दिवाली में अभी हफ्ताभर का वक्त बाकी है, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण के चलते अभी से माहौल दमघोंटू हो गया है. दिल्ली में AQI लेवल कई जगह 500 तक पहुंच गया है. बच्चों के स्कूल बंद करने पड़े हैं - कई जगह लोग आंखों में जलन की शिकायत कर रहे हैं - और ये सिर्फ दिल्ली नहीं बल्कि नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे सभी इलाकों का भी एक जैसा हाल है.
प्रदूषण के कई कारण हैं, और इनमें से एक है पराली जलाया जाना. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीआर में प्रदूषण फैलाने के लिए जो फैक्टर जिम्मेदार हैं उनमें 44 फीसदी पराली की वजह से है. पराली तो यूपी और मध्य प्रदेश में भी कई जगह जलायी जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा ये काम पंजाब में होता है. पराली के साथ साथ पेट्रोल और डीजल गाड़ियों और कंस्ट्रक्शन से उड़ने वाली धूल जैसे भी कारण हैं जो दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा देते हैं.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों से हलफनामा दाखिल कर ये बताने को कहा है कि वे वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या उपाय कर रहे हैं. और इसके लिए एक हफ्ते की ही मोहलत दी गयी है. अगली सुनवाई 7 नवंबर को होनी है.
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण को दिल्ली हाईकोर्ट चिंताजनक बता चुका है. 2015 में हाई कोर्ट की टिप्पणी थी, यहां गैस चेंबर में रहने जैसा है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके मिश्र का कहना था कि पहले दिल्ली उनको आकर्षित करती थी, लेकिन वो रहने लायक नहीं रही.
49 दिन की सरकार चलाने के बाद अरविंद केजरीवाल 2015 में दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे, और तभी से हर साल दिल्ली में प्रदूषण के लिए वो पंजाब, हरियाणा और केंद्र की सरकारों को जिम्मेदार बताया करते थे - ये भी विडंबना ही है कि न तो दिल्ली में प्रदूषण का हाल बदला है, न ही अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों की राजनीतिक पैंतरेबाजी.
पंजाब चुनाव में किया गया केजरीवाल का वादा अब भी अधूरा
अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनाव में जो वादा किया था वो तो अब तक अधूरा है ही, नये चुनावी वादों के साथ वो मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी लेते गये हैं - और सवाल उठ रहा है कि पंजाब में पराली जलाये जाने की वजह से दिल्ली में हालत गंभीर हो चुकी है, लेकिन दोनों मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. बीजेपी नेता तो कह रहे हैं कि केजरीवाल और मान सैर सपाटे पर निकले हुए हैं.
1. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान अरविंद केजरीवाल कहा करते थे कि अगर वो वहां भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन गयी तो दिल्ली में प्रदूषण खत्म हो जाएगा. ये तो नहीं कहेंगे कि इसी मुद्दे पर वो चुनाव जीत गये, और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार भी बन गयी - लेकिन दिल्ली के लोग तो उनसे चुनावी वादों पर खरे उतरने की अपेक्षा रखते ही हैं.
2. एक प्रेस कांफ्रेंस में 4 नवंबर, 2023 को अरविंद केजरीवाल का कहना था, पंजाब में अभी हमारी सरकार को सिर्फ 6 महीने हुए हैं... काफी समस्याएं थीं... बहुत सारे माफिया काम कर रहे थे, उनमें से कई माफियाओं को कंट्रोल किया है... पराली पर भी भगवंत मान की सरकार ने कई सारे कदम उठाये हैं.
अरविंद केजरीवाल का दावा था कि एक साल में सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन ठीक एक साल बाद भी सब कुछ वैसे ही नजर आ रहा है. तब अरविंद केजरीवाल ने कहा था, हमें पहले साल में कुछ महीने मिले... हमने कई कदम उठाये हैं... कुछ में हम सफल रहे, लेकिन पूरी सफलता नहीं मिली... मुझे उम्मीद है कि अगले साल तक पराली जलाने की घटना में कमी आएगी.
