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'ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आंखें... इन्हें देखकर जी रहे हैं सभी', साल 1969 में आई फिल्म दो रास्ते का यह गाना एक्ट्रेस मुमताज के लिए ही लिखा गया होगा, यह कहना गलत नहीं है. ये वो दौर था जब बॉलीवुड में सभी बड़े से बड़े स्टार एक्टर्स मुमताज़ को पसंद करते थे. कुछ तो प्यार में भी थे. 70-80 के दशक में फ़िल्मी दुनिया में कदम रखने वाली मुमताज़ ने हिंदी सिनेमा की ब्लॉकबस्टर फ़िल्में कीं, लेकिन ये फ़िल्में उन्हें आसानी से हासिल नहीं हुईं. एक ऐसा दौर भी बीता जब बड़े बड़े स्टार्स ये कहकर फिल्म छोड़ देते थे कि इसमें मुमताज़ काम करेगी तो मैं नहीं करूंगा. फ़िल्में मना करने वालों में शशि कपूर, देव आनंद, संजीव कपूर और जितेंद्र जैसे अभिनेताओं का नाम शामिल रहा. लेकिन फिर मुमताज़ के फ़िल्मी करियर में एक दौर ऐसा भी आया जब हर एक सुपरस्टार, मुमताज़ के साथ काम करना चाहता था.
मुमताज़ (Actress Mumtaz) के साथ काम करने से मना करने वाले शशि कपूर (Shashi Kapoor) फिल्म 'चोर मचाए शोर' में मुमताज़ को लेने के लिए अड़ गए थे. उन्होंने फिल्म निर्माताओं से साफ़ कह दिया था कि अगर फिल्म में मुमताज़ नहीं होगी तो मैं इसमें काम नहीं करूंगा. तब फिल्म निर्माताओं ने एक्ट्रेस की काफी मिन्नतें कीं कि वो इस फिल्म को कर लें, वरना वो बहुत नुकसान में चले जाएंगे. ऐसे में फ़िल्में नहीं करने का मन बना रहीं मुमताज़ ने चोर मचाए शोर के लिए हां कर दी और उसके आगे की कहानी हर सिनेमा प्रेमी को पता है. फिल्म में उनके काम और शशि कपूर के साथ जोड़ी को खूब सराहा गया.
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दारा सिंह (Dara Singh) के साथ फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वालीं मुमताज़ को स्टंट एक्ट्रेस कहा जाता था. जिसके चलते उन्हें किसी और फिल्म में लेने से प्रोड्यूसर्स कतराते रहे. दारा सिंह की इस हीरोइन ने उनके साथ 16 फ़िल्में कीं. A ग्रेड की फिल्मों को तरस रहीं मुमताज़ के साथ कोई भी स्टार काम करने से मना कर देता था. सबको यही लगता था कि ये तो एक स्टंट एक्ट्रेस है और ऐसी एक्ट्रेस को एक्टिंग के नाम पर क्या आता होगा. लोगों का कहना होता था कि आखिर स्टंट एक्ट्रेस होकर करना ही क्या पड़ता है, मारधाड़ वाले एक्टर के इर्द गिर्द नाचो... थोड़ा बहुत एक्ट कर दो. ऐसे में किसी बड़ी फिल्म में एक्टर के सामने लीड रोल को जस्टिफाई करना मुमताज़ के लिए मुश्किल होगा.
इनकार की कड़ी में फिल्म 'सच्चा झूठा' में मुमताज के होने की वजह से शशि कपूर ने फिल्म को करने से मना कर दिया था. जिसके बाद इस फिल्म को राजेश खन्ना के साथ पूरा किया गया. फिल्म में मुमताज भी थीं. राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी ने हलचल मचा दी थी. शायद इसके बाद शशि कपूर को अपने फैसले पर मलाल हुआ हो. एक समय बाद जब मुमताज अपने करियर में ऊंचाइयों पर थीं तब वो ही शशि कपूर जिन्होंने एक बार मुमताज की वजह से फिल्म को इनकार किया था, ने जिद पकड़ ली कि फिल्म तो अब तभी बनेगी जब इसमें मुमताज़ भी होंगी. ये फिल्म थी 'चोर मचाए शोर' जिसने एक बार फिर मुमताज ने अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल लूट लिया.
