उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने ही स्टैंड से यू-टर्न लेना पड़ा था. वरना, वो तो विधानसभा चुनाव लड़ने को भी तैयार न थे. जिस तरह से उमर अब्दुल्ला बीजेपी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं - और फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान पर बयान दे रहे हैं, ये तो साफ है कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर अब्दुल्ला परिवार का रुख बदल चुका है.
लेकिन, अभी बहुत कुछ बदलना बाकी है. ऐसा इसलिए लग रहा है क्योंकि गांदरबल आतंकवादी हमले को लेकर उमर अब्दुल्ला के बयान पर लोगों ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. गांदरबल के हमलावरों के बारे में उमर अब्दुल्ला की तरफ से आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल न किया जाना लोगों को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा है.
20 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के गगनगीर में हुए आतंकवादी हमले में 7 लोगों की मौत हो गई थी - सोशल साइट X पर उमर अब्दुल्ला ने घटना की निंदा की है, लेकिन आतंकवादियों को आतंकवादी न कहे जाने पर लोग भड़क गये हैं.
सोशल मीडिया पर उमर अब्दुल्ला की पोस्ट से ऐतराज क्यों?
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स पर लिखा है, 'सोनमर्ग क्षेत्र के गगनगीर में गैर-स्थानीय मजदूरों पर कायरतापूर्ण हमला बहुत दुखद है... ये लोग इलाके में एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे... इस उग्रवादी हमले में दो लोग मारे गए हैं और 2-3 लोगों के घायल होने की खबर सामने आई है... मैं निहत्थे-निर्दोष लोगों पर ऐसे हमले की कड़ी निंदा करता हूं, और उनके प्रियजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.'
Very sad news of a dastardly & cowardly attack on non-local labourers at Gagangir in Sonamarg region. These people were working on a key infrastructure project in the area. 2 have been killed & 2-3 more have been injured in this militant attack. I strongly condemn this attack on…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 20, 2024
उमर अब्दुल्ला की पोस्ट के जवाब में एक यूजर नलिनी रत्नम ने सवाल उठाया है, अब भी उन्हें आप आतंकवादी कहने के बजाय उग्रवादी कह रहे हैं? विपिन मिश्रा नाम के यूजर लिखते हैं, भाई डबल गेम मत खेलो... केंद्र सरकार और आउटसाइडर्स के साथ... ये बहुत भारी पड़ेगा.
खुद को बीजेपी कार्यकर्ता बताने वाले सुमित जोशी का सवाल है, आतंकवादियों को इनपुट कौन दे रहा है? अगर आपके इलाके में लोग सुरक्षित नहीं हैं तो आपको मुख्यमंत्री बनाने से क्या फायदा?
और आर श्रीनिवास VSM भी उमर अब्दुल्ला को सलाह देते हुए लिखते हैं, उम्मीद है नये मुख्यमंत्री समझ पा रहे होंगे कि इतिहास ने उनको अपने परिवार की पिछली गलतियां सुधारने का एक बेहतरीन मौका दिया है. अगर वो ये मौका गंवा देते हैं, और आतंकवाद को पांव फैलाने का मौका देते हैं, तो न इतिहास और न ही जम्मू-कश्मीर के लोग उनको कभी माफ कर पाएंगे.
सोशल मीडिया पर उमर अब्दुल्ला की पोस्ट से ऐतराज क्यों?
उमर अब्दुल्ला की ही तरह पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी हमले को लेकर आतंकवादी शब्द के इस्तेमाल से परहेज किया है. महबूबा मुफ्ती ने गांदरबल कि घटना को हिंसा का मूर्खतापूर्ण कृत्य बताया है, और साफ तौर पर निंदा करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.
महबूबा मुफ्ती जब बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार की मुख्यमंत्री थीं तो उनके दो बयान खासतौर पर याद आते हैं. एक बार तो केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के साथ प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्थरबाजों के लिए कहा था, वे भी कोई दूध-ब्रेड लेने नहीं जा रहे थे. और आतंकवादी बुरहान वानी के एनकाउंटर को लेकर कहा था कि उनको पता होता तो वो ऐसा होने नहीं देतीं - और अभी तो जो भी वो कह रही हैं, उनकी राजनीतिक मजबूरी ही लगती है.
लेकिन फारूक अब्दुल्ला तो लगता है जैसे बिलकुल यू-टर्न ले चुके हैं. जो फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान के लिए कहते थे, '... कोई चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं', वही अब पड़ोसी मुल्क को सख्त लहजे में चेतावनी दे रहे हैं.
गांदरबल की घटना पर वो बेटे उमर अब्दुल्ला से दो कदम आगे नजर आते हैं, वो (आतंकी) वहां (पाकिस्तान) से आ रहे हैं... हम चाहते हैं कि मामला खत्म हो... हम लोग आगे बढ़ें... मुश्किलों से आगे निकलें.
कहते हैं, मैं पाकिस्तान के हुक्मरानों से कहना चाहता हूं कि अगर वो भारत से दोस्ती चाहते हैं, तो ये सब बंद करना होगा... कश्मीर पाकिस्तान नहीं बनेगा... नहीं बनेगा.
और फिर पाकिस्तान को याद दिलाने की कोशिश करते हुए फारूक अब्दुल्ला कहते हैं, हमें मेहरबानी करके इज्जत से रहने दीजिये... तरक्की करने दीजिये... कब तक मुश्किलों में डालते रहेंगे? 1947 से आपने शुरू किया... बेगुनाहों को मरवाया... जब 75 साल में पाकिस्तान नहीं बना तो क्या अब बन जाएगा?