इंडिया टुडे DIU की रिपोर्ट के मुताबिक, ठीक एक साल पहले पंजाब में पराली जलाने की 3634 घटनाएं दर्ज की गयी थीं, और अब ये घट कर 1668 पर आ चुकी है. इंडिया टुडे से बातचीत में दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि पिछले साल की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 50 फीसदी की कमी आयी है. गोपाल राय ने बताया, जब उत्तर-पूर्व से हवा चलती है तो पंजाब के पराली का प्रभाव दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ जाता है... अभी हवा बिल्कुल नहीं चल रही है... अभी जो स्मॉग बन रहा है, दिल्ली-एनसीआर की ऐसी स्थितियां है, और उसी का असर है.
पहले पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, अब चारों तरफ बीजेपी का शासन
आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी तो पंजाब में अकाली दल और बीजेपी की गठबंधन सरकार थी, और हरियाणा में तभी से बीजेपी की सरकार है. 2017 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार बन गयी, और 2022 से आम आदमी पार्टी की सरकार है - अरविंद केजरीवाल और उनके साथी अब कांग्रेस को तो कुछ कह नहीं सकते, और पंजाब में भी अपनी सरकार का बचाव करना है, ऐसे में दिल्ली में प्रदूषण के लिए सारी तोहमत बीजेपी पर मढ़ दे रहे हैं.
इंडिया टुडे से बातचीत में गोपाल राय दिल्ली में प्रदूषण के लिए आम आदमी पार्टी से ज्यादा बीजेपी सरकारों को जिम्मेदार ठहरा रहे थे. गोपाल राय का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण इसलिए नहीं खत्म हो रहा है क्योंकि पूरे एनसीआर में डीजल की गाड़ियां, जेनरेटर और ईंट के भट्ठे चलते हैं - और इन सबके लिए दिल्ली सरकार के मंत्री यूपी और हरियाणा के साथ साथ केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने ये भी बताया कि देश के सबसे प्रदूषित रहे 52 जिलों में 20 हरियाणा के हैं और पंजाब के सिर्फ 2 जिले हैं. दिल्ली प्रदूषण पर गोपाल राय ने अधिकारियों के साथ मीटिंग की और फिर प्रेस कांफ्रेंस भी की. गोपाल राय का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण के सिर्फ 31 फीसदी ही सोर्स हैं, बाकी 69 फीसदी एनसीआर के हैं.
और फिर AAP नेता समझाते हैं कि चारों तरफ बीजेपी का राज है. कहते हैं, केंद्र में बीजेपी की सरकार है, हरियाणा में बीजेपी की सरकार है, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. उनका दावा है कि दो महीने से दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के तमाम उपाय कर रही है. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए किये गये उपायों को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की थी.
अपनी सरकार के घिरने पर गोपाल राय सवाल उठा रहे हैं कि केंद्रीय पर्यावर्ण मंत्री का अता पता नहीं हैं. हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्रियों का भी कोई अता पता नहीं है. फिर हाथ भी खड़े कर देते हैं, जब तक केंद्र सरकार सक्रिय नहीं होगी, सिर्फ दिल्ली की सरकार की सक्रियता से क्या नतीजा निकलेगा.
कोविड 19 के दौरान भी दिल्ली सरकार का ऐसा ही रवैया दिखा था. जब अरविंद केजरीवाल चौतरफा घिर गये तो हाथ खड़े कर दिये, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हालात का हैंडओवर दे दिये - और तब तो अरविंद केजरीवाल के मुंह से ये भी सुनने को मिला था कि उन्होंने अमित शाह से बहुत कुछ सीखा है.
निश्चित तौर पर आम आदमी पार्टी मुसीबतों से घिरी हुई है. अरविंद केजरीवाल ने कानूनी और राजनीतिक तरीके से प्रवर्तन निदेशालय के समन का जवाब तो दे दिया है, लेकिन खतरा नहीं टला है. राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, और पार्टी के दो मजबूत नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में हैं - लेकिन दिल्ली में सरकार का मुखिया होने के नाते प्रदूषण रोकने की जिम्मेदारी भी तो अरविंद केजरीवाल की ही बनती है.