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कांग्रेस में बारात के घोड़ों को रेस में भेजने की हिमाकत कौन करता है? राहुल गांधी ने किसे बनाया निशाना?

राहुल गांधी कहते हैं कि कांग्रेस रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और बारात के घोड़े को रेस में भेज देती है. पार्टी में नेताओं की कमी नहीं है लेकिन वे बंधे हुए हैं. राहुल गांधी की यह सार्वजनिक फटकार किसके लिए थी?

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी

गुजरात में विधानसभा चुनाव अभी 2 साल बाद है. करीब 3 दशकों से यहां सत्ता में बीजेपी काबिज है. जबकि यहां भी पूरे देश की तरह कांग्रेस का ही वर्चस्व हुआ करता था. शायद यही कारण है कि कांग्रेस को लगता है कि यहां अगले विधानसभा चुनावों में उसके लिए कुछ अच्छा हो सकता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूरे उत्साह के साथ गुजरात पहुंचने के पीछे यही कारण हो सकता है. कांग्रेस अपनी प्रकृति के विपरीत 2027 में होने वाले इन चुनावों को लेकर गंभीर दिख रही है. आम तौर पर कांग्रेस सबसे लेट चुनावी कैंपेन, प्रत्याशियों की घोषणा आदि के लिए जानी जाती है. पर गुजरात में राहुल और कांग्रेस कुछ ज्यादा ही एक्टिव नजर आ रहे हैं. राहुल कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने गुजरात पहुंचे ताकि उनको आगामी विधानसभा चुनावों के लिए तैयार कर सकें. पर उन्होंने कुछ ऐसी बातें कि जिनके चलते कांग्रेस कार्यकर्ता मोटिवेट होने की बजाए डिमोटिवेट ज्यादा हुए होंगे.  

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1- राहुल के बयान से पार्टी में अंतर्कलह बढ़ने की आशंका

राहुल कहते हैं कि मैं कांग्रेस पार्टी का मेंबर हूं और स्टेज से मैं ये कहना चाहता हूं कि गुजरात को कांग्रेस पार्टी रास्ता नहीं दिखा पा रही है. उन्होंने आगे कहा, गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं. एक वो हैं, जो जनता के साथ खड़े हैं. जिसके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है.राहुल ने कहा, दूसरा वो हैं, जो जनता से दूर हैं. कटे हुए हैं और उसमें से आधे बीजेपी से मिले हुए हैं. जब तक हमने इन दोनों को अलग नहीं किया, तब तक गुजरात की जनता हम पर विश्वास नहीं कर सकती है. राहुल कहते हैं कि अगर हमें सख्त कार्रवाई करनी पड़ी. 10, 15, 20, 30 लोगों को निकालना पड़ा तो निकाल देना चाहिए. बीजेपी के लिए अंदर से काम कर रहे हो. चलो जाकर बाहर से काम करो. तुम्हारी वहां जगह नहीं बनेगी. वो तुमको बाहर फेंक देंगे. 

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दरअसल इस तरह की बातों से कोई भी ऑर्गेनाइजेशन अछूता नहीं होता है. राहुल गांधी के इस बयान का दुष्परिणाम यह होगा कि हर गुट दूसरे गुट को बीजपी की बी टीम साबित करने की कोशिश करेगा. सभी अपने विरोधी गुट को निपटाने के लिए बीजेपी से उसके संबंधों को साबित करने की कोशिश करेंगे. वैसे भी जो सरकार पिछले 30 सालों से सत्ता में है और आने वाले चुनावों में भी ऐसा नहीं लगता कि विपक्ष सत्ता में आ सकेगा. ऐसी परिस्थितियों में तमान नेताओं को अपने व्यवसायिक हितों को बचाए रखने के लिए कुछ ऐसे काम करने पड़ते हैं जिसके चलते सत्तारूढ़ दलों में भी उनकी पहुंच बनी रहे. राहुल के इस बयान के बाद पता चलेगा कई ऐसे पार्टी नेताओं पर गाज गिर गई जो लोग पार्टी के लिए तन मन धन से लगे हुए हैं. इंडियन एक्सप्रेस अपने सूत्रों के आधार पर लिखता है कि कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि राहुल का बयान कांग्रेस के लिए उल्टा भी पड़ सकता है. .. जो लोग अभी तक पार्टी नहीं छोड़ पाए हैं, वे जानते हैं कि बीजेपी में उनके लिए कुछ नहीं लेकिन व्यापार, रियल स्टेट और बीजेपी के सत्ता में होने के कारण उनके निजी हित हैं. इस बयान के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह को रोकना बेहद मुश्किल होगा.

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2- कौन इंतजार करता है 50 साल?

राहुल गांधी अगले विधानसभा चुनावों में जीत का दावा कर रहे हैं. वो अपने कार्यकर्ताओं को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयार होने के लिए इंस्पायर करने गए हुए हैं. पर कांग्रेस पार्टी को गुजरात में फिर से खड़ा करने के लिए कहते हैं कि उनका प्रोजेक्ट 50 साल का है .कोई भी पार्टी का लीडर अपने कार्यकर्ताओं से ऐसा कैसे कह सकता है? 

50 साल का समय बहुत होता है. आज कल की पीढ़ी के लिए तो 5 साल भी बहुत ज्यादा है. वैसे भी एक क्रांतिकारी शायर ने लिखा है कि जिंदा कौमें 5 साल का इंतजार नहीं करती हैं. और यहां तो राहुल गांधी 50 साल की बात कर रहे हैं. राहुल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गुजरात में कहते हैं कि यहां अभी चुनाव के बारे में बात नहीं करनी चाहिए. हमारा ये प्रोजेक्ट 50 साल का है, हमें अपनी पार्टी की विचारधारा को जनता से जोड़ना होगा. गांधी जी ने हमें जो सिखाया, जो सरदार पटेल ने सिखाया वही गुजरात में करना है.

