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दिल्ली चुनाव में स्वाति मालीवाल ने AAP-केजरीवाल की उम्‍मीदों पर कैसे मट्ठा डाल दिया, जानिए

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लड़ाई में स्वाति मालीवाल ने वन वूमन ऑर्मी बनकर काम किया है. भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली विजय में उनकी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है. अरविंद केजरीवाल ने एक महिला साथी के साथ जो किया उससे उनकी छवि तो खराब हुई ही, साथ ही मालीवाल ने दिल्ली की गंदगी को चुनावी मुद्दा बनाने में भी बड़ी भूमिका अदा की.

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स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर कूड़ा डाल कर विरोध प्रदर्शन किया था, और कहा था कि 'सुधर जाओ, वरना जनता सुधार देगी.'
स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर कूड़ा डाल कर विरोध प्रदर्शन किया था, और कहा था कि 'सुधर जाओ, वरना जनता सुधार देगी.'

आम आदमी पार्टी की दिल्ली विधानसभा चुनावों में जो दुर्गति हुई उसके पीछे वैसे तो बहुत से कारण गिनाए जा रहे हैं पर एक फैक्टर की चर्चा शायद सबसे कम हो रही है. अरविंद केजरीवाल की छवि को सबसे अधिक डेंट किया पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ सीएम हाउस में हुई मारपीट ने. शायद यही कारण रहा कि अरविंद केजरीवाल की हार के बाद मालीवाल ने अपने एक्स हैंडल पर महाभारत में द्रोपदी के चीरहरण की तस्वीर बिना कैप्शन के पोस्ट की. जिसमें वह संदेश दे रही थीं कि अरविंद केजरीवाल पूरी कायनात से लड़ सकते थे पर एक स्त्री की हाय से नहीं. आज आम आदमी पार्टी के बुरी तरह हारने की खबर पर उनके कलेजे को जो ठंडक मिली होगी, उसे समझा जा सकता है. अकेले पड़ने के बाद स्वाति मालीवाल ने बेहद सधे हुए अंदाज में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला. पूरे चुनाव में वह शहर में फैली गंदगी और घरों में गंदे पानी की सप्‍लाई की समस्‍या को ग्राउंड पर जाकर उभारती रहीं. और अंतत: उनके इसी अभियान की तैयार की हुई जमीन पर बीजेपी ने केजरीवाल के ताकतवर साम्राज्य की चूलें हिला दी.

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1- सिविक इशू को मालीवाल ने बनाया मुद्दा, वरना बीजेपी तो करप्शन पर फोकस कर रही थी

लोकसभा चुनावों के पहले जब तक स्वाति मालीवाल के साथ अरविंद केजरीवाल के लोगों ने कथित अत्याचार नहीं किया था, बीजेपी की रणनीति दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचारी बताकर चुनाव जीतने की था. पर मालीवाल के साथ हुई मारपीट के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति बदली. चूंकि स्वाति मालीवाल शुरू से ही सिविक इशू जैसे कूड़े के ढेर, मलिन बस्तियों में गंदे टॉयलेट, महिलाओं के उत्पीड़न, ओवरफ्लो सीवर, गंदे पानी की सप्लाई के खिलाफ लगातार आवाज उठाती रही हैं. तब भी जब वे अरविंद केजरीवाल के सबसे नजदीकी लोगों में शामिल थीं. पार्टी से संबंध खराब होने के बाद भी उन्होंने अपने पुराने काम को अभियान बना दिया.

अभी जब दिल्ली में विधानसभा चुनावों को लेकर जमकर प्रचार हो रहा था, वे एक दिन लोडिंग ऑटो लेकर विकासपुरी पहुंचीं, और लोगों के साथ सड़क से कूड़ा इकट्ठा करके अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर डाल दिया. जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया. सोशल साइट X पर स्वाति के हैंडल से हिरासत का वीडियो पोस्‍ट करते हुए लिखा गया कि 'अरविंद केजरीवाल ने पुलिस भेजकर अपने घर के बाहर से स्वाति मालीवल जी को अरेस्‍ट करवाया.'

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पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद स्वाति मालीवाल ने कहा कि उनका प्रदर्शन दिल्ली की महिलाओं और नागरिकों की परेशानी उजागर करने के लिए था. स्वाति मालीवाल लगातार दिल्ली के उन जगहों पर गईं जहां कोई नेता कभी नहीं पहुंचता. गंदी से गंदी जगहों पर उनका पहुंचना और टूटी सड़कों , टूटी नालियों और सीवर, कू़ड़े के लगे ढेर को दिल्ली सरकार नाकामी बताकर ऐसा प्रचार किया जिसका नुकसान आम आदमी पार्टी को उठाना पड़ा.