मुमताज़ ने राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के साथ एक से बढ़कर एक फ़िल्में कीं, लेकिन उन्हें स्टंट एक्ट्रेस के तमगे से बाहर लाने में दिलीप कुमार ने मदद की. जिसके बाद मुमताज़ ने यह साबित कर दिया कि जिसे अब तक स्टंट एक्ट्रेस कहकर नकारा जाता रहा, वो लीड किरदार भी निभा सकती है.
किस्से बताते हैं कि उस समय एक्टर महमूद ने दिलीप साहब के सामने मुमताज़ की तस्वीर रखी और उनके साथ फिल्म बनाने के लिए कहा. दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने मुमताज़ की तस्वीरें देखकर उनके साथ काम करने के लिए हां कह दिया. दारा सिंह की एक्ट्रेस अब दिलीप साहब के साथ बड़े पर्दे पर थी. फिल्म का नाम था 'राम और श्याम'. जिसने सिनेमा हॉल में कमाल कर दिया और मुमताज़ की एक्टिंग के बड़े बड़े स्टार कायल हो गए. फिर तो जैसे मुमताज़ के जीवन की गाड़ी में टॉप गियर लग चुका था. राजेश खन्ना से लेकर शम्मी कपूर और राजेंद्र कुमार तक, मुमताज़ के साथ स्क्रीन पर नजर आए.
बड़े पर्दे पर दर्शकों और साथ काम करने वाले एक्टर्स को अपना दीवाना बना लेने वालीं मुमताज़ के तमाम किस्से मशहूर हैं. उनसे प्यार कर बैठने वाले एक्टर्स में बड़े बड़े नाम शुमार हुए. लेकिन मुमताज़ का क्रश और पहला प्यार कोई और नहीं बल्कि शम्मी कपूर थे. वैसे ये प्यार लंबे समय तक एक तरफा नहीं रहा बल्कि शम्मी कपूर भी मुमताज़ को लेकर काफी सीरियस हो गए थे. इतना कि उनसे शादी करना चाहते थे, लेकिन मुमताज़ ने इस शादी से इनकार कर दिया. वजह थी शम्मी की ओर से एक शर्त रख दिया जाना जो मुमताज़ को मंजूर नहीं हुई.
शम्मी कपूर, साल 1967 में पत्नी गीता बाली की मौत के बाद अकेले रह गए थे. शम्मी के बच्चों की देखभाल को लेकर उनके परिवार के लोग उनसे दूसरी शादी करने की बात कह रहे थे. बच्चों को मां चाहिए... इस सवाल से जूझ रहे शम्मी कपूर जब फिल्म 'ब्रह्मचारी' की शूटिंग कर रहे थे, इस फिल्म में उनके साथ मुमताज़ थीं. तमाम रिहर्सल और शूटिंग के बीच मुमताज़ ने एक दिन उनके सामने अपने दिल की बात रख दी कि वो उन्हें पसंद करती हैं. शम्मी कपूर एक ऐसे एक्टर हैं जिन्हें वो अपना क्रश मानती हैं, प्यार करती हैं. यह सुनकर शम्मी कपूर के मन में आस जग उठी. जिसके बाद मुमताज़ का ये एक तरफ़ा प्यार अब दो तरफ़ा हो चुका था.
