राजनीतिक घराने बेटियों को उत्तराधिकार देने के मामले में भारतीय बहुत दिलदार नहीं रहे हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मजबूरी थी कि उनकी एक ही बेटी इंदिरा गांधी थीं. अन्यथा गांधी परिवार में ही प्रियंका गांधी को उनकी योग्यता के हिसाब से अब तक जगह नहीं मिल सकी है. लालू परिवार का भी यही हाल है. पर बेटियां जब चुनावी जंग में विजय हासिल करने लगेंगी तो निश्चित ही उन पर उत्तराधिकार को लेकर भरोसा बढ़ेगा. यह चाहे संयोग हो या मजबूरी.देश में कम से कम एक दर्जन बेटियां अपने पिता के विरासत को संभालने के लिए जंग ए मैदान में हैं. इनमें से अधिककतर हाईली क्वालिफाइड हैं, तेज तर्रार हैं ओर कई मामलों में अपने पिता से बीस भी हैं. पर क्या इन्हें पब्लिक पसंद करेगी. आइये ऐसी 4 बेटियों पर बात करते हैं-
1-रोहिणी आचार्य
अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी देकर चर्चा में आईं रोहिणी आचार्य ने जमशेदपुर के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से डॉक्टर की डिग्री हासिल की है. इस तरह वह अपने पिता और भाइयों तेजस्वी और तेजप्रताप से अधिक पढ़ी लिखी हैं. बिहार की सारण लोकसभा सीट से वो आरजेडी की प्रत्याशी हैं. यहां पांचवे चरण में 20 मई को मतदान होना है. इस सीट पर 4 बार राजद सुप्रीमो लालू यादव और इतनी ही बार भाजपा के कद्दावर नेता राजीव प्रताप रूडी भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं. जब से राजीव प्रताप रूडी ने राबड़ी देवी को यहां हराया, तब से यह सीट लालू फैमिली के लिए एक तरह से नाक की लड़ाई बन चुकी है.
सारण जिले का मुख्यालय है छपरा शहर. यह सीट राजपूतों और यादवों का गढ़ माना जाता है. यादवों की आबादी 25 फीसदी है जबकि मुस्लिम 13 प्रतिशत के करीब हैं. इस तरह यहां एमवाई के समीकरण के सहारे लालू यादव कई बार सांसद बने. पर करीब 23 प्रतिशत राजपूत और 20 प्रतिशत वैश्य समुदाय बीजेपी का हार्ड कोर वोटर बन चुका है. राजीव प्रताप रूडी राजपूत समुदाय से हैं और बीजेपी कैंडिडेट हैं. जाहिर है उनको हल्के में नहीं लिया जा सकता है.
2-बांसुरी स्वराज
बांसुरी स्वराज पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी हैं. सुषमा स्वराज बीजेपी में पहली लाइन की नेता और प्रखर वक्ता रही हैं. बांसुरी पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार हैं. वह सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं. उन्हें कानूनी पेशे में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है. बांसुरी स्वराज के पास वारविक विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री है. बाद में उन्होंने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की. बांसुरी ने लॉ में बैरिस्टर के रूप में योग्यता प्राप्त की और उन्हें लंदन के ऑनरेबल इन इनर टेम्पल से बार में बुलाया गया. उनके पास ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट कैथरीन कॉलेज से मास्टर ऑफ स्टडीज की डिग्री भी है.स्वराज ने कई हाई प्रोफाइल मुकदमों का प्रतिनिधित्व किया है. उनके पेशेवर पोर्टफोलियो में रियल एस्टेट, कर, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के साथ-साथ कई आपराधिक मुकदमों से जुड़े विवादों से निपटने का अनुभव है.
