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जातिगत गणना के मुद्दे को हवा देकर हिंदू वोट बांटने में कितना कामयाब हुए राहुल गांधी?

राहुल गांधी का दावा है, वो बीजेपी की नफरत की राजनीति के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलने लगे हैं. कहते हैं, बीजेपी हिंदू और मुस्लिम को बांटती है, लेकिन कांग्रेस क्या कर रही है? वो भी तो हिंदुओं को जातियों में बांटने में जुटी हुई है - कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आने पर प्रचारित तो ऐसे ही किया जा रहा है.

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राहुल गांधी की कास्ट पॉलिटिक्स क्या लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोक पाएगी?
राहुल गांधी की कास्ट पॉलिटिक्स क्या लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोक पाएगी?

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की दो लिस्ट आ चुकी है. पहली लिस्ट में राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल सहित कुल 39 नाम शामिल हैं. और वैसे ही दूसरी लिस्ट में दो पूर्व  मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और कमलनाथ के बेटों सहित 43 नाम शामिल हैं. 

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कांग्रेस की दोनों ही लिस्ट जारी किये जाने वक्त एक कॉमन बात सुनने को मिली, और उस एक बात पर कुछ ज्यादा ही जोर दिखा. ये बात थी किस जाति के कितने उम्मीदवार हैं, जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया है. 

पहली सूची के बारे में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि 39 में से 24 उम्मीदवार एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक कैटेगरी से आते हैं, और 15 सामान्य वर्ग के हैं. दूसरी लिस्ट के बारे में केसी वेणुगोपाल बता रहे थे, सूची में 43 उम्मीदवारों में से 10 सामान्य वर्ग, 13 ओबीसी उम्मीदवार, 10 एससी उम्मीदवार, 9 एसटी उम्मीदवार और 1 मुस्लिम उम्मीदवार हैं. 

और फिर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया साइट X पर बताया कि कांग्रेस की लोकसभा उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में जो 43 प्रत्याशी हैं, उनमें 77 फीसदी दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक हैं.

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और इस बीच कांग्रेस की तरफ से सोशल मीडिया पर एक खास कैंपेन चल रहा है, 'गिने नहीं जाओगे, तो सुने नहीं जाओगे!' - और ‘बहुत हुई विनती, अब INDIA करेगा गिनती'.

2023 की चुनावी रैलियों में जातीय जनगणना की डिमांड और वादा जोर शोर से करने वाले राहुल गांधी भले ही क्षेत्रीय दलों की विचारधारा पर सवाल उठाते रहे हों, लेकिन अभी तो ऐसा लगता है वो आरजेडी और समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों के मंडल बनाम कमंडल को चुनावी मुद्दा बनाने में ही जी जान से जुटे हुए हों.

कांग्रेस की 'मंडल बनाम कमंडल' पॉलिटिक्स

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच सोशल मीडिया पर कांग्रेस कैंपेन चला रही है, 'गिनती नहीं तो न्याय नहीं.'

कैंपेन को लेकर कांग्रेस का कहना है, सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि देश के सभी महत्वपूर्ण निर्णय में हर समुदाय की पूर्ण भागीदारी होनी चाहिए... ये गिनती देश के सभी नागरिकों को देश की प्रगति में भागीदार बनाएगी, और देश के संसाधनों में उनकी हिस्सेदारी और उनके संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी.

और उसका फायदा समझाया जाता है, तभी अपने घरों और गांवों से लेकर दुनिया में कहीं भी हर भारतीय गर्व से अपना सिर ऊंचा रख सकता है... और सीना तानकर खड़ा हो सकता है... तभी हम एक देश के रूप में अपने देशवासियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए निष्पक्षता और समानता के रास्ते पर चल सकते हैं.

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जातिगत गणना का पहला मॉडल बिहार में सामने आया है. जातीय गणना के आंकड़ों को बिहार विधानसभा में भी पेश किया गया, और आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास हुआ - लेकिन सर्वे के तौर तरीके से लेकर जुटाये गये आंकड़ों और पेश किये गये नतीजे, सभी सवालों के घेरे में रहे. नीतीश कुमार ने कास्ट सर्वे महागठबंधन के मुख्यमंत्री रहते कराया था, और बाद में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की तरफ से पूरा श्रेय लेने की कोशिशें हुईं.

हर कोई बांट ही रहा है, अपना अपना हिसाब किताब है

1. 2023 के विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी अपनी रैलियों में कहा करते थे, कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश में जातीय जनगणना कराई जाएगी. विधानसभा चुनावों में उसका भले ही कोई असर न हुआ हो, लेकिन वो मुहिम लगातार चल रही है.

2. जातीय राजनीति की बदौलत कांग्रेस बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को काउंटर करने की कोशिश में है. आरएसएस और बीजेपी चाहते हैं कि हिंदू वोट एकजुट रहे, कांग्रेस की कोशिश है कि हिंदू वोटर बंट जाये - और बीजेपी को एकजुट वोट न पड़े. 

3. बीजेपी कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाती रही है, लेकिन जातीय राजनीति के मामले में कांग्रेस अब तक खुल कर इस तरह सामने नहीं आई है. ऐसी चीजें क्षेत्रीय दलों या उनके गठबंधन की तरफ से जरूर होती आई हैं, लेकिन कांग्रेस भी अब वही रास्ता अख्तियार कर रही है.

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4. यूपी और बिहार में वैसे भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दो साथी अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव को भी तो मंडल बनाम कमंडल का ही आसरा है - और लगता है बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस को भी वैसी ही उम्मीद नजर आ रही है. 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी पर राहुल गांधी देश में केरोसिन छिड़कने और नफरत फैलाने का आरोप लगाते हैं, और अपनी तरफ से दावा करते हैं कि वो बीजेपी की नफरत की राजनीति के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलने की कोशिश कर रहे हैं. 

राहुल गांधी का इल्जाम है कि बीजेपी हिंदू और मुस्लिमों को बांटती है, लेकिन सवाल तो ये भी उठता है कि कांग्रेस क्या कर रही है? आखिर कांग्रेस भी तो हिंदुओं को अलग अलग जातियों में बांटने की कोशिश कर रही है - बाकी चीजें छोड़ दें तो भी उम्मीदवारों की सूची आने पर कांग्रेस की तरफ से प्रचारित तो ऐसे ही किया जा रहा है.

बड़ा सवाल तो यही है कि क्या जातियों की राजनीति के सहारे राहुल गांधी बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 के बाद सत्ता में आने से रोक पाएंगे?

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