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G20 के मंच पर इन 10 प्रतीकों के जरिए हुई सनातन की जय!

सनातन पर देश में छिड़ी बहस के बीच G-20 के सम्मेलन में दुनिया भर से आए मेहमानों को प्राचीन भारत की गौरव गाथा को दिखाया गया. इसी बहाने दुनिया को सनातन की जानकारी भी पहुंचा दी गई.

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सनातन की झलक दिखाता G 20 सम्मेलन का आयोजन स्थल
सनातन की झलक दिखाता G 20 सम्मेलन का आयोजन स्थल

टीवी स्क्रीन पर दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों के साथ जी-20 समिट स्थल पर भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है. विदेशी मेहमान भी भारत की इन प्राचीन धरोहरों के साथ फोटो क्लिक करवा रहे हैं और सनातन के रंग से सरोबार हो रहे हैं. कोणार्क का सूर्य मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, नटराज की मूर्ति देखकर यही लगता है कि जैसे यहां सनातन धर्म की कोई प्रचार सभा चल रही है. यह केवल कलाकृतियों में ही नहीं दिखता, आयोजन स्थल का नाम, थीम का नाम, देश का नाम, नृत्य संगीत आदि को इस तरह जोड़ा गया कि सनातन जैसे देश का ब्रैंड बन रहा हो.

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आश्चर्यजनक यह है कि आयोजन स्थल से वो चीजें गायब हैं, जिनसे कभी देश की पहचान कराई जाती थी. जैसे यहां आपको दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक ताजमहल की झलक भी नहीं मिलेगी देखने को, क्योंकि वो सनातन की पहचान नहीं है इसलिए परिदृश्य से गायब है. खान-पान, वेश भूषा, नृत्य-संगीत-कला आदि से आयोजन में ऐसी कोशिश की गई है कि सनातन की संस्कृति की झलक जरूर दिखे. इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से दो काम किया है. दुनिया को तो अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से रूबरू कराया ही है, भारत में कुछ पार्टियां जो सनातन के विरोध में उतर आईं थीं, उन्हें भी उसकी महत्ता समझा दी है.

1- भारत मंडपम:

सबसे पहले शुरू करते हैं आयोजन स्थल से ही. जैसा संस्कृत नाम से ही स्पष्ट है मंडपम. दक्षिण भारत में मंडपम का अर्थ ही मंदिर में गर्भगृह के आगे वाले भाग को कहा जाता रहा है. 'भारत मंडपम' भगवान बसवेश्वर की 'अनुभव मंडपम' की अवधारणा से प्रेरित है, जो सार्वजनिक समारोहों के लिए एक मंडप हुआ करता था. सनातन को ग्लोरिफाई करती इसकी डिजाइन 'शंख' के आकार से ली गई है. सनातन में शंख का बहुत महत्व रहा है. मंडपम की दीवारों पर सनातन संस्कृत को उकेरा गया है, जिनमें सूर्य शक्ति और पंच महाभूत आदि शामिल हैं. सूर्य हमारे प्रमुख देवता रहे हैं और 'पंच महाभूत' ब्रह्मांड के 5 मूल तत्वों, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को दर्शाते हैं. जो सनातन संस्कृति का मूल आधार रहा है.

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2- कोणार्क का सूर्य मंदिर:

करीब 13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क के सूर्य मंदिर की जिस तरह ब्रैंडिंग की गई है जैसे सनातन की ग्लोबल पहचान बनाना है. कोणार्क को भारत की एक बड़ी सांस्कृतिक धरोहर माना जाता रहा है पर अब तक लाइम लाइट में नहीं था. भारत मंडपम में लगा कोणार्क चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता का प्रतीक है जिसे अब दुनिया जान सकेगी. यह मंदिर सूर्य के विशालकाय रथ की तरह बनाया गया है, जिसे सात घोड़े खींचते हैं. इस रथ में 12 जोड़े पहिए लगे हैं. यानी कुल मिलाकर 24 पहिए. हर पहिए पर शानदार नक्काशी है. ये पहिए हमारी जीवनचर्या से संबंधित कई वैज्ञानिक बातें बताते हैं. 

3- वसुधैव कुटुंबकम:

भारत ने जी20 आयोजन का जो सूत्र वाक्य वसुधैव कुटुंबकम रखा, जो महाउपनिषद से लिया गया है. जिसका अर्थ है कि पूरा संसार एक परिवार समान है. चीन ने शुरुआत से ही इसका विरोध किया. उसकी आपत्ति थी कि ये संस्कृत से लिया गया है. संस्कृत यूएन की ऑथराइज्ड भाषा नहीं है इसलिए इसका इस्तेमाल गलत है. वसुधैव कुटुंबकम सनातन की वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाइचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है.

