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हरियाणा चुनाव: सीएम नायब सिंह सैनी के लिए ढूंढी गई लाडवा विधानसभा सीट उतनी भी आसान नहीं

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लाडवा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. ऐसी अफवाहें हैं कि सैनी इस सीट के बजाय करनाल सीट से उम्मीदवार बनना चाहते थे. पर भारतीय जनता पार्टी लाडला सीट को सबसे सुरक्षित मान रही है.

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने गुटबंदी में भी कांग्रेस से टक्कर लेने की ठान ली है. प्रदेश में टिकट बंटवारे को देखकर ऐसा ही कुछ लग रहा है. राज्य में सामान्य नेताओं की तो छोड़िए, स्वयं मुख्यमंत्री को अपनी मनपसंद सीट नहीं मिल सकी है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि सीएम नायब सैनी खुद के लिए करनाल की सीट चाहते थे पर उन्हें लाडवा से प्रत्याशी बनाया गया है. सीएम कहां से चुनाव लड़ेंगे इसको लेकर शुक्रवार को हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष मोहन लाल बडोली और सीएम के बयानों में जो मतभेद सुनाई दिया था, जो हरियाणा बीजेपी के लिए खतरे का संकेत है.

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मोहनलाल बड़ोली ने उस दिन साफ तौर पर कहा था कि सीएम लाडवा से चुनाव लड़ेंगे. जबकि नायब सैनी ने कहा था कि वो प्रदेश अध्यक्ष हैं, उनको ज्यादा जानकारी होगी.पहली बात तो ये कि लिस्ट आने तक बडौली को ये जानकारी गुप्त रखनी चाहिए थी. दूसरी बात यह भी है कि क्या वास्तव में लिस्ट आने के 4 दिन पहले तक प्रदेश के सीएम को अपनी ही सीट के बारे में पता नहीं था. इस आधार पर कैसे यह उम्मीद की जा सकती है कि प्रदेश में बीजेपी अपने विरोधियों को टक्कर दे सकेगी. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के सूत्र बताते हैं कि लाडवा सीएम सैनी के लिए प्रदेश में सबसे सुरक्षित सीट है. आइये देखते हैं कि सीएम सैनी के लिए लाडवा से जीतने के कितने चांस हैं.

भाजपा ने लाडवा को क्‍यों माना सीएम सैनी के लिए सुरक्षित सीट?

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी 2014 विधानसभा चुनावों के बाद से चौथे निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे, 2014 में, सैनी ने नारायनगढ़ विधानसभा सीट से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और पांच साल बाद, कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से 6.8 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की.तीसरी बार सैनी आज से  पांच महीने पहले करनाल विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी, जब पार्टी ने उन्हें मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री के रूप में चुना था. उन्होंने कांग्रेस के तरलोचन सिंह को 41,540 वोटों के अंतर से हराया था. 2019 के विधानसभा चुनावों में, खट्टर ने करनाल सीट से जीत हासिल की थी.यही कारण है कि सैनी करनाल से चुनाव लड़ना चाहते थे. पर एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की माने तो भाजपा लाडवा को सैनी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मान रही है.

दरअसल बीजेपी हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के परिणामों को आधार मान रही है. कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली लाडवा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को 47.14% वोट हासिल हुए थे. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले देखा जाए तो यह प्रतिशत 58.5% वोटों से काफी कम है. पर 2024 लोकसभा चुनावों में पूरे स्टेट में बीजेपी का वोट प्रतिशत घटा है इसलिए यह कोई चिंता की बात नहीं है. क्योंकि 2024 लोकसभा चुनावों में मिला वोट प्रतिशत  2019 के विधानसभा चुनावों में लाडवा में मिले 32.7% वोटों से काफी अधिक है.

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इसके साथ ही भाजपा का मानना है कि लाडवा सीएम का गृह क्षेत्र होने के चलते भी सेफ सीट है.कुरुक्षेत्र में सैनी का घर थानेसर इलाके में आता है. वो मूल रूप से अंबाला के रहने वाले हैं. दूसरे यहां सैनी वोटर्स भी काफी अधिक संख्या में हैं. नायब सैनी उनके लिए रोल मॉडल हैं , इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि सैनियों के हंड्रेड परसेंट वोट इस सीट पर बीजेपी को ही जाएंगे.सैनी का यहां संगठन से लेकर इलाके में अच्छी पकड़ है. माना जा रहा है कि बीजेपी बिल्कुल भी रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसलिए विधानसभा चुनाव में उन्हें उनके घर भेजा गया है.

सैनी के लिए लाडवा सीट पर कौन-कौन सी चुनौतियां...

2011 की जनगणना के अनुसार, लाडवा की 22.6% आबादी अनुसूचित जातियों की है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यहां की कुल आबादी में करीब 7.4% सैनी समुदाय का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जिसमें केवल 11.78% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुशार 2014 में यहां मतदाताओं की संख्या एक लाख 63 हजार थी जिसमें सैनी समाज की संख्या लगभग 31 हजार, जाट लगभग 27 हजार और जट सिख मतदाताओं की संख्या लगभग दस हजार के करीब है. पर कई मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है कि यहां जाट और सैनी वोटर्स की संख्या करीब करीब बराबर है.किसान आंदोलन और महिला पहलवानों की मुद्दों के नजर ऐसा लगता है कि जाट और जट सिखों का वोट बीजेपी को मुश्किल से ही मिलने वाला है. अनुसूचित जातियों का वोट बीजेपी और कांग्रेस में बंटने की उम्मीद है. इसलिए कुल मिलाकर सीएम के लिए मुकाबला यहां बहुत आसान नहीं नजर आ रहा है. शायद यही वजह रही कि 2019 में बीजेपी ये सीट नहीं जीत पाई. लाडवा से मौजूदा विधायक मेवा सिंह कांग्रेस के हैं और वो जाट समुदाय से आते हैं. मेवा सिंह ने 2019 में बीजेपी के पवन सैनी को 12637 वोट से हराया था.

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सैनी के सामने लाडवा में कई और तरह की चुनौतियां हैं. लाडवा प्रदेश की उन चार सीटों में से एक है जहां लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने बढत बनाई थी. अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन होता है तो जाहिर है कि यहां आम आदमी पार्टी का कैंडिडेट घोषित हो सकता है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में कुरुक्षेत्र सीट आप को दी थी, और इसके उम्मीदवार सुशील गुप्ता ने लाडवा में 40.91% वोट हासिल किए थे. आईएनएलडी यहां अपने सबसे पुराने चेहरे बरशामी को उतारा है. अगर आप विधानसभा सीट से चुनाव लड़ती है, तो वह फिर से गुप्ता को उम्मीदवार बना सकती है.अगर गुप्ता उम्मीदवार बनते हैं तो बीजेपी के कोर बनिया वोटर्स भी सैनी से छिटक सकते हैं.

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