2- स्वाति मालीवाल के चलते महिलाओं के प्रति केजरीवाल के नजरिये को बदलने में बीजेपी सफल रही

भारतीय जनता पार्टी ने आप के राज्यसभा सांसद मालीवाल पर हुए हमले का इस्तेमाल कर केजरीवाल सहित आप के शीर्ष नेतृत्व को महिला विरोधी और एक महिला को न्याय न दिला पाने के लिए जिम्मेदार ठहराने में सफल रही. बीजेपी बार-बार कहती रही  कि आम आदमी पार्टी ने पहले स्वाति मालीवाल मामले में चुप्पी, फिर फिर मालीवाल पर प्रत्यक्ष हमला करके पार्टी ने किस तरह अपनी ही पार्टी की एक महिला नेता के साथ अपमानजनक व्यवहार किया.इसका असर लोकसभा चुनावों में भी हुआ. 

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पूछा था कि निर्भया कांड को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विजय चौक पर धरने पर बैठते थे. आज उसी मुख्यमंत्री के ड्राइंग रूम में एक महिला के साथ कैसा दुर्व्यवहार हो रहा है? यह कैसा पाखंड है? लोकसभा चुनावों के दौरान शिवराज सिंह चौहान और भाजपा की हैदराबाद उम्मीदवार माधवी लता आदि ने भी इस मुद्दे को उठाया था. बाद में दिल्ली के लोगों ने देखा कि मालीवाल को पीटने वाले विभव कुमार को पंजाब सरकार का सलाहकार बनाकर मंत्री लेवल का दर्जा दे दिया गया. 

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3-बीजेपी खुलकर स्वाति के साथ नहीं आई, ये बात काम कर गई

अरविंद केजरीवाल के कैंप से स्वाति मालीवाल के बाहर आने के बाद अगर बीजेपी स्वाति मालीवाल को पार्टी में शामिल करके उन्हें आगे करती तो शायद इतना इफेक्ट नहीं पड़ता. इसके साथ ही स्वाति मालीवाल ने भी लगातार बीजेपी से अपनी दूरी बनाए रखी. आम जनता के बीच इसलिए ही स्वाति के प्रित सहानुभूति और हमदर्दी बरकरार रही. वो जो कहतीं थीं उसे आम लोग समझते कि मालीवाल को सत्ता और पद की लालच नहीं है. जनता ने ये मान लिया कि ये महिला केवल अपने खिलाफ हुए अन्याय के लिए लड़ रही है, इसे न्याय मिलना ही चाहिए. 

4-स्वाति मालीवाल अपने साथ हुए अन्याय के लिए अकेले लड़ती रहीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास में मारपीट की घटना के आरोप के बाद कुछ देर वो शांत जरूर बैठी रहीं, लेकिन दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत देने के बाद वो कभी चुप नहीं बैठीं. सोशल मीडिया के जरिये लगातार हमले बोलती रही हैं. स्वाति मालीवाल की मुख्यमंत्री आवास पर पिटाई हुई या नहीं यह तो जांच का विषय हो सकता था पर जिस तरह उनके साथ पार्टी ने व्यवहार किया वो हैरान करने वाला था. स्वाति ने पार्टी और अरविंद केजरीवाल को भरपूर मौका दिया कि विभव कुमार पर एक्शन हो. पर जब पार्टी की ओर से उन्हें क्लियर सिगनल मिल गया कि उनके साथ कोई नहीं वो अकेले पड़ चुकी हैं तब उन्होंने पार्टी और केजरीवाल के खिलाफ बोलना शुरू किया. मालीवाल बिल्कुल अकेले पड़ चुकीं थीं. उनके साथ न ही बीजेपी थी और न ही इंडिया गुट का कोई दल ही उनका साथ देने सामने आया. अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए एक बार वो INDIA ब्लॉक के नेताओं को पत्र भी लिखी पर आश्चर्य कि कोई भी उनका साथ देना तो दूर मिलने को भी तैयार नहीं हुआ.  फिर मालीवाल ने एलोन वैरियर की तरह काम शुरू किया. वो जगह जगह जाकर दिल्ली में गंदगी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करके सवाल पूछती रहीं.

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