दिल्ली की नई राजनीतिक जंग का टॉपिक पुराना ही है, भ्रष्टाचार. लोकपाल लाकर भ्रष्टाचार खत्म करने के दावे के साथ राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल को अब उसी हथियार से बचाव का रास्ता ढूंढना पड़ रहा है, जिसे लेकर कभी वो हमलावर हुआ करते थे - और वो हथियार है CAG रिपोर्ट.
फर्क बस ये है कि अरविंद केजरीवाल जिस हथियार कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल किया करते थे, बीजेपी ने भी उसका भरपूर फायदा उठाया था. अब वही हथियार बीजेपी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है. ये CAG रिपोर्ट दिल्ली की पिछली सरकार के कामकाज से जुड़ी है, जब आम आदमी पार्टी सत्ता का शासन हुआ करता था.
देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी की मुहिम का ये दूसरा भाग है. पहला हिस्सा दिल्ली में शराब घोटाले का आरोप था. अरविंद केजरीवाल की मुश्किल ये है कि बाजी पलट गई है. आम आदमी पार्टी सत्ता से बेदखल और बीजेपी दिल्ली पर काबिज हो गई है - बीजेपी CAG रिपोर्ट का भी बिल्कुल वैसे ही इस्तेमाल कर रही है जैसे उसने दिल्ली शराब घोटाला का इल्जाम लगाने में किया था.
सारी मुसीबत तो आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के मत्थे आनी है, लेकिन एक हिस्सा आतिशी को भी झेलना होगा. क्योंकि, कुछ दिन ही सही दिल्ली की मुख्यमंत्री तो वो भी रही हैं.
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मोर्चे पर आतिशी को दिल्ली विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाकर तैनात कर दिया है. खुद कार्यकर्ताओं को गीता का सार समझा रहे हैं. कह रहे हैं कि जो हुआ वो ऊपरवाले का चमत्कार था, और जो हो रहा है, वो भी.
आतिशी अब तक दिल्ली की महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिये जाने वाली स्कीम शुरू न होने को लेकर बीजेपी की सरकार पर हमलावर थीं, लेकिन अब बीजेपी धावा बोलने का पूरा बंदोबस्त कर चुकी है - अरविंद केजरीवाल और आतिशी को अब बीजेपी के हमले को नये सिरे से काउंटर करना होगा.
पहला दिन आपका, दूसरा दिन बीजेपी का
दिल्ली विधानसभा के नये सत्र के पहले दिन ही आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर पूरे दल बल के साथ हमला बोल दिया था. पहले हाथों में ₹2500 देने की मांग वाला पोस्टर लेकर, और बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय में बीआर आंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरों की जगह बदले जाने, और उनकी जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने को लेकर - लेकिन दूसरा दिन बीजेपी ने पहले से ही अपने हिसाब से तय कर लिया था.
उप राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी विधायकों के शोर मचाने पर स्पीकर विजेंदर गुप्ता बेहद सख्ती से पेश आये, और मार्शल के जरिये बाहर करा दिया.
अब बारी CAG रिपोर्ट की है, जिसमें 'शीशमहल', मोहल्ला क्लीनिक और शराब पॉलिसी केस सहित CAG की 14 रिपोर्ट शामिल हैं, और बारी बारी सभी बवाल मचाने वाले हैं. ये वे मुद्दे हैं, जिन पर दिल्ली चुनाव से पहले से ही बवाल मचा हुआ है.
सूत्रों के हवाले से आई खबर के मुताबिक, शुरुआत में 2 से 3 कैग रिपोर्ट पेश की जा सकती हैं.
CAG रिपोर्ट पर दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे विजेंद्र गुप्ता और अन्य बीजेपी विधायकों की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में 14 सीएजी रिपोर्टों को पेश करने की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि दिल्ली सरकार ने रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने में देर क्यों की? कोर्ट का मानना था, ये सरकार की नेकनीयती पर संदेह पैदा करता है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट का मानना था कि तत्कालीन सरकार को ये रिपोर्ट फौरन स्पीकर के पास भेज देनी चाहिये थी, और सदन में चर्चा करनी चाहिए थी.
नियमों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील महेश जेठमलानी ने कहा था, जब आप को 2023 में 8 रिपोर्ट्स मिलती हैं, और आपने इसे आज तक विधानसभा में पेश नहीं किया है, तो क्या यह संविधान का गंभीर उल्लंघन नहीं है?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने तब आरोप लगाया था, ‘2023 से, अरविंद केजरीवाल और आतिशी सरकार ने 12 से अधिक सीएजी रिपोर्टों को दबाकर रखा हुआ है.’
कितना मुश्किल होगा केजरीवाल और आतिशी के लिए बचाव करना
अभी तक आम आमदी पार्टी महिला सम्मान राशि को लेकर बीजेपी को घेर रही थी कि पहली कैबिनेट बैठक में स्कीम को मंजूरी नहीं दी गई, जबकि वो मोदी की गारंटी का हिस्सा है. लेकिन, बीजेपी ने आप को काउंटर करने के लिए नया हथियार उठा लिया है, सीएजी रिपोर्ट.
CAG आम आदमी पार्टी के खिलाफ बीजेपी का ब्रह्मास्त्र तो नहीं है, लेकिन फिलहाल किसी मायने में कम भी नहीं है. आतिशी जहां विधानसभा के मोर्चे पर बीजेपी का मुकाबला कर रही है, वहीं अरविंद केजरीवाल आप कार्यकर्ताओं की हौसलाअफजाई कर रहे हैं.
मिलने पहुंचे आप कार्यकर्ताओं से अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि वे मायूस न हों, और लोगों की सेवा करना ना छोड़ें, बिना सत्ता जितनी सेवा कर सकते हैं उतनी करते रहना है.
अरविंद केजरीवाल कहते हैं, कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक नई पार्टी आएगी और सरकार बनेगी… कुछ तो ऊपरवाले का चमत्कार था… ऊपरवाले ने कहा कि दिल्ली की जिम्मेदारी संभालो… हमने ऊपर वाले की आज्ञा मानी… 10 साल में हमने ऐसे ऐसे काम किये जो पार्टियां 75 साल में नहीं कर पाईं… अब ऊपरवाले की मंशा अलग थी, उसने कहा कि भई बस इतना ही था.'
ये CAG रिपोर्ट ही है जिसके बूते अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीति चमकाई. ये CAG रिपोर्ट ही है जिसकी वजह से 2014 में कांग्रेस की सरकार चली गई - और बीजेपी केंद्र की सत्ता पर काबिज हो गई.
अब फिर से ये CAG रिपोर्ट ही है जो अरविंद केजरीवाल के लिए गले की फांस बन रही है - और दिल्ली शराब नीति केस के बाद बीजेपी आम आदमी पार्टी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बना रही है.
अरविंद केजरीवाल की मुश्किल ये है कि कैसे वो रिपोर्ट को झुठलाएंगे? हाई कोर्ट के बाद अब आम आदमी पार्टी से विधानसभा में भी पूछा जाएगा कि सदन में रिपोर्ट को पेश क्यों नहीं किया? सवाल पूछे जाएंगे, और जवाब भी देना ही होगा.