मुख्यमंत्री आतिशी को दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना की नये साल पर एक पत्र लिखकर बधाई दी है. एलजी सक्सेना की चिट्ठी में बधाई के साथ साथ और भी बहुत कुछ है. एलजी ने हफ्ता भर पहले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को भी एक चिट्ठी लिखी थी - दोनो चिट्ठियों की बातें बिल्कुल अलग अलग हैं.
अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी में एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली के कई इलाकों में गंदगी और बदइंतजामी पर सवाल उठाते हुए सड़कों पर निकल कर हालात का जायजा लेने की सलाह दी थी. आतिशी को लिखी चिट्ठी में वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री के काम की सराहना की है, और अरविंद केजरीवाल के काम करने की शैली की कड़ी आलोचना की है.
उप राज्यपाल वीके सक्सेना का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की तरफ से आतिशी को अस्थाई-मुख्यमंत्री बताया जाना उनको बेहद नागवार गुजरा है, और वो उस बात से बहुत आहत हैं - जवाब में आतिशी ने उप राज्यपाल को गंदी राजनीति से बाज आने को कहा है.
एलजी की हमदर्दी, मुख्यमंत्री की चेतावनी
एलजी वीके सक्सेना ने आतिशी को नये साल की बधाई देते हुए कहा है कि अपने ढाई साल के कार्यकाल में पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री को काम करते देखा है. एलजी ने अरविंद केजरीवाल के 'चीफ मिनिस्टर विदाउट पोर्टफोलियो' पर कटाक्ष किया है. आतिशी को भेजी चिट्ठी में लिखते हैं, पहले मुख्यमंत्री के पास एक भी विभाग नहीं था, जबकि आप कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल रही हैं.
आपको याद होगा, तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. फिर मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के नाम पर मुहर लगी, लेकिन घोषणा के वक्त ही बता दिया गया कि वो अस्थाई मुख्यमंत्री हैं, और चुनाव जीतने के बाद फिर से अरविंद केजरीवाल ही मुख्यमंत्री बनेंगे. बाद में जब आतिशी ने कार्यभार संभाला तो अरविंद केजरीवाल की कुर्सी के बगल में अपनी लिए नई कुर्सी लगवाई, और उस पर बैठकर काम करती हैं.
उसी बात को लेकर उप राज्यपाल ने पत्र में लिखा है, कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आपको सार्वजनिक रूप से अस्थाई और कामचलाऊ मुख्यमंत्री कहा... ये मुझे बहुत आपत्तिजनक लगा... और मैं इससे आहत हूं... ये न केवल आपका बल्कि आपको नियुक्त करने वाली भारत की राष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधि के रूप में मेरा भी अपमान है.
अपने जवाब में आतिशी ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है, 'आप गंदी राजनीति करने की जगह दिल्ली की बेहतरी पर ध्यान दीजिए... अरविंद केजरीवाल जी ने साढ़े नौ साल दिल्ली की बेहतरी के लिए काम किया है. मैं अरविंद केजरीवाल जी के दिखाए रास्ते पर सरकार चला रही हूं.'
और फिर, उप राज्यपाल के ही लहजे बताया है, दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को बार-बार जिताया... आपने महिला सम्मान योजना में अड़ंगा डाला... महिला होने के नाते मैं निजी रूप से आहत हूं.
उप राज्यपाल के पत्र का आशय कैसे समझें?
उप राज्यपाल भले ही आतिशी से हमदर्दी जताने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन 15 अगस्त, 2024 का वाकया तो वो भी नहीं भूली होंगी. अरविंद केजरीवाल के जेल चले जाने के बाद सबसे सीनियर मंत्री के रूप में आतिशी ही सारे कामकाज देख रही थीं. तब अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में हर साल बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल झंडा फहराते आ रहे थे, लेकिन जेल में होने के कारण ऐसा संभव नहीं था. अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की तरफ से तय हुआ था कि आतिशी ही उनकी जगह झंडा फहराएंगी, लेकिन उप राज्यपाल ने नामंजूर कर दिया था.
उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने तब गृह विभाग के मंत्री रहे कैलाश गहलोत को झंडा फहराने के लिए अधिकृत किया था. अब अगर आम आदमी पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर पाती या चुनाव जीतने के बाद अरविंद केजरीवाल खुद या किसी और को मुख्यमंत्री बना देते हैं तो भी आतिशी को झंडा फहराने का मौका नहीं मिलने वाला है. आतिशी उस बात को भला कैसे भुला पाएंगी कि वीके सक्सेना ने ही उनको झंडा फहराने से रोक दिया था.
और जिस कैलाश गहलोत को वीके सक्सेना ने अधिकृत किया था, वो आज की तारीख में बीजेपी के नेता हैं, और दिल्ली चुनाव में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. सिंपल सी पॉलिटिक्स है, समझने के लिए बस थोड़ा देने की जरूरत है.
1. क्या एलजी वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री आतिशी को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भड़काना चाहते हैं? जिस तरह से चिट्ठी में आतिशी के कामकाज की तारीफ की गई है. जिस तरह से उनको अस्थाई मुख्यमंत्री बताये जाने की याद दिलाकर सहानुभूति जताई गई है - ये सब तो आतिशी को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भड़काने का ही इरादा जाहिर करता है.
2. क्या उप राज्यपाल वास्तव में केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहे हैं, आतिशी को भेजी गई चिट्ठी में लिखी बातों से तो ऐसा ही लगता है. उप राज्यपाल ने भी वैसे ही दौरा करने के बाद वीडियो शेयर किया है, जैसे राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल करती रहती हैं. स्वाति मालीवाल पर भी अरविंद केजरीवाल की टीम बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है.
अगर उप राज्यपाल का इरादा आतिशी को भड़काना ही है, तो आम आदमी पार्टी के वे आरोप सही लगेंगे कि एलजी केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के इशारे पर काम करते हैं.
3. मुमकिन है, आतिशी को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भड़काकर नये विकल्प तलाशने के लिए उकसाने की कोशिश हो रही हो. लेकिन, आतिशी भी जानती हैं कि कोई और पार्टी उनको ऐसा मौका तो देने से रही. बीजेपी में भले ही दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की टक्कर कोई नेता न हो, लेकिन जो भी हैं, वे इतने सक्षम तो हैं ही कि आतिशी अगर उस दिशा में सोचें भी तो रास्ते में रोड़ा अटका दें.
ये सही है कि अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों की तरफ से आतिशी को अस्थाई मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया गया था, और ये बात वैसे भी कोई अच्छे रूप में नहीं लिया था. लेकिन, ये तो किसी भी राजनीतिक पार्टी का हक है कि वो कैसी रणनीति तैयार करती है. हो सकता है, अरविंद केजरीवाल को लगता हो, कहीं आतिशी के नाम पर दिल्ली के लोग पार्टी को वो सपोर्ट न दें जो अब तक मिलता आ रहा है, इसलिए भी वो आतिशी के अस्थाई मुख्यमंत्री होने की बात प्रचारित करा रहे हों. रही बात साथियों को महत्व देने की तो ये भी जगजाहिर है कि काम निकल जाने के बाद अरविंद केजरीवाल भी किसी की परवाह नहीं करते. साथी नेताओं के साथ भी वो यूज-एंड-थ्रो वाली ही व्यवहार करते हैं.
महिला सम्मान योजना के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए अरविंद केजरीवाल लोगों के पास गये थे तो आतिशी भी मौके पर मौजूद थीं. और, पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना को लेकर भी पहले से ही बता दिया था, 'आज कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर से मैं अपनी पत्नी के साथ पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का शुभारंभ करूंगा... आतिशी जी करोल बाग स्थित गुरुद्वारे से इस योजना का शुभारंभ करेंगी.'