दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का सीधा मुकाबला तो भारतीय जनता पार्टी से है, लेकिन कांग्रेस भी उसी शिद्दत से चुनाव लड़ने का संदेश देने की कोशिश कर रही है. सियासी हकीकत अलग भी हो सकती है.
बेशक आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन दिल्ली में इंडिया ब्लॉक की लड़ाई सिर्फ इतनी ही नहीं है - क्योकि, अब तो ममता बनर्जी और अखिलेश यादव भी मैदान में कूद पड़े हैं.
ये तो इंडिया ब्लॉक में नई बगावत है
हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए ममता बनर्जी और उनके साथियों ने कमान बदलने की डिमांड रख दी थी - और देखते ही देखते लालू यादव और शरद पवार भी साथ खड़े हो गये. अखिलेश यादव भी. लालू यादव ने तो ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व सौंप दिये जाने की मांग भी कर डाली थी.
लोकसभा चुनाव दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं हो पाया, और दोनो ही दलों ने अलग अलग चुनाव लड़ने की पहले ही घोषणा कर दी थी.
अब अरविंद केजरीवाल ने सोशल साइट X पर एक पोस्ट लिखकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिल्ली चुनाव में सपोर्ट देने के लिए धन्यवाद दिया है. लिखते हैं, टीएमसी ने दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है… मैं निजी तौर पर ममता दीदी का आभारी हूं… धन्यवाद दीदी… आपने हमेशा हमारे अच्छे और बुरे वक्त में हमारा साथ दिया और हमें आशीर्वाद दिया है.
कांग्रेस के लिए मुश्किल वाली बात महज इतनी ही नहीं है, ममता बनर्जी की ही तरह समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया है.
और अरविंद केजरीवाल ने ममता बनर्जी की ही तरह अखिलेश यादव का भी शुक्रिया अदा किया है. कहा है, बहुत बहुत शुक्रिया अखिलेश जी… आपका हमेशा हमें सपोर्ट और साथ मिलता है… मैं और दिल्ली की जनता आपकी आभारी है.
अखिलेश यादव ने आम आदमी पार्टी के समर्थन के साथ साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव न लड़ने की भी बात कही है, जो हाल के चुनावों से अलग स्टैंड दिखा रहा है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव का स्टैंड बिल्कुल अलग था. हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीटें न मिलने पर तो वो नाराज भी हुए थे - और करीब करीब वैसी ही नाराजगी महाराष्ट्र चुनाव में सिर्फ दो सीटें मिलने पर भी रही.
दिल्ली चुनाव में अखिलेश यादव ने एक तीर से डबल शिकार किया है. आम आदमी पार्टी को सपोर्ट देना तो यही बता रहा है कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस के विरोध में खड़ी हो गई है.
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़े थे, और यूपी में हुए हाल के उपचुनावों में भी अपने उम्मीदवार न उतार कर कांग्रेस ने एक तरीके से समाजवादी पार्टी का सपोर्ट ही किया था - और मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर भी कांग्रेस का वही स्टैंड बरकरार है.
कहने को तो इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, टीएमसी और आम आदमी पार्टी सभी हैं, लेकिन दिल्ली चुनाव तो अलग ही तस्वीर दिखा रहा है.
अच्छा होता कांग्रेस भी केजरीवाल का सपोर्ट कर देती
शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आंबेडकर पर दिये बयान को मुद्दा बनाने कोशिश हुई थी. जिसमें कांग्रेस आगे बढ़कर विरोध प्रदर्शन कर रही थी, और उसी दौरान उसे समाजवादी पार्टी और टीएमसी का भी साथ मिला. तब ऐसा लगा कि कांग्रेस की इंडिया ब्लॉक में पुराने प्रभाव के साथ वापसी हो गई है - लेकिन, दिल्ली चुनाव तो अलग ही आईना दिखा रहा है.
सबसे बड़ा विरोधाभास तो मिल्कीपुर उपचुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर दिखाई पड़ रहा है. अखिलेश यादव भले ही दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के विरोध भी खड़े हो गये हों, लेकिन मिल्कीपुर उपचुनाव में कांग्रेस समाजवादी पार्टी को समर्थन दे रही है. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का कहना है, कांग्रेस पूरी ताकत से दिल्ली में चुनाव लड़ रही है... हम वहां जीतेंगे और सरकार बनाएंगे... मिल्कीपुर में हम अपने सहयोगी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को पूरा समर्थन देंगे.
अच्छा तो ये होता कि राहुल गांधी की कांग्रेस दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का सपोर्ट कर देती - और कुछ न सही, कम से कम इंडिया ब्लॉक की अंदरूनी लड़ाई तो थम जाती.