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BJP और चंद्रशेखर आजाद रावण की 'करीबी' नगीना से दे रही है दिलचस्प संकेत

चंद्रशेखर आजाद के सड़क का संघर्ष लगता है पूरा हो गया, अब संसद पहुंचने का रास्ता साफ होने लगा है. बीजेपी के सपोर्ट से ही मायावती पहली बार मुख्मयंत्री बनी थीं, अब युवा दलित नेता की बारी है. चुनाव से पहले Y-कैटेगरी सुरक्षा चंद्रशेखर को यूं ही नहीं मिली है - और BSP की बेचैनी ये साबित कर रही है.

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नगीना में चंद्रशेखर आजाद को जो चाहिये था, मिल रहा है - बस रिजल्ट का इंतजार है.
नगीना में चंद्रशेखर आजाद को जो चाहिये था, मिल रहा है - बस रिजल्ट का इंतजार है.

चंद्रशेखर आजाद रावण. पहले पूरा नाम वो ऐसे ही लिखते थे, लेकिन बाद में रावण हटा दिया. पहले के मुकाबले अब वो काफी बदल गये हैं. वरना, बीजेपी से किसी भी तरह की मदद नहीं लेते. यूपी की बीजेपी सरकार ने ही उनको सहारनपुर हिंसा के मामले में जेल भेजा था. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिन बाद सहारनपुर में हिंसा हुई थी, और उसी के आरोप में चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार किया गया था.

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जेल भेजे जाने के बाद NSA भी लगा दिया गया था. और फिर 2019 के आम चुनाव से पहले उनको रिहा भी कर दिया गया था. 16 महीने बाद जेल से छूटते ही चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि बीएसपी नेता मायावती से उनका खून का रिश्ता है, और वो उनकी बुआ हैं.

लेकिन ज्यादा देर नहीं लगी, मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर साफ कर दिया कि उनका किसी के साथ बुआ-भतीजे का रिश्ता नहीं है. असल में सहारनपुर हिंसा के बाद मायावती ने बगैर नाम लिये चंद्रशेखर को सलाह दी थी कि वो बीएसपी ज्वाइन कर लें, लेकिन वो उनकी बात नहीं सुने. ये सहारनपुर हिंसा का ही मुद्दा रहा, जिसे लेकर मायावती ने राज्यसभा में बोलने न देने का आरोप लगाया और फिर संसद सदस्यता से इस्तीफा भी दे डाला. 

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मायावती शुरू से ही अपने दलित समर्थकों को चंद्रशेखर आजाद जैसे लोगों से बच कर रहने की सलाह देती रही हैं, लेकिन अब वो अपनी ही आजाद समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नगीना लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर चुके हैं - और उनका ये कदम मायावती और बहुजन समाज पार्टी को बहुत परेशान कर रहा है.

तभी तो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को यूपी में चुनाव कैंपेन की शुरू करने के लिए सीधे नगीना भेजा दिया. और मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने अपनी पहली ही चुनावी रैली में चंद्रशेखर आजाद का नाम लिये बगैर ही उन पर खूब हमले किए. चंद्रेशखर आजाद का नाम लिए बिना ही आकाश आनंद ने कहा कि वो दलित युवकों को गुमराह करके उनका करियर बर्बाद कर रहे हैं. बोले, कहा, 'वो युवकों को प्रदर्शनों में ले जाते हैं... और उसकी वजह से उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं.  

चंद्रशेखर के खिलाफ मायावती ने आकाश आनंद को लगाया

नगीना में बीएसपी की रैली से कुछ ही समय पहले चंद्रशेखर आजाद के बारे में पूछे जाने पर आकाश आनंद का कहना था वो उनको नहीं जानते - लेकिन नगीना की रैली में ज्यादातर वक्त आकाश आनंत के निशाने पर चंद्रशेखर आजाद ही देखे गये. 

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और खास बात ये भी रही कि आकाश आनंद ने भी मायावती की ही तरह युवाओं को चंद्रशेखर आजाद से बच कर रहने की सलाह दी. बोले, याद रखिये... अगर आपके खिलाफ मामला दर्ज हो गया, तो आपको सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.

चंद्रशेखर आजाद की तरफ इशारा करते हुए आकाश आनंत कह रहे थे, वो झगड़ा करते हैं... आंदोलन करते हैं... और हमारे युवाओं को अपने साथ ले जाते हैं, लेकिन मामला दर्ज होने पर जब ये युवा उनके पास मदद के लिए जाते हैं तो वो गायब हो जाते हैं.

