संसद में राहुल गांधी के भाषण में दो बातें खास तौर पर सुनने को मिली हैं, और दोनो ही बातों का अलग अलग महत्व है. संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने विपक्ष के इंडिया गठबंधन का विशेष रूप से जिक्र किया है. राहुल गांधी के मुंह से इंडिया ब्लॉक का जिक्र काफी दिनों बाद सुनने को मिला है. संसद के शीतकालीन सत्र में अमित शाह के बयान के बाद आंबेडकर के मुद्दे पर विपक्ष को आखिरी बार कुछ हद तक एकजुट देखा गया था, लेकिन दिल्ली चुनाव में अंदर की बात सामने आ गई. दिल्ली चुनाव में इंडिया ब्लॉक कांग्रेस और केजरीवाल दो हिस्सों में बंट गया, क्योंकि अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने केजरीवाल का सपोर्ट कर दिया है.
बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में ऐसा मुद्दा उठाने की कोशिश की है, जो पूरे विपक्ष के लिए मायने रखता हो. राहुल गांधी ने चुनावों में गड़बड़ी और एलेक्टोरल रोल का मुद्दा उठाया है. हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों को लेकर सवाल उठाया है. हालांकि, वो ये भी कह रहे हैं कि वो कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन कुछ न कुछ गड़बड़ी तो है - निश्चित तौर पर राहुल गांधी की नजर दिल्ली के बाद बिहार चुनाव पर भी है, और वैसे भी कांग्रेस की भविष्य की रणनीतियों की थोड़ी बहुत झलक राहुल गांधी के हाल के बयानों में नजर आई ही है.
लोकसभा में चुनावों में गड़बड़ी का खास तौर पर जिक्र किये जाने की एक और भी वजह है, और वो है कांग्रेस में बनाई गई नई एक्सपर्ट कमेटी - जो देश भर में होने वाले चुनावों पर कांग्रेस के नफे नुकसान के हिसाब से नजर रखेगी.
ये EAGLE क्या मामला है?
EAGLE यानी एम्पॉवर्ड एक्शन ग्रुप ऑफ लीडर्स एंड एक्सपर्ट्स (Empowered Action Group of Leaders and Experts) - कांग्रेस के नेताओं और विशेषज्ञों की ये कमेटी देश में होने वाले चुनावों पर निगरानी के मकसद से बनाई गई है, ऐसा बताया जा रहा है.
ईगल कमेटी में कांग्रेस के सीनियर नेताओं के साथ साथ ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के हेड को भी शामिल किया गया है. कमेटी के कुल 8 सदस्यों में शामिल हैं - दिग्विजय सिंह, अभिषेक मनु सिंघवी, पवन खेड़ा, गुरदीप सप्पल, कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन और ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रवीण चक्रवर्ती. बताते हैं कि प्रवीण चक्रवर्ती ने ही ईगल नाम सुझाया था, जिसे मंजूरी मिल गई.
बताते हैं कि ये कमेटी इस बात पर भी नजर रखेगी कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा भी रहा है या नहीं - और जाहिर, ये ऐसा मुद्दा है जो महज कांग्रेस नहीं बल्कि पूरे विपक्ष के लिए विशेष रूप से मायने रखता है.
ईगल कमेटी सीधे राहुल गांधी को रिपोर्ट करेगी. मतलब, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस कमेटी से कोई मतलब नहीं होगा. वैसे भी 8 सदस्यों में उनका तो नाम है नहीं, अब किसी को ताज्जुब हो तो वो कयास लगाता रहे.
रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी को पहला टास्क महाराष्ट्र चुनाव के दौरान मतदाताओं की बढ़ी संख्या पर रिपोर्ट तैयार करना है, और 5 फरवरी को होने जा रहे दिल्ली चुनाव पर भी बारीकी से निगाह रखनी है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कमेटी के एक सदस्य ने बताया है, ईगल नाम रखा जाना ही कमेटी के कामकाज और मकसद के बारे में सब कुछ बता देता है. सदस्य का कहना है, चुनावों से जुड़ी हर गतिविधि पर पर हम बेहद करीब से नजर रखेंगे.
नई EAGLE और पुरानी एंटनी कमेटी में कितना फर्क?
ये ठीक है कि ईगल कमेटी चुनावी गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन करेगी, रिपोर्ट भी तैयार करेगी, और वो रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंपी भी जाएगी - लेकिन ऐसा कोई पहली बार तो हो नहीं रहा है.
पहले कांग्रेस में अक्सर एक नाम सुनाई देता था, एंटनी कमेटी का. राजनीतिक विरोधियों के बीच भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कांग्रेस में एके एंटनी को सबसे इमानदार नेता का तमगा हासिल है. ऐसे दौर में जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी तक भ्रष्टाचार के आरोपों में जमानत पर हैं - और प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में पूछताछ के लिए पेश होना पड़ा है.
बीते कई बरसों में हर चुनावी हार के एंटनी कमेटी बना दी जाती थी, और हर रिपोर्ट में एक बात कॉमन जरूर देखने को मिलती थी कि कमेटी हार की सामूहिक जिम्मेदारी लेकर आलाकमान को क्लीन चिट दे दिया करती थी.
2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली ज्यादा सीटों का क्रेडिट राहुल गांधी को मिला था, और उसके बाद से ऐसा श्रेय राहुल गांधी को 2024 के आम चुनाव में ही मिला है - और उसी के बाद वो विपक्ष का नेता भी बने हैं.
ये देखना भी दिलचस्प होगा कि ईगल कमेटी आने वाले दिनों में एंटनी कमेटी से कितना अलग क्या काम करती है? क्या बस इतना ही कि एंटनी कमेटी अब तक कांग्रेस की हार के आंतरिक कारण बताती थी, और ईगल बाहरी कारण बताएगा? जिसमें कॉमन बात होगी- कांग्रेस की हार.