ममता बनर्जी के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केलॉग कॉलेज में भाषण के दौरान हुए विरोध पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की बड़ी ही अस्वाभाविक प्रतिक्रिया आई है. अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का देश से बाहर अपमान नहीं होना चाहिये.
अधीर रंजन चौधरी शुरू से ही तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी रहे हैं, और शायद ही कोई मौका हो जब ममता बनर्जी को उनके हमले न झेलने पड़ते हों. विदेश दौरे में हुए विवाद को लेकर राहुल गांधी की तरह बीजेपी के निशाने पर आईं ममता बनर्जी के लिए अधीर रंजन का ये सपोर्ट बहुत बड़ा सरप्राइज है. ममता बनर्जी को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केलॉग कॉलेज में भाषण के दौरान विरोध और 'गो अवे' जैसी नारेबाजी फेस करनी पड़ी थी. विरोध प्रदर्शन के कारण ममता बनर्जी को अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा था.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अधीर रंजन चौधरी ने विरोध प्रदर्शन का विरोध करते हुए कहा है कि ममता बनर्जी उनकी भी मुख्यमंत्री हैं, और विदेशों में ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिये.
अधीर रंजन चौधरी के इस बयान से तो लेफ्ट पार्टियां भी निशाने पर आ जाती हैं, जिन्हें ममता बनर्जी ने अल्ट्रा-लेफ्ट कह कर संबोधित किया है. ममता बनर्जी ने भाषण के दौरान विरोध प्रदर्शन के लिए अल्ट्रा-लेफ्ट और उसके सांप्रदायिक दोस्तों को जिम्मेदार ठहराया था. लेफ्ट के छात्रों के संगठन SFI-UK यानी स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ममता बनर्जी के विरोध की जिम्मेदारी ली है.
ममता की लंदन यात्रा में विवाद और अधीर का सपोर्ट
विरोध प्रदर्शन के दौरान ममता बनर्जी से बंगाल में हुई हिंसक घटनाओं, आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर के मामले और संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण की घटनाओं को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे. ममता बनर्जी ने प्रदर्शनकारियों की बातें सुनी, और जवाब भी दिया. जब विरोध प्रदर्शन करने वालों ने ममता बनर्जी के सामने आरजी कर रेप-मर्डर केस का मुद्दा उठाया तो वो बोलीं, क्या आपको पता है कि ये केस पेंडिंग है?
अव्वल तो अधीर रंजन ने ममता बनर्जी की लंदन यात्रा को बेकार की कवायद भी बता डाला है. कांग्रेस नेता के मुताबिक, ममता बनर्जी की लंदन यात्रा का नतीजा विवाद और नौटंकी ही तो है - लेकिन, जिस तरह से आगे बढ़कर अधीर रंजन ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी का बचाव और सपोर्ट किया है, वो खास मायने रखता है. और, यही वजह है कि अधीर रंजन चौधरी का बयान बंगाल में नये राजनीतिक समीकरणों की तरफ इशारा करता है.
ममता बनर्जी को लेकर अधीर रंजन कहते हैं, मैंने पहले भी कहा है, और अब भी दोहरा रहा हूं... ममता बनर्जी, मेरी भी मुख्यमंत्री हैं, ये बात अलग है कि मेरे विचार उनके खिलाफ हैं. हम में से किसी के लिए भी ये ठीक नहीं होगा कि जब वो विदेश दौरे पर हैं तो उनका अपमान किया जाये... और वैसे ही उनको भी अपने पद की गरिमा नहीं भूलनी चाहिये... और, उसकी रक्षा उनकी भी जिम्मेदारी है.
अधीर रंजन के सपोर्ट को कैसे समझें
हाल ही में हुई कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण मीटिंग में अधीर रंजन चौधरी भी शामिल हुए थे. मीटिंग में अधीर रंजन की मौजूदगी का भी खास महत्व समझा गया. क्योंकि, माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद अधीर रंजन को हाशिये पर कर दिया गया था, और वो भी उनके ममता बनर्जी विरोधी स्थाई तेवर के लिए.
सवाल है कि कट्टर विरोधी होकर भी अधीर रंजन ममता बनर्जी का सपोर्ट क्यों कर रहे हैं? वो चाहते तो चुप भी रह सकते थे, लेकिन ये भी दोहराते हैं कि वो उनकी भी मुख्यमंत्री हैं. सवाल ये भी है कि अधीर रंजन का बयान क्या पश्चिम बंगाल के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत है?
अधीर रंजन चौधरी की बातों से साफ है कि वो अपने सहित जिन लोगों की बात कर रहे हैं, उनमें लेफ्ट दल भी शामिल हो जाते हैं. जिस छात्र संगठन ने ममता बनर्जी के भाषण के दौरान विरोध प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली है, वो भी सीपीएम से जुड़ा है - और सीपीएम का पिछले कई चुनावों में ममता बनर्जी के खिलाफ कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन रहा है.
क्या बंगाल में भी बिहार जैसा गठबंधन होने वाला है
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़के के साथ बंगाल कांग्रेस के नेताओं की मीटिंग में तय हुआ था कि बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ कांग्रेस 2026 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. और, इस तरह ये भी साफ हो गया कि अधीर रंजन को ममता बनर्जी की वजह से नहीं हटाया गया था - ये चीज ही अधीर रंजन के बयान की अहमियत बढ़ा रहा है, जिसे मीटिंग के बाद राहुल गांधी के रुख के एक्सटेंशन जैसा लगता है.
क्या राहुल गांधी अब पश्चिम बंगाल में भी बिहार विधानसभा चुनाव जैसा गठबंधन करने वाले हैं?
राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव के दौरान दो बार बिहार का दौरा कर संकेत दिया था कि कांग्रेस बिहार चुनाव में भी अकेले उतरेगी. पहले लगा था बिहार भी कांग्रेस दिल्ली की तरह लड़ेगी, लेकिन फिर महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने की बात बताई गई है.
बंगाल कांग्रेस के नेताओं के साथ राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मीटिंग में तय हुआ था कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अपने दम पर चुनावों में जाएगी, यानी ममता बनर्जी के साथ तो कतई गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन अधीर रंजन का ताजा बयान तो टीएमसी के प्रति नरमी का संकेत दे रहा है.
हो सकता है कांग्रेस नेतृत्व को हकीकत समझ में आ गई हो. लोकसभा में नुकसान तो हुआ ही. ममता बनर्जी की बात मान ली गई होती तो यूपी की तरह न सही, लेकिन बंगाल से कांग्रेस की दो लोकसभा सीटें तो आ ही सकती थीं, और आंकड़ा 99 की जगह 100 हो सकता था. अधीर रंजन भी हार गये, और एक सीट भी हाथ से निकल गई.
अब तो लगता है अधीर रंजन चौधरी भी राजी है, और राहुल गांधी भी - लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या ममता बनर्जी भी राजी हो पाएंगी?