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2020 की वो गलतियां जिनसे तौबा कर BJP ने जीत ली दिल्ली, बिहार-बंगाल में भी काम आएगी ये रणनीति

दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत के पीछे भारतीय जनता पार्टी की अपनी रणनीति में बदलाव की भूमिका रही है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि 2020 की गलतियों से पार्टी ने बहुत कुछ सीखा. यही कारण है 2025 में पार्टी ने उन गलतियों को नहीं दोहराया. जाहिर है कि आगामी चुनावों में बीजेपी अब इसी रणनीति पर काम कर सकती है.

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दिल्ली विजय के बाद शनिवार को नरेंद्र मोदी बीजेपी मुख्यालय में पहुंचे.
दिल्ली विजय के बाद शनिवार को नरेंद्र मोदी बीजेपी मुख्यालय में पहुंचे.

दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिली भारी सफलता के पीछे बहुत से कारण रहे हैं. इसमें सबसे बड़ा कारण दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के प्रति गुस्सा तो था ही पर बीजेपी की रणनीति को भी कम करके नहीं आंका जा सकता . भारतीय जनता पार्टी ने 2020 विधानसभा चुनाव में जो रणनीतिक गलतियां की थीं उससे छुटकारा पाना भी एक बहुत बड़ा फैसला था. पार्टी के लिए यह बहुत फायदेमंद रहा. उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी इस साल बिहार चुनावों में और अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में भी आजमाएगी.आइये देखते हैं कि वो कौन सी गलतियां थीं जिससे बीजेपी को 2020 के विधानसभा चुनावों में बहुत नुकसान हुआ था और 2024 के चुनावों में उसका बहुत फायदा मिला.

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1-ध्रुवीकरण वाले भड़काऊ बयानों पर पूरी पाबंदी

2020 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बहुत बुरी हार मिली थी. हालांकि 2015 के चुनावों से बेहतर पोजिशन में थी बीजेपी पर आंकड़ों के मायने से बहुत खराब हालत थी। 2015 में बीजेपी के पास दिल्ली में केवल 3 सीट थी. जबकि 2020 में आठ सीटों पर बीजेपी को कामयाबी मिली थी. पर भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह आम आदमी पार्टी को हर सीट पर टक्कर दी थी उसके मुकाबले उसकी बहुत बुरी हार थी. 2020 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी का हर नेता खुलकर ऐसी बयानबाजी रहा था जिससे ऐसा लग रहा था कि पार्टी हिंदुओं को अपने पक्ष में पोलराइज करने की कोशिश कर रही हो.

इसी दौरान बीजेपी नेता और इस बार सीएम पद के प्रबल दावेदार प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग में चल रहे एंटी CAA प्रोटेस्ट को एक घंटे में खत्म करने की बात कही थी. इसके अलावा उन्होंने एक खास समुदाय के लिए बयान दिया था कि ये घर में घुसकर बेटियों के साथ रेप करेंगे...इस तरह की  बातें इस बार यानि 2025 के विधानसभा चुनावों में न प्रवेश वर्मा कह रहे थे और न ही कपिल मिश्रा. इसके बावजूद दोनों नेताओं ने अच्छी विजय भी दर्ज किया है. दरअसल पार्टी की रणनीत यह रही होगी कि इस तरह के बयानबाजी से मुस्लिम समुदाय के वोट एक पार्टी के पोलराइज्ड हो जाएंगे. बीजेपी ने जैसा अनुमान लगाया वैसा ही हुआ भी. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और कांग्रेस पार्टी को जिस तरह मुस्लिम समुदाय के वोट मिले हैं वो इसका सबसे बेहतर उदाहरण है. जाहिर है कि अगर बीजेपी ने हिंदुओं को पोलराइज्ड करने का काम किया होता तो शायद मुस्लिम समुदाय के वोटों में बंटवारा नहीं होता. मुस्लिम समुदाय एकजुट होकर आम आदमी पार्टी को ही वोट करता. दिल्ली में हुए फायदे को देखते हुए बीजेपी अपने इस फॉर्मूले को भविष्य में बिहार और बंगाल में भी अपना सकती है. 

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2-अपना एजेंडा सेट करने के बजाय केजरीवाल के एजेंडे पर ही काम किया

2020 के चुनावों में बीजेपी अपना एजेंडा सेट करती उस पर केजरीवाल सफाई देते रहते . शाहीन बाग को दिल्ली बीजेपी ने मुद्दा बना दिया था. अरविंद केजरीवाल उस पर डिफेंसिव थे. इस बार शीशमहल को छोड़कर बीजेपी ने और कोई ऐसा मुद्दा नहीं बनाया . 2025 के चुनावों में अरविंद केजरीवाल खुद एजेंडा सेट करते बीजेपी उसका जवाब देती या उससे बड़ा अपना नरेटिव खड़ा कर देती. यमुना में जहरीला पानी मिलाने का आरोप हो या मध्यम वर्ग के घोषणा पत्र जारी करने की बात हो. दोनों ही विषयों को मुद्दा बनाने का काम आम आदमी पार्टी ने किया . पर हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने दिल्ली बॉर्डर पर यमुना का पानी पीकर और केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाकर महफिल लूटने का काम कर दिया. इसी तरह फ्रीबीज को लेकर अरविंद केजरीवाल यह नरेटिव सेट करते रहे कि हर परिवार को ढाई हजार का फायदा कौन सी सरकार दे पाएगी. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी से भी अधिक रेवड़ियों की घोषणा करके पब्लिक के एक खास वर्ग को अपना बनाने में सफल साबित हुई.

3-स्थानीय मुद्दों की अहमियत समझी, राष्ट्रीय राजनीति को हावी नहीं होने दिया

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2020 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी नैशनल इशू पर ही बात करती रही. सीएए, एनआरसी, कश्मीर में 370 , यूसीसी आदि की ही बात करती रही. पर इस बार ऐसा नहीं था. भारतीय जनता पार्टी लगातार लोकल मुद्दों , दिल्ली की समस्याओं पर बात करती रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपने भाषणों में ओवरफ्लो सीवर, साफ पीने के पानी की सप्लाई, जल संकट , यमुना का प्रदूषण और स्थानीय लेवल पर भ्रष्टाचार आदि की बातें कीं.इसका सीधा असर हुआ अन्य नेता भी यही बातें करते रहे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य़नाथ भी दिल्ली की सड़कों और यूपी की सड़कों की तुलना करते दिखे.उनके भाषण में हिंदू -मुसलमान नहीं के बराबर था इस बार. बीजेपी को इस रणनीति का पॉजिटिव फल मिला है.जाहिर है कि पश्चिम बंगाल और बिहार में पार्टी इसी रणनीति पर काम करने वाली है.

4-अल्ट्रा माइक्रो मैनेजमेंट

2020 के चुनावों तक भारतीय जनता पार्टी माइक्रो मैनेजमेंट करती रही. इस बार के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अल्ट्रा माइक्रो मैनेजमेंट किया है. 100-200 वोट्स के लिए भी मेहनत की गई है. अगर तमिलनाडु और आंध्रा के लोगों को भी दिल्ली में लगाया गया था. बिहार और यूपी से बीजेपी के जो नेता दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए आए थे उन लोगों ने बताया कि उन्हें सख्त हिदायत थी कि उनकी ड्यूटी जिन मुहल्लों में लगी है उनका प्रवास वहीं होना है. पहले ऐसा होता था कि पार्टी के प्रचार में आने का मतलब चेहरा दिखाया और फिर कहीं पार्टी हो रही है. इस बार ऐसा नहीं हुआ. 

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