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तेजस्वी यादव की नई रणनीति क्या बिहार में 'जंगल राज' के दाग धोने के लिए काफी है?  

बिहार विधानसभा चुनावों में इस बार जनता के सामने सबसे बड़ा मुद्दा लालू-राबड़ी के 15 साल बनाम नीतीश के 19 साल बनने वाला है. एनडीए ही नहीं महागठबंधन भी शायद इस मुद्दे को लेकर गंभीर है. तेजस्वी यादव ने पूरी तैयारी के साथ सामने आ रहे हैं.

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तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर तक होने हैं. जाहिर है कि राजनीतिक दल अभी से मुद्दा सेट करने को लेकर गंभीर हैं. हाल ही में जिस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन (1990-2005) को लेकर जंगल राज की चर्चा की है उससे यह साफ हो गया है कि एक बार फिर एनडीए इस मुद्दे पर चुनाव लड़ने के मूड में है. 24 फरवरी को भागलपुर में एक संयुक्त रैली के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी RJD पर हमला बोलते हुए लालू और रबड़ी के उस दौर को जंगल राज वाले करार दिया था. नीतीश कुमार, जो लगातार चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, हमेशा अपने शासन (2005 के बाद) और लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन (1990-2005) के बीच तुलना करते रहते हैं. लेकिन  खास बात यह है कि इस बार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) एनडीए के आरोपों पर आक्रामक तरीके से पलटवार करने के मूड में दिख रहा है. तेजस्वी यादव एनडीए के इस तरह के आरोपों से निपटने के लिए नई रणनीति पर काम कर रहे हैं. इस रणनीति की झलक इसी हफ्ते राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस के दौरान उन्होंने दी है.

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क्या है तेजस्वी यादव की रणनीति

तेजस्वी यादव की रणनीति है कि इस बार के चुनावों में जंगल राज के तथाकथित आरोपों का जवाब आंकड़ों और तथ्यों को आधार बनाकर दिया जाएगा. जिस तरह उन्होंने विधानसभा में आंकड़ों के साथ अपनी बात को रखा वह उसी का एक नमूना था. तेजस्वी की तैयारी दोतरफा है. एक तरफ तो तेजस्वी यादव लालू-राबड़ी के दौर का बखान करेंगे और ठीक दूसरी ओर नीतीश युग को अंधकार युग भी साबित करना है. तेजस्वी कहते हैं कि नीतीश कुमार अक्सर सवाल करते हैं  कि 2005 के पहले कुछ था जी? तेजस्वी तंज कसते हुए कहते हैं कि मुझे लगता है कि बिहार 2005 के बाद ही पैदा हुआ है. 2005 से पहले न सूरज था, न चांद था, न तारे थे.तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को याद दिलाते हैं कि महागठबंधन सरकार (2022-24) के दौरान जब वे उपमुख्यमंत्री थे तब 2 लाख नौकरियां दी गईं, जिसकी चर्चा खुद राज्यपाल के अभिभाषण में हुई थी. तेजस्वी यादव की योजना है कि इस बार के चुनावों में लालू की विरासत को आगे बढ़ाया जाएगा. यही कारण है कि RJD अब लालू यादव की सामाजिक न्याय और प्रशासनिक उपलब्धियों को सामने रख रही है. पार्टी की तैयारी है कि NDA के 2005 के पहले बनाम 2005 के बाद के नैरेटिव को कमजोर किया जा सके.

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2- पर क्या बिहार की जनता मानेगी कि लालू-राबड़ी का दौर राज्य का सबसे बेहतरीन युग था

तेजस्वी यादव ने आंकड़ों के जरिए यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके पिता और माता के कार्यकाल में राज्य में बहुत से सुधार हुए हैं. तेजस्वी यादव मंगलवार को बिहार विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हए मोहन गुरुस्वामी की किताब India: Issues in Development का हवाला देते हुए कहते हैं कि बिहार की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 1,100 डॉलर है, जबकि सब-सहारा अफ्रीका जो दुनिया के सबसे गरीब क्षेत्र के रूप में देखा जाता है की प्रति व्यक्ति आय 1,710 डॉलर है. इस तरह तेजस्वी यह साबित करते हैं कि 9 बार मुख्मंत्री पद का शपथ लेकर भी नीतीश कुमार बिहार का कल्याण नहीं कर सके. वो कहते हैं कि अगर नीतीश कुमार और लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे, तो वह ब्रिटिश हुकूमत और 18वीं सदी की सरकारों को भी इसके लिए दोष देने लगेंगे. 

