अरविंद केजरीवाल की मानें तो फिलहाल वो तिहाड़ जेल से दिल्ली की सरकार चला रहे हैं. सरकार कैसे चला रहे हैं ये सुनने में जितना आसान लगता है, समझ पाना उतना ही मुश्किल है. आम आदमी पार्टी के नेताओं के बयानों को देखें तो सब कुछ आसान लगता है, क्योंकि गवर्नेंस का पैटर्न तो पुराना ही है.
लब्बोलुआब यही रहता है कि दिल्ली की जनता की चुनी हुई सरकार जो कुछ भी कल्याणकारी काम करना चाहती है, और दिल्ली के उप राज्यपाल अड़ंगा लगा देते हैं. आतिशी और सौरभ भारद्वाज भी ऐसा ही बताते हैं, और पहले अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी ऐसी ही बातें किया करते थे.
हाल फिलहाल दिल्ली में कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जो केजरीवाल एंड कंपनी के इस दावे पर सवाल खड़ा करती हैं कि जेल से भी सरकार बड़े आराम से चलाई जा सकती है. प्रशासनिक तौर पर कई तकनीकी पेच ऐसे फंसे हुए हैं, जो साबित कर रहे हैं कि ये सब व्यावहारिक नहीं है. जब आम आदमी पार्टी की तरफ से जेल से सरकार चलाने को लेकर दिल्ली में सर्वे कराये जा रहे थे तब भी ऐसे सवाल उठाये जा रहे थे.
हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी घुस जाने की वजह से आईएएस की तैयारी कर रहे तीन युवाओं की मौत हो गई थी. और उसी के आस-पास एक और युवक की बिजली का करंट लग जाने से जान चली गई थी. ऐसी घटनाएं तो पूरे सिस्टम पर ही सवाल उठाती हैं, लेकिन निशाने पर पहले तो अरविंद केजरीवाल की सरकार ही आती है.
सबसे बड़ी बात है, इतना सब होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल का देश के मुख्यमंत्रियों की रेटिंग ने नंबर दो पर बने रहना. आज तक के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में नंबर 1 पर तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जबकि तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बनी हुई हैं - और ऐसी कड़ी प्रतियोगिता में अरविंद केजरीवाल ने दोनों के बीच अपनी जगह बना ली है - बाकी सवाल अपनी जगह हैं, लेकिन मौजूदा हालात में अरविंद केजरीवाल की ये उपलब्धि कोई मामूली बात नहीं है.
जेल में होकर भी केजरीवाल का मैदान में बने रहना!
आज तक मूड ऑफ द नेशन सर्वे 15 जुलाई, 2024 से 10 अगस्त, 2024 के बीच किया गया, जिसमें लोगों से देश की राजनीति पर उनके मन की बात जानने की कोशिश हुई, और लोगों ने खुल कर जवाब भी दिया - और जब देश के 30 राज्यों के लोगों से देश के बेस्ट मुख्यमंत्री के बारे में पूछा गया तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोगों ने दूसरे नंबर पर रखा है.
अगस्त 2024 में 13.8 फीसदी लोगों ने अरविंद केजरीवाल को सबसे अच्छा मुख्यमंत्री माना है, जो योगी आदित्यनाथ को मिले 33 फीसदी वोट के आधे से भी कम है, लेकिन ममता बनर्जी को पंसद करने वाले 9 फीसदी से काफी ज्यादा है. देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता फरवरी, 2024 के मुकाबले घटी है. इसी पैमाने की बात करें, तो फरवरी में हुए सर्वे में अरविंद केजरीवाल को 19.6 फीसदी समर्थन मिला था - जो 21 मार्च को उनकी गिरफ्तारी से महीने भर पहले की बात है. हालांकि, साल भर पहले अगस्त, 2023 में अरविंद केजरीवाल को 19.1 फीसदी लोगों का समर्थन हासिल था.
मुख्यमंत्रियों के कामकाज को लेकर पूछे जाने पर मूड ऑफ द नेशन सर्वे में लोगों ने जो राय दी है, उसमें भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है. सर्वे के आंकड़े बताते हैं, फरवरी, 2024 में ये आंकड़ा 37 फीसदी था, अब ये 44 फीसदी पहुंच गया है. अगर एक साल की बात करें, तो अगस्त, 2023 में अरविंद केजरीवाल के कामकाज से 57.7 फीसदी लोग संतुष्ट थे, जिसमें 6 महीने बाद फरवरी में उसमें गिरावट दर्ज की गई, लेकिन फरवरी, 2024 से अगस्त, 2024 के बीच उसमें 7 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है - और सबसे महत्वपूर्ण बात यही है.