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शम्मी कपूर ने बात को आगे बढ़ाते हुए मुमताज़ के सामने शादी का प्रपोजल रख दिया, लेकिन इसी के साथ एक शर्त भी रख दी कि वो शादी के बाद फिल्मों में काम नहीं करेंगी. मुमताज़ काफी हैरान रह गईं... काफी सोचने समझने के बाद मुमताज़ ने शम्मी कपूर को शादी के लिए इनकार कर दिया. मुमताज़ का मानना था कि उनका करियर अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुआ है. ग़रीबी के दिन देखने के बाद और इतनी मेहनत से जिस जगह को पाया है वो यूं ही तो नहीं गंवा सकती हूं. प्यार के सामने मुमताज़ की मेहनत और आगे बढ़ने की चाहत ने इस रिश्ते को यहीं रोक दिया. इस समय मुमताज़ की उम्र महज़ 18 साल थी.
शम्मी की तरफ से शादी का प्रपोजल ठुकराने के बाद मुमताज़ ने उसके बाद उनके साथ कोई फिल्म नहीं की. और यह कोशिश भी कि उनका और शम्मी का सामना नहीं हो. मुमताज़ अब आगे की तरफ बढ़ रही थीं. और इस दौरान उनके लिए सिनेमा के पर्दे के दोनों तरफ दीवानगी भी बढ़ रही थी. बताया जाता है कि एक दौर में सुपरस्टार काका यानी कि राजेश खन्ना भी उनको लेकर काफी पसेसिव थे.
राजेश खन्ना, मुमताज़ को प्यार से 'मोटी' कहकर बुलाते थे, उनका ख्याल भी रखते थे. मुमताज़ ने एक इंटरव्यू में राजेश खन्ना को लेकर बात करते हुए खुलासा किया था कि अगर वो किसी दूसरे एक्टर के साथ कोई फिल्म साइन कर लेती थीं तो काका उनसे नाराज़ हो जाते थे, और पूरे दिन बात नहीं करते थे. वो एकदम बच्चों जैसे नाराजगी जताते थे. लेकिन खुद चाहे किसी के साथ फिल्म करें. मुमताज़ ने बताया था कि सुनील दत्त और धर्मेन्द्र के साथ फिल्म करने की बात को जानकार राजेश ने पूरे दिन उनसे बात नहीं की थी.
वैसे मुमताज़ को फ़िल्मी इंडस्ट्री में कई नाम मिले, जिसमें राजेश खन्ना उन्हें 'मोटी' कहते थे तो देव आनंद साहब उन्हें 'मुंजी' बुलाया करते थे. लेकिन एक और नाम था जो उन्हें महिलाओं की तरफ से मिला हुआ था, और वो नाम था 'सौतन'. कहते हैं कि जिन जिन के पति मुमताज़ के साथ फिल्म में काम करते थे, उनकी पत्नियां मुमताज़ को सौतन कहकर बुलाती थीं. यही वजह भी रही कि मुमताज़ की कोई भी महिला मित्र नहीं रही. और कोई रहा भी तो वो नाम था वहीदा रहमान. जिनके साथ मुमताज़ की सबसे पक्की यारी थी, जो उन्हें 'सौतन' कहकर नहीं पुकारती थीं.
मुमताज़ को प्यार करने और प्रपोजल में देने में कई नाम थे, लेकिन एक ऐसा नाम भी रहा जिसने प्यार का इज़हार भी किया और आगे चलकर मुमताज़ के साथ एक ख़ास रिश्ता भी बना. चर्चाओं की मानें तो ये कहानी है फ़िरोज़ खान की, जिन्होंने मुमताज़ को अपने प्यार का इज़हार किया था. ऑनस्क्रीन हिट रही इस जोड़ी के बीच रियल लाइफ में 'कुछ-कुछ चल रहा है' जैसी बातें उड़ने लगीं.