- तेजस्वी अपने पिता की तारीफ में कहते हैं कि 1990 में लालू यादव ने बिहार को स्थिर सरकार दी, क्योंकि 1961 से 1990 के बीच 22 बार सरकार बदली थी और 5 बार राष्ट्रपति शासन लगा था.
- लालू यादव के शासन में समाजिक बदलाव हुआ, जिससे EBC, OBC और SC समुदायों के लोग संसद, सरकार और आयोगों में महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे.
-1986-1989 के बीच 6 से 14 साल के बच्चों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट 11.4% था, जो 1999 (राबड़ी देवी के कार्यकाल में) घटकर 3.2% रह गया.
-लालू यादव के शासन (1990-1997) में 39 लाख बच्चों को स्कूल भेजा गया.
-आज नीतीश कुमार के शासन में स्कूल ड्रॉपआउट रेट 41.4% है (NITI Aayog के अनुसार).

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तेजस्वी अपने पिता की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि आप पूछते हैं कि 2005 से पहले क्या हुआ? लालू जी ने 35 बड़े जमींदारों की अधिकतम सीमा से अधिक जमीन लेकर गरीबों में बांटीं. उन्होंने तीन लाख हेक्टेयर में ‘चकबंदी’ करवाई और भूमि सुधार लागू किया. लालू जी ने पीने के पानी पर टैक्स माफ किया, ताड़ी पर टैक्स खत्म किया और सामाजिक बदलाव के अग्रदूत बने.

 तेजस्वी कहते हैं कि उनके पिता ने SC/ST बच्चों के लिए 260 विशेष स्कूल खोले, 6 मेडिकल कॉलेज और 6 यूनिवर्सिटी स्थापित कीं (अखंड बिहार में). लेकिन आज, नए मेडिकल कॉलेज (जैसे मधेपुरा) में कोई सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए लोग वहां नहीं जाते. उन्होंने 1.17 लाख नौकरियां दीं. और आप पूछते हैं कि 2005 से पहले क्या हुआ?

केंद्र सरकार पर आरजेडी का वार

तेजस्वी की रणनीति में यह भी शामिल है कि वो बिहार की दुर्दशा के लिए केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराएं. तेजस्वी चाहते हैं कि लोग यह समझें कि लालू और राबड़ी देवी के समय जो अराजकता का माहौल था उसके पीछे केंद्र सरकार जिम्मेदार थी. आरजेडी नेता केंद्र सरकार पर भी हमला करते हुए कहा कि बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है. विधानसभा में उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि  1998-2001 के बीच बिहार को केंद्र से सिर्फ 4,047 करोड़ रुपये मिले, जबकि आंध्र प्रदेश को 9,790 करोड़ रुपये मिले. वह कहते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया, जबकि अन्य राज्यों को अधिक सहायता मिली. राबड़ी देवी भी केंद्र सरकार पर बिहार के साथ भेदभाव का आरोप लगाती हैं. उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी के जमाने में बिहार को कितना पैसा मिलता था काम करने के लिए? भारत सरकार ने सारे पैसों पर रोक लगा दिया था. 

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जगन्नाथ मिश्रा के राज को क्यों नहीं कहते जंगलराज

आरजेडी की रणनीति है कि जब भी चारा घोटाले या जंगलराज की चर्चा हो तो जगन्नाथ मिश्रा के कार्यकाल की भी चर्चा करना है. तेजस्वी ने हाल ही में कहा था लालूजी के नाम के आगे चारा चोर जोड़ दिया गया क्यों कि वे पिछड़े हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी तो चारा घोटाले में जेल गए थे उन्हें क्यों नहीं चारा चोर कहा जाता है. राबड़ी देवी ने भी अभी हाल ही में कहा कि आप सब जंगलराज जंगलराज कहते रहते हैं. आजादी के बाद जंगलराज नहीं था ? जगन्नाथ मिश्रा का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार के कार्यकाल पर सवाल उठाए.राबड़ी पूछती हैं कि जगन्नाथ मिश्रा के कार्यकाल पर क्यों नहीं बोलते? 

पर जंगल राज के गड़े मुर्दे भी उखाड़े जाएंगे

जंगलराज नाम देने के पीछे लालू और राबड़ी राज के दौरान होने वाली किडनैपिंग थी. जिसे उस समय उद्योग का दर्जा मिला हुआ था. अभी कुछ दिन पहले लालू यादव के साले सुभाष यादव ने एक पॉडकास्ट में स्वीकार किया था कि उस दौर में किडनैपिंग के फैसले सीएम आवास से ही होते थे. लालू राज के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुल 35 डॉक्टरों का और 27 इंजीनियरों का अपहरण हुआ था. लालू राज का अंत वर्ष 2005 में हुआ. बिहार में 2005 में 3 हजार 471 हत्याएं हुईं. 251 अपहरण की घटनाएं और 1 हजार 147 बलात्कार की घटनाएं रिपोर्ट की गईं. 2004 में बिहार में 3 हजार 948 लोगों की हत्या हुई थी। फिरौती के लिए 411 अपहरण और 1390 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे. इस दौरान प्रदेश की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं.इस दौरान नक्सली हमले भी कई गुना बढ़ गए थे. राजद के कई नेताओं के नक्सलियों से गहरे संबंध थे. 2005 में नक्सलियों की ओर से 203 हिंसक वारदातों को अंजाम दिया गया था.

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कहा जाता है कि माफिया टर्न पॉलिटिशियन शहाबुद्दीन को लालू यादव ने राजनीतिक रूप से संरक्षण दिया हुआ था. विपक्ष के कई कार्यकर्ताओं की हत्या के अलावा। जेएनयू के छात्र नेता चंद्रशेखर की हत्या का इल्जाम भी शहाबुद्दीन पर लगा. 2003 के आंकड़े कहते हैं कि इस साल 3 हजार 652 लोगों की हत्या की गई और 1956 रिकॉर्ड अपहरण हुए. विधायक अजीत सरकार की हत्या हुई. विधायक देवेंद्र दुबे, छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई. आईएएस ऑफिसर बीबी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास, उनकी मां, भतीजी और दो मेड के साथ रेप किया गया. डीएम जी कृष्णैया की मॉब लिंचिंग हुई .जाहिर है कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी.

पर तेजस्वी बात छेड़ेंगे तो उनके डिप्टी सीएम कार्यकाल की बात भी उठेगी

2022 में राजनीतिक घटनाक्रम कुछ ऐसा बदला कि नीतीश कुमार के डिप्टी सीएम तेजस्वी बन गए थे. पर यह दौर भी एक बार फिर राज्य में अराजकता लेकर आया. एक रिपोर्ट जिसे राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री ने जारी किए थे के अनुसार 10 अगस्त 2022 से 19 अप्रैल 2023 तक बिहार में आपराधिक मामलों की संख्या 4,848 है. इसमें हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, रेप, छिनैती इत्यादि के मामले हैं. पूरे राज्य में हत्या, लूट और सरकारी अधिकारियों पर हमला अब एक बेहद आम बात हो गई थी. आरजेडी का दबाव में ही 26 कैदियों को बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव कर रिहा किया था. जो कैदी रिहा हुए उनमें आनंद मोहन सिंह जैसे लोग भी शामिल थे. दरअसल उस लिस्ट में 13 नाम ऐसे थे जो लालू प्रसाद के एम-वाय समीकरण पर फिट बैठते थे. नीतीश कुमार की सुशासन वाली खराब होने लगी तो नीतीश कुमार ने आरजेडी से किनारा करके फिर एनडीए के साथ हो लिए.

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