ये बात महत्वपूर्ण तो है ही, काफी हैरान भी करती है, क्योंकि ये उस अवधि की बात है जब अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं. जिस पीरियड की बात हो रही है, उस दौरान सिर्फ एक महीने वो बाहर रहे हैं और तब भी उनका ज्यादातर वक्त ईडी के नोटिसों को जवाब देने और मामला कोर्ट में चले जाने के बाद गिरफ्तारी से बचने की कोशिशों में जाया हुआ, लेकिन गिरफ्तारी को नहीं टा पाये.
बीच में लोकसभा चुनाव कैंपेन के लिए 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत भी मिली थी, लेकिन चुनाव नतीजे तो यही बताते हैं कि उनके चुनाव प्रचार का न तो आम आदमी पार्टी को कोई फायदा मिला, और न ही INDIA ब्लॉक के बैनर तले दिल्ली में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को.
ऊपर से स्वाति मालीवाल केस भी तभी हुआ था. स्वाति मालीवाल ने अरविंद केजरीवाल के पीए रहे बिभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया है, और वो भी जेल में हैं. मारपीट की घटना में भी दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर संदेह जताया है.
ये तो यही बता रहा है कि जेल में होकर भी अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्यमंत्री दिल्ली की राजनीति के मैदान में डटे हुए हैं. ये हाल तब है जब सरकारी कामकाज में रुकावट का मामला हाई कोर्ट तक में उठ चुका है. हाई कोर्ट को कहना पड़ा था कि बच्चों को किताबों मिलें ये सुनिश्चित तो करना ही होगा, क्योंकि उनको ऐसी सुविधाओं से वंचित तो नहीं कर सकते. मामला ये था कि किताबों को कोटे के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी जरूरी थी, और जेल में होने के कारण अरविंद केजरीवाल से दस्तखत करवाना संभव नहीं हो रहा था.
केजरीवाल का जेल जाना उनकी राजनीतिक सेहत के लिए फायदेमंद है
लोकसभा चुनाव के नतीजे, और मूड ऑफ द नेशन सर्वे के नतीजे बिलकुल एक दूसरे के उलट नजर आते हैं. वैसे दिल्ली में लोकसभा चुनाव के नतीजे तो पहले जैसे ही रहे हैं. दिल्ली में बीजेपी 2014 से सभी सात सीटें जीतती चली आ रही है, लेकिन दो बार विधानसभा के बाद एमसीडी के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को कामयाबी मिली है.
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव अगले साल 2025 के शुरू में होने वाले हैं, लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से एमसीडी को मिले निर्देशों के कारण इसी साल कराये जाने के भी कयास लगाये जा रहे हैं.
ईडी केस में जमानत पा चुके अरविंद केजरीवाल को सीबीआई वाले मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है. 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, लेकिन सीबीआई से जवाब मांगा था. 23 अगस्त को सीबीआई ने थोड़ी मोहलत मांगी तो सुप्रीम कोर्ट ने मान ली - यानी अभी 5 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक अरविंद केजरीवाल को जेल में ही रहना होगा.
अरविंद केजरीवाल के लिए अच्छी बात ये है कि उनके दो मजबूत साथी मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल से रिहा होकर बाहर आ चुके हैं, और फिलहाल पूरी टीम दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी है. हरियाणा का जिम्मा अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के हवाले हैं, जो हाल ही में शरद पवार से मिलने के लिए पुणे गई हुई थीं. उनके साथ संजय सिंह भी थे, लेकिन मीडिया को मुलाकात के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया.
दिल्ली में अब आम आदमी पार्टी की तरफ से एक नया कैंपेन शुरू किया गया है - 'केजरीवाल आएंगे!'
नया कैंपेन अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बारे में है, या चुनाव बाद दिल्ली की सत्ता में? जेल जाने के बाद अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता में उछाल आखिर क्या संकेत दे रहा है?