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करणी सेना अध्‍यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड के बाद भाजपा-कांग्रेस में राजपूतों को लेकर 'गैंगवार'

करणी सेना अध्‍यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या को लेकर राजस्थान का राजपूत समाज बेहद गुस्से में है, और नेताओं में मौके का राजनीतिक फायदा उठाने की होड़ मची हुई है - ऐसा लगता है जैसे राजपूत वोट बैंक के लिए बीजेपी और कांग्रेस में गैंग वार छिड़ी हो.

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सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड में राजनीति ने गैंगवार को पीछे छोड़ दिया है
सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड में राजनीति ने गैंगवार को पीछे छोड़ दिया है

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या को लेकर राजस्थान के राजपूत समाज में जो गुस्सा है, उसका राजनीतिक फायदा उठाने की भी कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. ऐसा लगता है जैसे अपराध की दुनिया की जगह राजनीति में ही गैंगवॉर छिड़ गयी हो. 

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हत्याकांड को लेकर अब तक जो बातें सामने आयी हैं, उसमें एकबारगी अपराध और राजनीति का गठजोड़ भी मालूम पड़ रहा है. हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गैंगस्टर रोहित गोदारा ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में बताया है कि कैसे उगाही के पैसे को लेकर झगड़ा हुआ था. हैरानी की बात ये है कि एक पेशेवर अपराधी की तरफ से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत का नाम लिया गया है, और एक एफआईआर में अशोक गहलोत को भी नामजद किया गया है. 

ये हत्या ऐसे वक्त हुई है, जब चुनाव नतीजे आने के साथ ही चुनाव प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी थी. चुनाव हार जाने के बाद अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे चुके थे, और नई सरकार ने अभी कामकाज भी नहीं संभाला था - ऐसे में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को मोर्चा संभालना पड़ा है. हत्या की जांच के लिए SIT भी बना दी गयी है. 

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हत्या के बाद राजस्थान का राजपूत समाज सड़क पर उतर आया था, लेकिन प्रशासन की तरफ से उनकी मांगे मान लेने और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की पत्नी शीला शेखावत की अपील के बाद विरोध प्रदर्शन थम गया. 

देखें तो करणी सेना शुरू से ही विवादों में रही है, और इनकी आपसी लड़ाई भी काफी चर्चा में रही है. करणी सेना का दो बार बंटवारा हो चुका है - जिसके बाद सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने अपना अलग संगठन खड़ा किया था.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने राजनीति में भी हाथ आजमाने की कोशिश की, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाये थे. उनकी हत्या के बाद उनके नाम पर राजनीति कहीं ज्यादा तेज हो रही है - और मौके का फायदा उठाने के मामले में ऐसा लगता है जैसे बीजेपी और कांग्रेस होड़ मची हुई हो. 

2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी भारत सीट से बीएसपी के उम्मीदवार भी रह चुके हैं. करीब 33 हजार वोट पाकर वो तीसरे स्थान पर रहे थे. उनकी पत्नी शीला शेखावत भी भादरा सीट से ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा था, लेकिन फिर वापस ले लिया था.

करणी सेना की आपसी लड़ाई

करणी सेना 2017 में फिल्म पद्मावत की शूटिंग के दौरान सुर्खियों में आयी थी. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी पद्मावत के साथ साथ गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर केस में अपने विरोध प्रदर्शनों को लेकर खासे चर्चा में रहे. 

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पहली बार करणी सेना के नाम से ये संगठन 2006 में अस्तित्व में आया. बाद में लोकेंद्र सिंह कालवी ने उससे अलग नया संगठन राजपूत करणी सेना बना लिया. बाद में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और लोकेंद्र सिंह कालवी के बीच विवाद खड़ा हो गया, और फिर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने 2017 में 'श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना' नाम से अलग अलग ही संगठन खड़ा कर लिया. फिलहाल वही संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. 

उगाही के पैसे का झगड़ा!

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गैंगस्टर रोहित गोदारा ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, "भाइयों मैं आपको बताना चाहता हूं कि ये हमारे दुश्मनों से मिलकर उनका सहयोग करता था... उनको मजबूत करने का काम करता था... रही  बात दुश्मनों की, तो वह अपने घर की चौखट पर अपनी अर्थी तैयार रखें... जल्दी उनसे भी मुलाकात होगी."

हत्या की वजह बताते हुए रोहित गोदारा लिखता है, ''... मारने की वजह ये है कि इससे हमारी डिस्ट्रीब्यूशन के एक मैटर को लेकर बात हुई थी."

