एक्स (ट्वीटर) पर आज पांचवें दिन भी देवरिया हत्याकांड की ही सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. प्रेम यादव टॉप ट्रेंड पर है. ये वही प्रेम यादव हैं जिसकी हत्या सत्यप्रकाश दुबे के घर के बाहर हो गई. बदले में पूरा गांव जुटकर पंडित परिवार के 5 सदस्यों को लिंच कर दिया. प्रमुख आरोपी यादव जाति से ही हैं. मारने वालों के दिल में इस परिवार के खिलाफ इतनी नफरत थी कि 8 साल और 12 साल के बच्चों को भी नहीं बख्शा गया. अब दोनों पक्षों के लोग न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं. यादव परिवार के समर्थकों का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए इसलिए वे शायद ट्वीटर (एक्स) पर हर रोज प्रेम यादव के नाम से ट्रेंड करा रहे हैं. ब्राह्णण परिवार को न्याय दिलाने वाले शायद इस मामले में कमजोर पड़ गए हैं क्योंकि पहले दिन ब्राह्मण नाम से ट्रेंड हुआ था उसके बाद से केवल प्रेम यादव ही दिख रहे हैं. पर न्याय दिलाने के नाम पर जो डिमांड हो रही है उसे लेकर पूर्वी यूपी में ब्राह्मण और यादवों के बीच मन ही मन एक दूसरे के खिलाफ नफरत का माहौल पनप रहा है. इस संघर्ष में जहां समाजवादी पार्टी अपने कोर वोटरों यादवों के साथ खुलकर खड़ी हो गई है वहीं ब्राह्मण परिवार के साथ स्थानीय बीजेपी नेता शलभमणि खड़े दिख रहे हैं.इसी बहाने आने वाले चुनावों के लिए पूर्वी यूपी में एजेंडा भी सेट हो रहा है.
समाजवादी पार्टी के लोग प्रेम यादव की गलती मानने को तैयार नहीं
समाजवादी पार्टी से जुड़े तमाम लोग लगातार ट्टीटर पर प्रेम यादव के परिवार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं.ये लोग समाजवादी पार्टी का सदस्य होने का दावा करते है या पार्टी से किसी न किसी तरह से जुड़े होने की बात करते हैं.आरजेडी के सोशल मीडिया हैंडल देखने का दावा करने वाले लोग भी एक्स पर हर रोज प्रेम यादव को ट्रेंड कराने का बीड़ा उठाए हुए हैं. इन लोगों का कहना है कि प्रेम यादव निर्दोष था. प्रेम यादव की पत्नी का एक विडियो का यूज दोनों पार्टियां कर रही हैं. विडियो में प्रेम यादव की पत्नी कहती हैं कि सत्यप्रकाश दूबे परिवार के सामूहिक हत्याकांड में बचे जीवित बच्चों को मारकर उन्हें न्याय मिलेगा. तो दूसरी ओर इसी विडियो को सत्यप्रकाश दूबे परिवार के लिए न्याय की मांग करने वालों का कहना है कि तीन बच्चों और उसके मां बाप को मारकर भी इन्हें न्याय नहीं मिला अब बचे बच्चों को मारने की ये कैसी है डिमांड. प्रेम यादव को ट्रेंड कराने वाले लगातार गांव वालों का विडियो दिखा रहे हैं जिनमें गांव वाले यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि प्रेम यादव निर्दोष था. सत्यदेव दूबे परिवार के समर्थक दोनों के घरों की फोटो को ट्वीट कर रहे हैं कि जिसमें प्रेम यादव का दो मंजिला पक्का मकान दिख रहा है जबकि सत्यप्रकाश दूबे का झोपड़ी टाइप मकान.
बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दोनों तरफ से दबाव
यूपी में योगी सरकार में जैसा कि होता आया है कि खूंखार अपराधियों के परिवार पर पुलिस तुरंत एक्शन लेती है और बुलडोजर चलवा देती है.ब्राह्मण परिवार को न्याय दिलाने की बात करने वालों को उम्मीद है कि योगी सरकार जल्द ही आरोपियों के ठिकानों पर बुलडोजर चलवाएगी.सत्यप्रकाश दूबे परिवार में जीवीत बचे देवेश दूबे कहते हैं सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए. प्रेम यादव के घरों पर बुलडोजर चलना चाहिए . सरकार चाहे तो मेरे घर पर भी बुलडोजर चला सकती है. देवरिया के बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी दूबे परिवार को न्याय दिलाने के लिए घटना के दिन से ही दिन रात एक किए हुए हैं. शायद यही कारण है कि ट्वीटर पर समाजवादी पार्टी के समर्थकों के गुस्से का शिकार भी सबसे अधिक वे ही हो रहे हैं. दूबे परिवार के हत्यारोपी पर की अवैध संपतियों पर बड़ी कार्रवाई की बात खुलकर कर बोल रहे हैं. शलभ मणि ने आज तक डिजिटल से बातचीत में बताया कि सपा का जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव एक भूमाफिया था. जमीन को लेकर सत्यदेव दुबे परिवार की बेरहमी से हत्या हुई. प्रेम यादव परिवार ने ग्राम समाज आदि की जमीन भी कब्जा की हुई है.सरकार ऐसे भूमाफियाओं पर जल्द एक्शन लेगी.
