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झारखंड में सोरेन सरकार और राज्यपाल के बीच बढ़ी तनातनी, BJP भी JMM पर हमलावर

झारखंड में एक सप्ताह के अंदर 2 बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हुए. 20 जनवरी को ईडी द्वारा हेमंत सोरेन से पूछताछ के दौरान CRPF का डिप्लॉयमेंट होने पर JMM ने मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की आशंका जताने के साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाने का भी आरोप लगाया था.

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 हेमंत सोरेन सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है
हेमंत सोरेन सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है

झारखंड में भी पश्चिम बंगाल की तरह राज्यपाल और JMM के नेतृत्व वाली हेमंत सोरेन सरकार के बीच दूरियां बढ़ रही है. राज्यपाल कई बार सरकार की गलतियां गिनवा चुके हैं. वहीं, JMM ये आरोप लगा रही है कि गवर्नर एक दल विशेष की भाषा बोल रहे हैं. 

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बता दें कि झारखंड में एक सप्ताह के अंदर 2 बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हुए. 20 जनवरी को ईडी द्वारा हेमंत सोरेन से पूछताछ के दौरान CRPF का डिप्लॉयमेंट होने पर JMM ने मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की आशंका जताने के साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाने का भी आरोप लगाया था. इसके बाद हेमंत सोरेन सरकार ने CRPF के आईजी समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार के इस कदम को राज्यपाल ने गलत बताया था. इसके बाद सूबे में राजनीतिक पारा हाई हो गया है.

20 जनवरी को जमीन घोटाला केस में सीएम हेमंत सोरेन से उनके आवास पर ईडी की पूछताछ के दौरान करीब 10 बसों में भरकर सीआरपीएफ के जवान मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे थे. जिसे झारखंड सरकार ने काफी गंभीरता से लिया और गृह विभाग से मामले पर जानकारी मांगी. दूसरी तरफ झारखंड पुलिस ने 500 सीआरपीएफ जवान, कमांडेंट और आईजी पर FIR दर्ज करा दी. 

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राज्य सरकार पर भड़के राज्यपाल

रांची विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन काफी गुस्से में दिखे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से सरकार की गलती को दर्शाता है. उन्होंने ये भी कहा कि ईडी की पूछताछ के दौरान गैर जरूरी भीड़ जमा हुई थी. यह भीड़ एक तय रणनीति के तहत जमा हुई थी. इसलिए सीआरपीएफ को आना पड़ा. यह साफ तौर से सरकार और पार्टी की गलती है. ऐसी परंपराएं बंद होनी चाहिए. इसके पहले गवर्नर ने कहा था कि राज्य में कानून व्यवस्था ठीक नहीं है और ये पूरी तरह से चरमरा गई है. 

ईडी के एक्शन पर JMM का तर्क

JMM ने कहा था कि ईडी द्वारा सीएम के खिलाफ कार्रवाई से आम लोगों में आक्रोश है. उनका आक्रोश विध्वंसक न हो जाए. इस मुद्दे पर भी राज्यपाल ने कहा था कि पूछताछ तो होती रहती है, ऐसे में लॉ एंड ऑर्डर पर असर क्यों होगा. सीएम को एजेंसी के सवालों का जवाब देना चाहिए. कभी पीएम ने भी केंद्रीय एजेंसी के सवालों और जांच में लंबे समय तक सहयोग किया था. अब उनके बयानों को ही जेएमएम आधार बनाकर सवाल उठा रही है कि यहां के राज्यपाल वही आरोप लगाते हैं, जो एक दल विशेष के प्रदेश अध्यक्ष यानी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लगाते हैं. ये उचित नहीं है. पार्टी ने कहा कि फर्क सिर्फ इतना है कि वो बीजेपी की बात अंग्रेजी में दोहरा रहे हैं.

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बीजेपी का हेमंत सरकार पर हमला

लोकसभा चुनाव से पहले हेमंत सरकार ये बताने की कोशिश कर रही है कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को केंद्रीय एजेंसी जानबूझकर परेशान कर रही हैं और सरकार को अस्थिर करना चाहती हैं. वहीं, बीजेपी राज्य की एसटी आबादी जिसका कुल आबादी का 28 फीसदी है. उसे ये मैसेज देना चाहती है कि जेएमएम भले ही ट्राइबल की राजनीति करती है, लेकिन उनके हित की चिंता उसे नही है, वो सिर्फ अपना विकास कर रही है. पार्टी के नेता आकंठ तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं. आदिवासी होकर भी आदिवासी की जमीन की हेराफेरी का आरोप उन पर है, जिसकी जांच ईडी कर रही है.
 

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