भारतीय जनता पार्टी में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की एंट्री पर संशय हो गया है. बताया जा रहा है कि कमलनाथ की जगह उनके बेटे सांसद नकुलनाथ की तो पार्टी में एंट्री हो सकती है पर कमलनाथ को बाहर ही रखा जाएगा.हालांकि कमलनाथ की गतिविधियां बता रही हैं कि वो बीजेपी में एंट्री के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिए हैं. जिस तरह 2 हफ्ते बाद संडे को कमलनाथ ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत किया और जिस तरह अपने पुत्र के साथ वो अयोध्या श्रीराम मंदिर में दर्शनार्थ पहुंच रहे हैं, वो उनकी इच्छा को दर्शा रहा है.अब चिंता केवल कमलनाथ के करीबी विधायकों को लेकर है. अलग गुट की मान्यता के लायक वोट मिल जाता है तो उन्हें लाने में आसानी होगी. सिख विरोधी दंगों में आरोपी होने के चलते अगर कमलनाथ की बीजेपी में सीधे एंट्री नहीं हो पाती है तो उन्हें दूसरे तरीके से साथ लाने की कोशिश होगी.
जो लोग बीजेपी में मोदी और शाह की कार्यशैली को जानते हैं उन्हें पता है कि किस तरह किसी को असेट बनाया जाता है. कमलनाथ पर सिख विरोधी दंगों का आरोप है. पर कमलनाथ कांग्रेस में हिंदू चेहरा रहे हैं. हनुमान भक्त की उनकी इमेज रही है. राम जन्मभूमि मंदिर उद्घाटन के समय ही कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने मंदिर उद्घाटन में जाने की बात की थी. दूसरी बात ये भी है कि सारा खेल वोटों की गणित का है. कांग्रेस पर सिख विरोधी दंगों के आरोप के बावजूद पंजाब में बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस मजबूत है. मतलब साफ है कि सिख विरोधी दंगों का असर पजाब की राजनीति में अब नहीं रह गया है. दूसरी बात यह भी है कि अगर कांग्रेस पार्टी से ठीक-ठाक विधायक टूटते हैं और उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा में अलग गुट का दर्जा मिल जाता है तो कमलनाथ एक नई पार्टी बनाकर बीजेपी को सपोर्ट कर सकते हैं. मतलब कि कमलनाथ को पार्टी में लाने के लिए बीजेपी के पास कई रास्ते हैं और अगर पार्टी के लिए वो फायदेमंद दिखते हैं तो बीजेपी उन्हें ंजरूर लाएगी. किसी विरोध के आगे पार्टी झुकने वाली नहीं है. वैसे विरोध भी कोई बड़े लेवल पर नहीं हो रहा है. फिलहाल अगर कमलनाथ नहीं भी बीजेपी में आते हैं और उनके बेटे को प्रवेश मिल जाता है तो भी बीजेपी के लिए बहुत कारगर होनी वाली है नाथ फैमिली का सपोर्ट.
कांग्रेस को कमजोर पार्टी, और राहुल गांधी को कमजोर नेता साबित करना
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बीजेपी के एक केंद्रीय नेता बताते हैं कि नाथ परिवार को पार्टी में लाने के दो महत्वपूर्ण कारण हैं पहला, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण के ठीक बाद बीजेपी में नाथ फैमिली के आने यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस इतनी बुरी तरह टूट चुकी है कि वह अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों और कद्दावर नेताओं को भी पार्टी में रख नहीं पा रही है. मतलब कि पार्टी के कद्दावर जनाधार वाले नेताओं की कांग्रेस में इज्जत नहीं रह गई है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यानि कि गांधी फैमिली अपनी पार्टी के जनाधार नेताओं का उपयोग करना नहीं जानती है. वहीं दूसरी ओर नाथ फैमिली के आने से जनता में संदेश जाएगा कि यह भाजपा अपने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले बहुत आगे और मजबूत है.
कांग्रेस को आर्थिक रूप से कमजोर करना
आधुनिक लोकतंत्र में पार्टी फंड इकट्ठा करना सबसे बड़ा काम बनता जा रहा है. अमेरिका से लेकर भारत तक में फंड जुटाना मतदाताओं के समर्थन जुटाने से भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है. कांग्रेस ही नहीं भारतीय जनता पार्टी में भी फंड इकट्टा करने वालों को शुरू से अधिक महत्व मिलता रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है कि कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक प्रभाव में कमी के कारण नकदी के अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है. कमलनाथ के धन जुटाने के टैलेंट से कांग्रेस पार्टी ही नहीं दूसरी पार्टियों के लोग भी वाकिफ है.कमलनाथ के बीजेपी की ओर आने से कांग्रेस की धन जुटाने की क्षमता का बहुत नुकसान होगा. भारतीय जनता पार्टी यही चाहेगी कि उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी आर्थिक रूप से कमजोर हो जाए.
एमपी में कम से कम 1 सीट पर सीधा फायदा, कई सीटों पर सपोर्ट
मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस को बुरे से बुरे दौर में मिलती रही है. इसका कारण केवल एक रहा है वो है कमलनाथ का होना. विधानसभा चुनावों में भी छिंदवाड़ा और आसपास की सीटों पर कमलनाथ की लोकप्रियता के चलते कांग्रेस मजबूत स्थित में रही है.ऐसे समय में जब नरेंद्र मोदी ने 370 सीट का टार्गेट रखा है बहुत जरूरी हो जाता है एक एक सीट पर जीत.अभी छिंदवाड़ा सीट से नकुलनाथ सांसद है. अगर पिता-पुत्र दोनों बीजेपी में आ जाते हैं तो छिंदवाड़ा सीट तो मिलेगी ही अन्य दूसरी सीटों पर भी बीजेपी की जीत आसान हो सकेगी.
एमपी में कांग्रेस बिल्कुल खत्म हो जाएगी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस हमेशा तीन या चार गुटों में बंटी रही है.दिवंगत अर्जुन सिंह की विरासत खत्म हो चुकी है. दिग्विजय सिंह अपनी हिंदुत्व विरोधी टिप्पणियों के चलते आम हिंदुओं के बीच अलोकप्रिय हो चुके हैं. सिंधिया गुट पहले ही भाजपा में आ चुका है. अब अगर कमलनाथ परिवार भी बीजेपी में चला जाता है तो कांग्रेस का मध्यप्रदेश में कोई नामलेवा नहीं रहेगा. पार्टी तो रहेगी पर कद्दावर नेता विहीन पार्टी बनकर रह जाएगी.भाजपा के लिए मैदान और एक दम से खुल जाएगा. कहा जा रहा है कि कमल नाथ अपने क्षेत्र छिंदवाड़ा के वफादारों के साथ-साथ जबलपुर और कुछ अन्य स्थानों के मजबूत लोगों को बीजेपी से जोड़ेगे.