समाजवादी पार्टी के एकमात्र नेता विनय शंकर तिवारी ही हैं जो सत्यप्रकाश दूबे परिवार में बचे देवेश दूबे से मिलने मेडिकल कॉलेज गोरखपुर पहुंचे.दरअसल विनय शंकर माफिया टर्न पॉलिटिशियन हरिशंकर तिवारी के पुत्र हैं. हरिशंकर तिवारी जब तक जिंदा रहे पूर्वी यूपी के ब्राह्मणों के सर्वमान्य लीडर रहे. एक समय था कि करीब सभी पार्टियों के राज में उनकी कैबिनेट सीट पक्की रहती थी. विनय शंकर उनकी लीगेसी संभाल रहे हैं. गोरखपुर और देवरिया के तमाम ब्राह्मणों को उम्मीद थी कि वो पार्टी की सीमारेखा लांघकर दूबे परिवार को सांत्वना देने जरूर पहुंचेंगे. आज तक डिजिटल से बात करते हुए विनय शंकर तिवारी कहते हैं कि बुलडोजर चलाने से न्याय नहीं मिलेगा. न्याय तब मिलेगा जब सरकार कोई जांच आयोग बनाकर ये पता लगाए कि प्रेम यादव को किसने मारा. प्रेम यादव दबंग आदमी था उसकी हत्या सत्यप्रकाश दूबे जैसा कमजोर आदमी कैसै कर सकता है. जिन कर्माचारियों की लापरवाही के चलते सत्यप्रकाश की शिकायत नहीं सुनी गई उनके खिलाफ केस दर्ज हो तब असली न्याय मिलेगा. न्याय करना है तो कम से कम 5 करोड़ का मुआवजा सरकार देवेश दूबे को दे.
अखिलेश यादव ने बहस और भड़का दी
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रतापगढ़ में पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने देवरिया कांड पर जो कुछ कहा उससे क्लियर कर दिया उनकी पार्टी किसके साथ है. उन्होंने कहा कि "रिपोर्टों से पता चला है कि यह कांड एक हत्या का बदला लेने के लिए किया गया.अखिलेश यादन ने यह कहकर सत्यप्रकाश दूबे परिवार के साथ प्रेम यादव के परिवार के लिए सॉफ्ट कॉर्नर दिखा दिया. उन्होंने कहा कि "सपा का प्रतिनिधिमंडल दोनों पक्षों के पीड़ित परिवारों से मिलकर सच्चाई को जल्द सामने लाएगा. सपाई हमेशा न्याय के लिए लड़ते रहेंगे." अखिलेश ने कहा, "ये सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है. अगर ऐसी बात है जो-जो अधिकारी देवरिया में रहे हैं, जिनके चलते दोनों परिवारों को न्याय नहीं मिला. DM, SP, IG और DIG से लेकर लेखपाल तक क्यों न हों, हर जिम्मेदार अफसर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.जरूरत पड़े तो उन्हें टर्मिनेट कर देना चाहिए. परिवार के लोगों की शिकायतों को सुना ही नहीं गया.
हत्याकांड के पोस्टमॉर्टम में सोशल इंजीनियरिंग
2022 में हुए विधानसभा चुनावों में आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया से बीजेपी साफ हो गई थी.कहा गया कि पिछड़ी जातियों का वोट न मिलने के चलते ऐसा हुआ है.फिलहाल बीजेपी ने इसी के चलते दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी में वापसी कराई है.पर घोसी उपचुनाव का परिणाम बीजेपी के लिए अपेक्षित नहीं रहा.अब यादव और ब्राह्मणों के बीच अगर ये संघर्ष लंबा खिंचता है तो ये किस पार्टी के फेवर में जाएगा इसका लाभ लेने की तैयारी में सभी जुट गए हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से पूर्वी यूपी के ब्राह्मण पिछले चुनावों में नाराज थे. हालांकि ब्राह्मणों का अधिकतर वोट फिर भी बीजेपी को ही गया है, पर जहां दूसरी पार्टियों के ब्राह्मण कैंडिडेट मजबूत थे वहां उनका वोट बंटा भी. पर इस घटना के बाद से ब्राहमणों की नाराजगी कम हो सकती है. जिस तरह समाजवादी पार्टी खुलकर यादव परिवार के साथ आ गई है उससे स्थानीय ब्राह्मणों में स्पष्ट नाराजगी है. अखिलेश यादव ने विकास की राजनीति करके बड़ी मेहनत से अपनी इमेज सवर्णों में बनाई थी. इस घटना को लेकर जिस तरह समाजवादी पार्टी गोलबंद हो रही है उससे ब्राह्मणों के साथ अतिपिछड़ों का वोट भी खिसक कर एक बार फिर से बीजेपी की ओर जा सकता है.गोरखपुर में एक राष्ट्रीय दैनिक के संपादक रह चुके दिनेश पाठक कहते हैं कि मुद्दे पर राजनीति होना तय है. पर यह इस पर तय करेगा कि समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को कहां तक ले जाती है. अगर यह मुद्दा लोकसभा चुनावों को जिंदा रह गया तो महाराजगंज से लेकर बनारस तक प्रभावी होगा.और जाहिर है कि बीजेपी अपने संसाधनों के बल पर इसका लाभ उठा लेगी.