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आम आदमी पार्टी अगर चुनाव हारती है तो असर दिल्ली ही नहीं, पंजाब तक दिखेगा?

दिल्ली की सत्ता पर पिछले 11 साल से काबिज आम आदमी पार्टी की हार के कारणों पर अलग अलग मत हो सकता है. पर इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि ये हार पार्टी के लिए बहुत महंगी पड़ने वाली है.

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अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान
अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान

अगर एग्जिट पोल की माने तो दिल्ली विधानसभा का चुनाव आम आदमी पार्टी हार सकती है. एक ऐसी पार्टी जिसने भारतीय लोकतंत्र में शुचिता और पवित्रता लाने का वादा करके जनता का विश्वास जीता था उसका पराभव देखकर बहुत से लोगों का दिल टूटेगा. दिल्ली की सत्ता पर पिछले 11 साल से काबिज आम आदमी पार्टी की हार के कारणों पर अलग अलग मत हो सकता है. पर इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि ये हार पार्टी के लिए बहुत महंगी पड़ने वाली है. हालांकि हारने के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से चुनाव प्रक्रिया पर सियासी सवाल उठाया जाएगा. ईवीएम पर भी सवाल उठाया जा सकता है. बीजेपी की जीत को फर्जी वोटर के दम पर मिली जीत बताया जा सकता है. क्योंकि ऐसे आरोप आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली विधानसभा सीट के लिए बीजेपी पर लगाया था. विपक्षी दल मिलकर ये बहस तेज कर सकते हैं कि क्या नए फर्जी वोट जोड़कर चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है. राहुल गांधी ने अभी हाल ही में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए लोकसभा में इस तरह के आरोप चुनाव आयोग पर लगाए भी थे.पर इसके बाद भी आम आदमी पार्टी के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी. 

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1-आम आदमी पार्टी के टूटने का खतरा बढ़ जाएगा

जिस दिल्ली से आम आदमी पार्टी निकली है, उसी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए पार्टी की हार शर्मिंदगी का विषय बन जाएगा. अपनी सरकार के म़ॉडल को पूरे देश में केजरीवाल सर्वश्रेष्ठ बताते रहे हैं, अगर दिल्ली में ही पार्टी हार जाती है तो दूसरे राज्यों में क्या मुंह दिखाएंगे? यानी जहां से पार्टी का बीज फूटा, वहीं हार का झटका पार्टी के लिए बहुत बड़ा होगा. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी की हार केजरीवाल के लिए एक बड़ा व्यक्तिगत झटका भी होगा. यहां तक कि राजनीति में उनके भविष्य को लेकर भी सवाल उठ सकते हैं. किसी भी संगठन में जब नेता कमजोर होने लगता है तो नया नेतृत्व उभर कर आता है. आम आदमी पार्टी के संगठन में भी इस तरह के नेतृत्व के उभरने का खतरा होगा. एक और बात यह है कि आम आदमी पार्टी कोई बीजेपी, मंडलवादी या कम्युनिस्ट पार्टियों की तरह एक विचारधारा वाली पार्टी नहीं है. आम आदमी पार्टी का गठन ही केवल सत्ता में आने के लिए किया गया था. ऐसी पार्टियां बहुत ज्यादे दिनों तक विपक्ष में नहीं रह पातीं हैं. अरविंद केजरीवाल के सत्ता से हटते ही पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं में दूसरी पार्टियों में जाने के लिए भगदड़ मच सकती है. बीजेपी इस बात को प्रचारित करेगी कि घोटाले के जिन आरोपों पर अभी अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया जमानत पर हैं, उन्हें चुनावी अदालत में जनता ने दोषी मान लिया है. कहा जाएगा कि घोटाले के आरोपों पर जनता की अदालत का फैसला आ चुका है.

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2-पंजाब में आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी

पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार में है. भगवंत मान मुख्यमंत्री हैं. अरविंद केजरीवाल के विरोधी यह बात कहते रहे हैं कि केजरीवाल दिल्ली हारने के बाद खुद को पंजाब का मुख्यमंत्री भी बना सकते हैं. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो भी पंजाब में आम आदमी पार्टी के कमजोर होने के चांसेस बढ़ जाएंगे. सरकार भी गिर सकती है. पंजाब में बीजेपी भले ही सरकार बनाने की हैसियत में दूर-दूर तक नहीं है. पर इसके बाद भी बीजेपी चाहेगी कि राज्य में आम आदमी पार्टी कमजोर हो जाए. यह भी कोशिश होगी राज्य में कोई ऐसी सरकार रहे जिसके साथ बीजेपी के संबंध दोस्ताना हो. इस तरह पंजाब आम आदमी पार्टी में भी नया नेतृत्व देखने को मिल सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार को लेकर अरविंद केजरीवाल की योजना को झटका लगेगा. लिहाजा पंजाब में अब कांग्रेस केजरीवाल को घेरने के लिए मजबूती से लग जाएगी. 

3-अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्‍येंद्र जैन और संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ेंगी

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह जैसे आम आदमी पार्टी के नेता भ्रष्टाचार के मामलों में जेल से जमानत पर बाहर हैं. जाहिर है कि अभी तक ये लोग सरकार में थे इसलिए जेल हो या कोर्ट दोनों जगहों पर सहूलियतें मिल जातीं थीं. चूंकि तिहाड़ प्रशासन दिल्ली सरकार के अधीन आता था इसलिए वहां से सत्येंद्र जैन की तेल मालिश होती फोटो बाहर आती थीं पर शायद अब ये न हो. ये नेता जेल जाएंगे तो उन्हें पहले तरह की सुविधाएं न मिलें. इसके साथ दिल्ली सरकार के खर्चे पर देश के टॉप वकील जो लाखों रुपये एक पेशी का लेते हैं वह भी अब नहीं मिल सकेगा. जाहिर है कि अब इन दोनों ही प्रकार की छूटें नहीं मिलने से इन नेताओं की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. इसके बाद सत्ता जाने के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं के और भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आ सकते हैं . बहुत से गवाह भी आम आदमी पार्टी की सरकार के जाने के बाद बिना प्रयास किए सामने आएंगे.  

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4- इंडिया ब्लॉक में गैरकांग्रेसी दलों के गठजोड़ को झटका लगेगा

जो केजरीवाल इंडिया ब्लॉक में गैर कांग्रेसी दल जैसे शरद पवार की पार्टी, उद्धव ठाकरे की पार्टी, अखिलेश यादव की पार्टी, ममता बनर्जी के दल के पसंदीदा रहे हैं, केजरीवाल के उस गठजोड़ को झटका लगेगा. इसके साथ ही  इंडिया ब्लॉक के साथियों की तरफ से कांग्रेस पर सवाल होगा कि कांग्रेस के वोट काटने से बीजेपी को फायदा मिला है. पर मोदी से मुकाबले के लिए एक बार फिर इंडिया गठबंधन मजबूत होने का प्रयास करे. यह भी हो सकता है कि कांग्रेस को अब इंडिया गुट में चौधरी बनने का मौका न मिले.

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