रिपोर्ट के मुताबिक, रोहित गोदारा ने 2010 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था, और कुछ दिन बाद ही वो लॉरेंस बिश्नोई गैंग के संपर्क में आया. 2022 में जब पुलिस पीछे पड़ी तो फर्जी पासपोर्ट बनवा कर दुबई भाग गया - वहीं से वो सोशल मीडिया के जरिये अपने साथियों के संपर्क में रहता है, और सुपारी लेने से लेकर अपराध को अंजाम देने तक वहीं से सक्रिय बताया जाता है. 

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कांग्रेस के भीतर की कलह

बिश्नोई गैंग के ही संपत नेहरा ने काफी पहले ही धमकी देते हुए कहा था कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या होगी. माना जाता है कि बिश्नोई गैंग को लगता था कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी उसके विरोधी गैंग के मददगार है, और यही बात रोहित गोदारा ने भी कही है. 

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को खुलेआम मिल रही धमकियों को लेकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने ही नेता अशोक गहलोत को कठघरे में खड़ा कर दिया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबी माने जाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम का आरोप है कि धमकियों को नजरअंदाज किया गया, और अगर समय रहते सरकार और पुलिस ने एक्शन लिया होता तो सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ही नहीं, उदयपुर में कन्हैयालाल को भी बचाया जा सकता था.

गोगामेड़ी हत्याकांड के बाद कांग्रेस के भीतर की भी कलह सामने आ गयी है. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम का सवाल खड़ा करना इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कन्हैयालाल की हत्या और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को मिली धमकी का मामला भी कांग्रेस शासन के दौर का ही है. 

आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है कि कन्हैयालाल और करणी सेना के अध्यक्ष को अगर समय रहते सुरक्षा दे दी गयी होती तो आज दोनों जीवित होते. राजस्थान के कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को टैग करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सोशल साइट X पर लिखा है, '... मुकदमा तो अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ भी दर्ज होना चाहिये, लापरवाही कहो या साजिश गुनाह की सजा तो भोगनी पड़ेगी.'

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वैभव गेहलोत का नाम!

रोहित गोदारा अपनी पोस्ट में लिखता है, "इस मैटर में हमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने इन्वॉल्व कराया था... वैभव हमसे हिस्सा लेता था... सारी एक्सटॉर्शन मनी का... इस बात का सबूत हमारे पास कॉल रिकॉर्डिंग में है." 

हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गैंगस्टर रोहित गोदारा ने अपने हिसाब से घटना की वजह तो बताई ही है, ऐसी और हत्याओं की धमकी भी दी है. गैंगस्टर की पोस्ट से मालूम होता है कि हत्या के पीछे उगाही का मामला है, लेकिन उसमें राजनीतिक दखल का उसका दावा हैरान करता है. गैंगस्टर रोहित गोदारा के दावे में कितनी सच्चाई है, या राजनीति का कितना दखल है - ये सब तो गहराई से जांच पड़ताल के बाद ही सामने आ सकेगा.  

भाजपा ने ढूंढा मौका

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या को लेकर जब कांग्रेस के भीतर ही कलह मची हो, तो भला बीजेपी मौका हाथ से क्यों जाने दे. इस्तीफे के बाद अशोक गहलोत कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका में हैं, जिसका तकनीकी मतलब भले हो, कोई व्यावहारिक मतलब तो होता नहीं - ऐसे में राज्यपाल कलराज मिश्र सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. 

केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे राज्यपाल ने एक तरीके से मोर्चा संभाल लिया है. पूरे मामले की तह तक जांच के लिए SIT बना दी गयी है, जिसे ये पता लगाना है कि गोगामेड़ी को सुरक्षा मुहैया नहीं कराने में अधिकारियों की क्या भूमिका रही, और कौन कौन जिम्मेदार रहे. एसआईटी का नेतृत्व तेज तर्रार आईपीएस अफसर दिनेश एमएन कर रहे हैं. 

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कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया जाना इस मामले का महत्वपूर्ण पहलू है, और ये नये राजनीतिक टकराव का इशारा कर रहा है. जल्दी ही राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने वाली है. कामकाज संभालने के बाद मुख्यमंत्री के सामने ये अहम मसला होगा.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गई है - और परिवार के सदस्यों को हथियार के लाइसेंस का आवेदन भी 10 दिन के भीतर ही स्वीकृत किये जाने की बात कही गयी है. 

बीजेपी नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राजेंद्र गुढ़ा और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की निंदा की है. लाल डायरी के जरिये सुर्खियां बटोर चुके राजेंद्र गुढ़ा ने कहा है, 'पुलिस और अफसर तुरंत कार्रवाई करें वरना प्रतिकूल परिणामों के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे.'

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