आकाश आनंद ने लोगों को ये भी समझाने की कोशिश की कि मायावती को ये सब बिलकुल पसंद नहीं आता. और जैसे चुनावों में मायावती अपने लोगों को आगाह करती हैं, आकाश आनंद भी कहते हैं, अपना वोट सोच समझ कर दीजिये... क्योंकि भावना में बह जाने से अक्सर गलतियां हो जाती हैं. मायावती भी चुनावों में लोगों को अपना वोट बर्बाद न करने की सलाह देती रही हैं. 

लेकिन नगीना के लोग इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कुछ और ही बता रहे हैं. वे लोग मायावती और आकाश आनंद को वीआईपी लीडर मानने लगे हैं, और चंद्रशेखर आजाद को एक ऐसा नेता जो युवाओं, दलितों और मुसलमानों के साथ खड़ा रहता है, और उनकी आवाज बन रहा है. 

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बातजीत में चंद्रशेखर आजाद के बारे में एक नगीना निवासी का कहना है, वो सड़क पर कर विरोध करते हैं. वो कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं. हो सकता है, वो चुनाव न जीत पायें. लेकिन वो बीएसपी और समाजवादी पार्टी को सबक जरूर सिखाएंगे. उनके मुताबिक, नगीना से बीजेपी या आजाद समाज पार्टी ही जीतेगी. उनके कहने का मतलब है कि बीएसपी या समाजवादी पार्टी नहीं.  

रामपुर में पुलिस फायरिंग में मारे गये एक युवक के परिवार से चंद्रशेखर आजाद के जाकर मिलने की भी लोग मिसाल दे रहे हैं, और फिर उनका सवाल होता है - क्या मायावती वहां गईं? या उनके भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद? 

क्या चंद्रशेखर आजाद के पीछे भी बीजेपी है

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव की तरह ही भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन करने की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बनी. 2022 में तो चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश यादव पर दलितों के अपमान का भी आरोप लगाया था, और गुस्से में गोरखपुर से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुंच गये थे. 

लोकसभा चुनाव के लिए भी चंद्रशेखर आजाद की पसंदीदा सीट अखिलेश यादव को मंजूर नहीं थी. चंद्रशेखर आजाद अपने लिये नगीना लोकसभा सीट चाहते थे, और समाजवादी पार्टी कह रही थी कि वो आगरा या बुलंदशहर से चुनाव लड़ लें. जब बात नहीं बनी तो वो आजाद समाज पार्टी की तरफ से ही मैदान में कूद पड़े. 

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अव्वल तो नगीना लोकसभा सीट से बीएसपी ने अपने मौजूदा सांसद को भी टिकट नहीं दिया है, लेकिन रैली में आकाश आनंद कहते हैं, विपक्षी पार्टियों ने यहां हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए, हमारे बीच हर तरह के लोगों को लगा दिया है... मैं किसी का नाम लेकर किसी को महत्व नहीं देना चाहता... कुछ लोग खुद को मसीहा कहते हैं... वो कहते हैं कि समाज के हित के लिए वो सड़कों पर उतर कर लड़ेंगे.

और फिर लोगों को आगाह करते हुए समझाते हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहें... ये लोग कांग्रेस, समाजवादी पार्टी या बीजेपी के लोगों के जैसे ही नाकारा हैं. नगीना से बीएसपी, समाजवादी पार्टी और बीजेपी सभी ने अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं. 

चंद्रशेखर आजाद का नाम लिये बगैर आकाश आनंद कहते हैं, वो किसी तरह एक सीट पाना चाहते थे, किसी तरह वो एक सीट का जुगाड़ करना चाहते थे. क्या आकाश आनंद को भी लगने लगा है कि चंद्रशेखर आजाद अब सड़क पर लड़ाई लड़ते लड़ते संसद में दाखिल होने के लिए एक सीट का जुगाड़ कर चुके हैं?

पहली बार मायावती बीजेपी की मदद से ही यूपी की मुख्यमंत्री बनी थीं, और अब तो लगता है चंद्रशेखर के भी संसद पहुंचने में बीजेपी ही मददगार साबित होगी - वैसे बीजेपी ने चंद्रशेखर की बस इतनी ही मदद की है कि उनको लोकसभा चुनाव से पहले वाई कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया करा दी है.

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