हालांकि मुमताज़ के साथ इतने किस्सों में एक बात तो बहुत खूबसूरत रही कि उन्होंने उनसे प्यार करने वाले पुरुषों के प्रेम का सम्मान किया. उन्होंने इसके साथ ही यह भी संभाल कर रखा कि ये प्रेम किसी भी तरह से मैला ना हो. प्यार और सम्मान दोनों बचा रहे. कहा जाता है कि मुमताज़ के इनकार को फ़िरोज़ खान ने भी देखा, लेकिन एक समय बाद दोनों की दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई, दोनों समधी-समधन बने.
साल 2005 में मुमताज़ की बेटी नताशा और फ़िरोज़ खान के बेटे फरदीन खान की शादी हुई. बॉलीवुड की गॉसिप्स में यह भी खूब चर्चा में रहा कि फिरोज, मुमताज़ से शादी करना चाहते थे, लेकिन पब्लिक प्लेटफॉर्म पर मुमताज़ ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया. एक इंटरव्यू में मुमताज़ ने कहा था कि फ़िरोज़ खान ने उन्हें शादी का प्रपोजल नहीं दिया था, बल्कि वो किसी एंग्लो इंडियन एक्ट्रेस को प्यार करते थे.
मुमताज़ ने शम्मी कपूर से लेकर कई स्टार्स को शादी से इनकार किया, लेकिन जब मुमताज़ की शादी हुई तो वो एक बड़ी याद भी बन गई. मुमताज़ की शादी काफी चर्चा में रही थी. मुंबई में हुए इस शादी समारोह में जो कुछ भी हुआ वैसा ना कभी पहले हुआ था और ना ही भविष्य में देखा गया.
मुमताज़ की शादी को लेकर ये किस्सा बड़ा ही दिलचस्प है. यह बात 27 मई 1974 की है. जब मुंबई का ताज होटल, बॉलीवुड की बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस मुमताज़ की शादी का गवाह बना, और गवाह बना उस उत्पात का जो किसी ने भी पहले कभी नहीं देखा था.
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दरअसल, जब मुंबई के ताज होटल में मयूर माधवानी के साथ लव मैरिज करने वाली मुमताज़ का शानदार रिसेप्शन चल रहा था. उस समय जितने लोग होटल के अंदर मौजूद थे, उससे कहीं ज्यादा होटल के बाहर भीड़ जमा थी. इस भीड़ में मुमताज़ के चाहने वालों का हुजूम उमड़ा हुआ था कि उनकी पसंदीदा एक्ट्रेस शादी कैसे कर सकती हैं. होटल में जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. ताकि कोई भी अंदर आकर रंग में भंग ना कर दे. लेकिन चाहने वालों का हुजूम संभाला नहीं जा सका.
उस समय ताज होटल में काम करने वाले अजीत केलकर की मानें तो होटल के बाहर आई भीड़ सिक्योरिटी तोड़ कर होटल के अंदर आ जाने की पूरी कोशिश में जुटी रही. ये कोशिश एक समय बाद कामयाब भी हो गई. और मुमताज़ के चाहने वाले लोग होटल में घुस आए. हालत यह हो गई थी कि भीड़ ने दरवाजों के ग्रिल तक तोड़ दिए थे. हालात इतने बेकाबू हो गए कि होटल ने मुमताज़ को वहां से निकल जाने को कह दिया.
हालात बिगड़ गए थे, जैसे-तैसे मुमताज़ को बाहर निकाला गया और मामले को संभाला गया. ताज होटल के इतिहास में यह पहली ऐसी शादी थी जिसमें जमकर तोड़फोड़ हुई. ज़ाहिर है ये बात इतना बताने को काफी है कि मुमताज़ को लेकर उनकी दीवानगी किस हद तक लोगों में थी. उनसे किस-किस को प्यार था की जगह यह कहना सही रहेगा कि किस-किस को प्यार नहीं था. जिसने भी मुमताज को एक नजर देखा, उनका दीवाना हो गया. कैंसर को मात देने वाली मुमताज़ की कहानी इतनी बड़ी है जिसे हजारों शब्दों में भी समेटा नहीं जा सकता. मुमताज़ की दीवानगी कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी.