान और साथ में अवधेश प्रसाद को लेकर संसद में दहाड़ने लगे थे. राहुल गांधी तो यहां तक दावा कर बैठे थे कि बीजेपी को गुजरात पहुंचकर भी हराएंगे - कई बार तो ऐसा भी लगा कि बीच में ही बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार गिर जाएगी, और इंडिया ब्लॉक केंद्र की सत्ता पर काबिज हो जाएगा. 

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राहुल गांधी के दावों पर सवाल खड़े कर दिये. महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने तो ऐसा माहौल बना दिया है जैसे 'खेला' हो गया हो. ये शब्द 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने खूब उछाला था, और तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद अखिलेश यादव जैसे नेता भी बोलने लगे थे. 

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2024 के लोकसभा चुनाव के पहले हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी की तरफ से जातीय जनगणना का मुद्दा खूब उछाला गया था, जिसे बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे से न्यूट्रलाइज कर दिया था. लोकसभा चुनाव में जातीय राजनीति बीजेपी को भारी पड़ी और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भारी झटका लगा. 

अव्वल तो लोकसभा चुनाव के बाद चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, और तकनीकी तौर पर देखें तो मुकाबला बराबरी पर छूटा है. जम्मू-कश्मीर और झारखंड में इंडिया ब्लॉक की जीत हुई है, हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी ने बाजी मार ली है - हां, राजनीतिक तौर पर कौन सी जीत महत्वपूर्ण है, ये बात अलग है. 

और अब बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे का असली परीक्षण दिल्ली विधानसभा चुनाव में होना है, जहां बीजेपी चुनावी राजनीति के तमाम हथकंडे अपनाने के बावजूद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के मुकाबले ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही है. 

अयोध्या की हार के बाद भी हावी है हिंदुत्व एजेंडा

देश भर में एनडीए के शासन वाले 20 राज्यों में महाराष्ट्र ही ऐसा है जहां मुख्यमंत्री भी बीजेपी का ही है. चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना की तरफ से बिहार की तरफ एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग जरूर हो रही थी, लेकिन आखिरकार शपथ देवेंद्र फडणवीस को ही दिलाई गई. जहां तक बिहार की बाद है, 2025 के लिए भी नीतीश कुमार को ही एनडीए का नेता बताया गया है. अभी तक तो यही अपडेट है, आगे क्या हो किसे मालूम. 

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महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव बीजेपी के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गये थे. हरियाणा में तो बीजेपी का प्रदर्शन उतना बुरा नहीं था, लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी बुरी तरह मात खा गई थी. अयोध्या की हार का धब्बा तो लग ही गया था - अयोध्या का बदला तो बीजेपी तभी कर पाएगी जब मिल्कीपुर में उपचुनाव होंगे, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र जीत कर बीजेपी ने साबित कर दिया है कि उसे हिंदुत्व के एजेंडे से पीछे हटने की जरूरत नहीं है. 

'जागो हिंदू जागो' गाकर देवेंद्र फडणवीस ने जो अलख जगाई थी, उसे धार दी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नये मिजाज के स्लोगन 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने, और उस पर मुहर लगाई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक हैं तो सेफ हैं' नारा ने. 

दिल्ली में होगा हिंदुत्व एजेंडा का असली परीक्षण

दिल्ली विधानसभा का चुनाव ऐसे वक्त हो रहा है जब इंडिया ब्लॉक के भीतर जबरदस्त टकराव होने लगा है. ममता बनर्जी के साथ साथ अखिलेश यादव भी राहुल गांधी से खफा हो गये हैं - और कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये जा रहे हैं.

हरियाणा के लिए भले ही राहुल गांधी पर तोहमत मढ़ी जा सकती है, लेकिन महाराष्ट्र में तो कांग्रेस महाविकास आघाड़ी में महज एक हिस्सेदार थी. फिर भी तृणमूल कांग्रेस के नेता कांग्रेस नेतृत्व को ही निशाना बना रहा है, और उद्धव ठाकरे भी कांग्रेस को ही समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक में बनाये रखने के लिए मनाना चाहिये.

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अभी तो अरविंद केजरीवाल की इंडिया ब्लॉक में स्थिति ममता बनर्जी जैसी ही लगती है. जैसे लोकसभा चुनाव ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ रही थीं, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल भी अकेले लड़ रहे हैं - और मुकाबले में बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस भी खड़ी हो गई है. 

वैसे ममता बनर्जी की ही तरह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल भी दस साल से ज्यादा वक्त से मजबूती से डटे हुए हैं. नंबर के हिसाब से देखें ममता बनर्जी के मुकाबले अरविंद केजरीवाल का स्ट्राइक रेट कहीं ज्यादा है. 

बीजेपी 2020 के चुनाव में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एजेंडा जोरदार तरीके से चला चुकी है, लेकिन बीते दो चुनावों में 3 से 8 विधानसभा सीटों तक ही पहुंच पाई है - नये मिजाज की राजनीति में दिल्ली के लोग क्या फैसला सुनाते हैं, भविष्य में हिंदुत्व की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है.

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