4- नृत्य संगीत:

जी20 के मेहमानों के स्वागत के लिए रखे गए नृत्य संगीत कार्यक्रम में थीम सॉन्ग 'वसुधैव कुटुंबकम' पर प्रस्तुति में सनातन की झलक दिखी. शास्त्रीय संगीत वाद्य यंत्रों के साथ-साथ प्राचीन वैदिक संगीत वाद्ययंत्रों, जनजातीय वाद्य यंत्रों और लोक वाद्य यंत्रों का मेल दिखा. देश भर से आए भाग लेने वाले कलाकार, संगीतकार ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में वाद्य यंत्र बजाए. आयोजन स्थल पर सुरबहार, जलतरंग, नलतरंग, विचित्र वीणा, रुद्र वीणा, सरस्वती वीणा, धंगली, सुंदरी, भपंग और दिलरुबा जैसे कई वाद्ययंत्र प्रदर्शित किए गए जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता से ओत-प्रोत थे

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5- नटराज की योग मुद्रा:

शिव की पूजा भारत में सनातन काल से हो रही है. आयोजन स्थल भारत मंडपम के सामने बना नटराज का ये स्‍वरूप शिव के आनंद तांडव का प्रतीक है. नटराज की प्रतिमा में आपको भगवान शिव की नृत्‍य मुद्रा नजर आएगी. शिव एक पांव से राक्षस को दबाए हुए हैं जिसका अर्थ  बुराई के नाश से लिया जाता है. शिव अपने नृत्‍य से सकारात्‍मक ऊर्जा के संचार का संदेश देते हैं. नटराज की मूर्ति दक्षिण भारत के कई मंदिरों जैसे थिल्लई नटराज मंदिर, उमा माहेश्वरार मंदिर और बृहदेश्वर मंदिर में स्थापित मूर्तियों से प्रेरणा लेकर बनाई गई है. ये मंदिर चोल साम्राज्य में करीब 9वीं से 11वीं सदी के बीच बनाए गए थे. 

6- भारत का नाम:

जी-20 समिट देशों के साथ अपनी पहली बैठक में पीएम के टेबल के आगे रोमन में लिखा हुआ भारत यह संदेश दे गया कि देश की ग्लोबल पहचान अब इंडिया के रूप में नहीं बल्कि सनातन से चला आ रहा नाम ही देश की पहचान होगा.  

7- वॉल ऑफ डेमोक्रेसी:

वॉल ऑफ डेमोक्रेसी में 5 हजार साल का लोकतांत्रिक इतिहास बताया गया है. यहां लगे 26 स्क्रीन पैनल में अलग-अलग समय की कहानियां दिखाई जा रही हैं. यहां आपको मुगल काल, सल्तनत काल की कहानियां नहीं मिलेंगी देखने को. वॉल ऑफ डेमोक्रेसी में विदेशी मेहमान भारत का 5 हजार साल का लोकतांत्रिक इतिहास देखेंगे जिसमें मुगल काल  से अकबर को भी शामिल किया गया है.

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इनमें भारतीय संविधान, आधुनिक भारत में चुनाव से लेकर भारत-मदर ऑफ डेमोक्रेसी, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, महाजनपद और गणतंत्र, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, कौटिल्य और अर्थशास्त्र, मेगस्थनीज, सम्राट अशोक, फाह्यान, पाल साम्राज्य के खलीमपुर ताम्रपत्र, श्रेणीसंघ, तमिलनाडु का प्राचीन शहर उथीरामेरुर, लोकतंत्र का दार्शनिक आधार, कृष्णदेव राय, अकबर, छत्रपति शिवाजी, स्थानीय स्वशासन को  शामिल किया गया है.

8- एआई वाली गीता:

जी20 देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के अगवानी के लिए भारत मंडपम में स्वागत द्वार पर गीता AI कर रही है. वह भी शुद्ध भारतीय परंपरा के अनुसार. ये आपके हर सवाल का जवाब दे रही है. यहां जिंदगी की उलझनों से जुड़ा कोई भी सवाल पूछ सकते हैं. हर सवाल का हमारे सनातन काल से चली आ रहे धार्मिक ग्रंथ गीता की शिक्षाओं के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल जवाब देता है. अगर आप गीता के किसी श्लोक का अर्थ चाहते हैं तो उसका भी जवाब यहां मिलेगा.

9- महर्षि:

बाजरे के लिए अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के मकसद से भारत की जी-20 में मोटे अनाज से जुड़ी पहल को महर्षि (मिलेट्स ऐंड अदर एनशिएंट ग्रेन्स इंटरनैशनल रिसर्च इनिशिएटिव) का नाम दिया है. चीन को जी-20 घोषणापत्र में इस नाम को शामिल किए जाने पर एतराज था फिर भी भारत ने महर्षि के साथ ही प्रस्ताव पारित करवाया. सनातन संस्कृति सभ्यता में सांसारिक मोहमाया को त्याग कर तपस्या में लीन लोगों को महर्षि की संज्ञा दी जाती रही है.

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10- घेरंड संहिता की 32 योग मुद्राएं:

जब विदेशी मेहमान अपने देश के राष्ट्रीय झंडों के बीच भारत मंडपम में प्रवेश करते हैं तो दीवारों पर अंकित विभिन्न योग मुद्राएं देखने को मिलती हैं. दीवारों पर 32 अनिवार्य योग आसन प्रदर्शित किए गए हैं जो घेरंड संहिता के 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के पाठ से लिए गए हैं. महर्षि घेरंड ने राजा चण्डकपालि को बढ़िया स्वास्थ्य के लिए 32 आसनों की शिक्षा दी थी. संहिता कहती है कि इस जगत में जितने भी प्राणी हैं, उन सभी की सामान्य शारीरिक स्थिति को आधार बनाकर एक-एक आसन की खोज की गई है.

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