स्वराज को हरियाणा राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी कार्य कर रही हैं. बांसुरी स्वराज को पिछले साल भाजपा दिल्ली के कानूनी प्रकोष्ठ का सह-संयोजक नियुक्त किया गया था. बांसुरी स्वराज का मुकाबला आम आदमी पार्टी के सोमनाथ भारती से है. नई दिल्ली में 28 साल बाद एक बार फिर से वकीलों की जंग हो रही है. साल 1996 के चुनाव में दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में भाजपा की सुषमा स्वराज और कांग्रेस के कपिल सिब्बल आमने सामने थे. बांसुरी स्वराज को आम आदमी पार्टी के प्रत्य़ाशी सोमनाथ भारती से मुकाबले में एक मामले में बढ़त मिलती दिख रही है. आम आदमी पार्टी के नेता राजकुमार आनंद जो दिल्ली सरकार में अभी हाल तक मंत्री रहे हैं ने बीएसपी के टिकट पर नई दिल्ली सीट से अपनी दावेदारी ठोंक दी है. पटेल नगर से विधायक रहे आनंद के आने से सोमनाथ भारती का कमजोर होना लाजिमी है. वैसे राजनीति संभावनाओं का खेल है इसलिए कौन सा समीकरण उल्टा पड़ जाए ये कहा नहीं जा सकता है.
3-यशस्विनी सहाय
यशस्विनी सहाय पूर्व सांसद और यूपीए सरकार में मंत्री रहे सुबोध कांत सहाय और रेखा सहाय की बेटी हैं. सुबोध कांत सहाय आखिरी बार 2009 में रांची के सांसद के रूप में निर्वाचित हुए थे. इसके बाद से उन्हें रांची से जीत नहीं मिल सकी. अब उन्होंने अपनी बेटी को मैदान में कांग्रेस की टिकट से उतारा है. वहीं यशश्विनी की मां रेखा सहाय अभिनेत्री रह चुकी हैं. यशस्विनी मुंबई से लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद यूनाइटेड नेशंस क्राइम एंड जस्टिस रिसर्च इंस्टीट्यूट टुरिन इटली से लॉ में मास्टर डिग्री हासिल की. उसके बाद से वह मुंबई फैमिली कोर्ट और सेशन कोर्ट में बतौर अधिवक्ता अपनी सेवाएं दे रही हैं.इसके अलावा वह कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से भी जुड़ी हुई हैं.
यशश्विनी सहाय वर्तमान सांसद संजय सेठ को टक्कर देंगी.रांची से बीजेपी ने मौजूदा सांसद संजय सेठ को टिकट दिया है. एक तरफ संजय सेठ भाजपा के पुराने और मंझे हुए नेता हैं. वहीं यशश्विनी के लिए यह पहला मौका होगा, जब वह चुनावी मैदान में उतरी है.
रांची संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. शायद यही कारण रहा है कि भाजपा ने यहां से पांच बार रामटहल चौधरी को टिकट दिया. अब रामटहल चौधरी भाजपा छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर चुके हैं. पर रांची से टिकन न मिलने के चलते वो अभी तक खुलकर कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं कर रहे हैं. दूसरी तरफ भाजपा के साथी आजसू नेता सुदेश महतो खुलकर भाजपा के साथ हैं. आंकड़ों के अनुसार रांची लोकसभा क्षेत्र में साढ़े तीन लाख आबादी सिर्फ कुर्मी वोटरों की है.
4-बेनी वर्मा की पोती श्रेया वर्मा
श्रेया वर्मा समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्व. बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राकेश वर्मा की बेटी हैं. समाजवादी पार्टी में महिला कार्यकारणी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रेया भी हाईली क्वालिफाइड हैं. श्रेया ने अपनी स्कूली शिक्षा उत्तराखंड के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से की और दिल्ली के रामजस कॉलेज से इकॉनमी ऑनर्स में ग्रेजुएट हैं. वह शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों से जुड़ी रही हैं.उनकी मां सुधा रानी वर्मा, जो बाराबंकी में एक डिग्री कॉलेज चलाती हैं, के अनुसार श्रेया छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, लेकिन उन्होंने पहले कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था.
गोंडा लोकसभा सीट में पांच विधानसभा की सीटें आती हैं, जिसमें गोंडा सदर, मेहनौन, उतरौला, मनकापुर, गौरा विधानसभा है. मेहनौन, उतरौला और गौरा क्षेत्र मुस्लिम और कुर्मी बाहुल्य है. श्रेया वर्मा के लिए यही पॉजिटिव है कि वो प्रदेश के सबसे बड़े कुर्मी नेता की पोती हैं. गोंडा लोकसभा क्षेत्र में लगभग 21 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. बीजेपी ने वर्तमान सांसद कीर्तिवर्धन सिंह पर फिर से भरोसा जताया है. श्रेया के सामने सबसे बड़ी मुश्किल राम मंदिर के माहौल से है. मात्र 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का असर गोंडा में भी व्यापक है.