देवेंद्र फडणवीस अगर समंदर हैं, तो एकनाथ शिंदे भी कोई कम नहीं हैं. जैसे देवेंद्र फडणवीस ने डंके की चोट पर समंदर की तरह महाराष्ट्र की राजनीति में वापसी की है, एकनाथ शिंदे भी उसी अंदाज में लगातार चैलेंज कर रहे हैं.
9 फरवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का बर्थडे था. समर्थकों ने अपने नेता का बर्थडे मनाने के लिए बड़ा सा केक तो ला दिया, लेकिन चाकू लाना भूल गये. जब चाकू नहीं मिल रहा था, तो एकनाथ शिंदे ने अपने आईफोन से ही केक काट दिया - और ये वीडियो अब वायरल हो गया है.
क्या एकनाथ शिंदे अब राजनीति भी इसी अंदाज में करने लगे हैं? और क्या इसीलिए देवेंद्र फडणवीस के लिए एकनाथ शिंदे लगातार चुनौती बने हुए हैं?
हाल फिलहाल देवेंद्र फडणवीस को कभी राज ठाकरे से घर जाकर मिलते देखा जा रहा है, तो कभी उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के नेताओं से उनके मिलने की खबर आती है.
अव्वल तो शिवसेना को टूट जाने और उद्धव ठाकरे के बर्बादी की कगार पर पहुंच जाने के बाद बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस की मुश्किलें खत्म हो जानी चाहिये थीं, लेकिन हाल के घटनाक्रम तो यही बता रहे हैं कि सब कुछ हो जाने के बाद भी लगता है जैसे कुछ भी नहीं बदला हो.
आखिर देवेंद्र फडणवीस चाहते क्या हैं? एकनाथ शिंदे से वो आर या पार ही क्यों नहीं कर लेते - डर किस बात का है?
शिंदे की नाराजगी खत्म क्यों नहीं हो रही है
एकनाथ शिंदे तो महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे आने वाले दिन से ही नाराज हैं. नाराजगी तो उनकी और पहले भी शुरू हो गई होगी, जब अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था, फिलहाल तो एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री हैं.
अमित शाह का बयान अपनेआप में नतीजे आने से पहले ही बीजेपी की तरफ से साफ साफ इशारा था. लेकिन, चुनाव नतीजे आने के बाद भी एकनाथ शिंदे ने अलग अलग तरीके से अपनी नाराजगी जाहिर की. एक दिन तो रूठ कर अपने पैतृक गांव ही चले गये थे.
मुख्यमंत्री न बनाये जाने से ही नहीं, बल्कि एकनाथ शिंदे इसलिए भी नाराज हैं कि उनको गृह मंत्रालय नहीं मिला, और अजित पवार को उनका पसंदीदा वित्त मंत्रालय दे दिया गया.
और एकनाथ शिंदे की ये नाराजगी सरकारी बैठकों में भी महसूस की जा रही है. कभी वो देवेंद्र फडणवीस की बैठक से पूरी तरह दूरी बना लेते हैं, तो कभी ऑनलाइन जुड़ते हैं. मतलब, आमने सामने होने से परहेज करने लगे हैं. लेकिन, मुख्यमंत्री की बुलाई उस बैठक में भी शामिल न होना जो एकनाथ शिंदे के मंत्रालय से जुड़ी हो, देवेंद्र फडणवीस को परेशान तो करेगी ही - और वो फील्ड में भी नजर आ रहा है.
सुनने में आ रहा है कि विभागों में देवेंद्र फडणवीस की तरफ से की जा रही नियुक्तियों को लेकर भी नाराजगी है. और, ऐसे ही देवेंद्र फडणवीस के एक आदेश को लेकर भी टकराव हो रहा है, जिसके तहत सभी महत्वपूर्ण फाइलों को कैबिनेट में पेश किये जाने से पहले मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाना अनिवार्य कर दिया गया है. पहले विभागों की फाइलें सीधे कैबिनेट की मीटिंग में आया करती थीं.
महाराष्ट्र में बीजेपी की मुश्किलें खत्म क्यों नहीं हो रही हैं?
1. बीजेपी महाराष्ट्र में 132 सीटें जीतने के बाद सबसे बड़ी पार्टी ही नहीं है, बहुमत के लिए उसे महज 13 विधायकों की जरूरत है - और अजित पवार पूरी तरह बीजेपी के साथ हैं.
फिर भी बीजेपी को एकनाथ शिंदे के साथ बने रहने की जरूरत क्यों लग रही है?
2. MNS प्रमुख राज ठाकरे और सेना-यूबीटी के नेताओं से मिलना बता रहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना के खिलाफ बीजेपी मिशन अभी अधूरा ही है.
निशाने पर नेता बदल गया है, लेकिन हालात नहीं बदले हैं. ऐसा लगता है जैसे उद्धव ठाकरे की जगह अब एकनाथ शिंदे ने ले ली है - और बीजेपी की चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं.
3. विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी को अपनी महाराष्ट्र में अपनी जमीन कमजोर क्यों लग रही है?
4. आखिर देवेंद्र फडणवीस को एकनाथ शिंदे से क्या डर है कि वो उनका असर खत्म करने के प्रयास में जुटे हैं - क्या आने वाले बीएमसी चुनावों को लेकर बीजेपी के मन में किसी तरह का डर पैदा हो गया है?
5. क्या बीजेपी को अब एकनाथ शिंदे की शिवसेना के अंदर से भी एक और एकनाथ शिंदे की तलाश है?