3-हर पार्टियों में ऐसे लोग होते हैं, सबको साथ लेकर चलना होता है

राहुल गांधी कहते हैं कि गुजरात कांग्रेस की लीडरशिप में दो तरह के लोग हैं. उनमें से एक वो हैं जो जनता के साथ खड़े हैं, जिनके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है. दूसरे वे हैं, जो जनता से कटे हुए हैं, दूर बैठते हैं और उनमें से आधे बीजेपी से मिले हुए हैं. राहुल कहते हैं कि मेरी जिम्मेदारी है कि जो ये दो ग्रुप हैं इनको छांटना है.  ऐसे लोग जो पार्टी के भीतर बीजेपी की बी टीम की तरह बैठे हुए हैं उनके खिलाफ सख्ती से एक्शन लेना होगा.  दरअसल कोई भी दल विपक्ष में होता है तो बहुत से लोग इस तरह के होते हैं. पर राजनीति में सबको एक साथ लेकर चलना होता है. भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है . गुजरात में तीन दशक से सत्ता में हैं. पर वहां भी बहुत से लोग ऐसे होंगे जो चाहते होंगे की किसी तरह बीजेपी सत्ता से बाहर हो जाए. राजनीतिक नेतृत्व ऐसे लोगों को जानता भी है. पर जब तक पानी सर के ऊपर नहीं जाता सभी को एक साथ लेकर चला जाता है. कांग्रेस में ग्रुप 23 एक ऐसा ही गुट रहा है. उसमें से कई कांग्रेस के लिए बहुत अच्छा काम करने के लिए दिल से लगे हुए हैं. जाहिर है राहुल गांधी के इस आश्वासन के बाद या गुजरात से ऐसे लोगों को या तो पार्टी छोड़ना होगा या उन पर बीजेपी से मिले होने का आरोप लगाकर उन्हें खलनायक बना दिया जाएगा. 

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4-लोग काग्रेस को विकल्प मानने को क्यों तैयार होंगे

राहुल कहते हैं कि गुजरात फंसा हुआ है, यह आगे बढ़ना चाहता है. गुजरात की कांग्रेस पार्टी उसको रास्ता नहीं दिखा पा रही है. मैं ये बातें डरकर नहीं बोल रहा हूं और न शरमाकर बोल रहा हूं. मगर मैं आपके सामने ये बातें रखना चाहता हूं कि चाहे राहुल गांधी हों, चाहे जनरल सेक्रेटरी हों, हम गुजरात को रास्ता नहीं दिखा पा रहे हैं. हालांकि, राहुल गांधी ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सभा की थी. जब वे खुद ही सक्रिय नहीं रहे तो बाकी कांग्रेस से क्‍या उम्‍मीद करते हैं?

राहुल गांधी स्वीकार करने का साहस दिखाते हैं कि अगर हम गुजरात की जनता की रिस्पेक्ट करते हैं, तो साफ कहना पड़ेगा कि आज तक जनता की जो उम्मीदें हमसे थीं, मुझसे थीं, वे हम पूरी नहीं कर पाए. अगर ये नहीं बोलेंगे तो हमारा गुजरात की जनता से रिश्ता नहीं बनेगा. दरअसल 2022 में गुजरात में कई लोग बदलाव की बात कर रहे थे और ऐसे लोगों की संख्या लगभग 47.5 प्रतिशत थी. क्योंकि बीजेपी को मिले कुल वोट 52 प्रतिशत के करीब था. साफ है करीब 48 प्रतिशत ने बीजेपी को अपने नेतृत्व के लिए स्वीकार नहीं किया. पर 
आश्चचर्य यह भी है कि लोग कांग्रेस को विकल्प क्यों नहीं मान रहे थे? 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से 156 सीटें जीती थीं. वहीं, कांग्रेस 17 सीटों पर सिमट गई. पहली बार चुनाव लड़ रही AAP ने कांग्रेस का 13% वोट काट लिया. इतना ही नहीं चुनाव के साल भर बाद ही कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया. 2024 के लोकसभा चुनाव तक 4 विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। एक निर्दलीय विधायक ने भी भगवा पटका ओढ़ लिया. लोकसभा के साथ इन विधायकों की छोड़ी सीटों पर उपचुनाव हुए. भाजपा ने इन्हीं पूर्व विधायकों को उतारा और सभी ने जीत हासिल की. इस समय भाजपा के 161 विधायक हैं.

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5-रेस के घोड़े को बारात में भेजने के लिए जिम्मेदार कौन है? 

राहुल गांधी कार्यकर्ताओं से बात करते हुए एक वाकये का ज़िक्र करते हैं. उन्होंने अपनी ही पार्टी पर कहा कि कांग्रेस रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और बारात के घोड़े को रेस में भेज देती है. पार्टी में नेताओं की कमी नहीं है लेकिन वे बंधे हुए हैं. राहुल गांधी की यह सार्वजनिक फटकार किसके लिए थी. रेस के घोड़े को बारात का घोड़ा और बारात के घोड़े को रेस में लगाने का जिम्मेदार कौन है ? क्या इसके लिए कार्यकर्ता जिम्मेदार हैं? क्या इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जिम्मेदार हैं? क्या इसके लिए पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी जिम्मेदार हैं. इस सवाल का जवाब खुद राहुल के पास है. क्योंकि राहुल गांधी ही अब तक यह देखते रहे हैं. राजस्थान में सचिन पायलट को नेतृत्व नहीं देने में किसकी भूमिका थी, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू को कौन लड़ाता रहा? असम में हिमंत बिस्व सरमा और मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोकने के लिए राहुल गांधी ने क्या किया?

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