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अरविंद केजरीवाल की नई गिरफ्तारी भी क्यों 'अस्वाभाविक' ही लगती है?

राउज एवेन्यू कोर्ट से मिली जमानत पर रोक लग जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सबसे बड़ी अदालत का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर हाई कोर्ट के स्टे लगाने को 'असामान्य' माना था. तिहाड़ में सीबीआई की पूछताछ के बाद अरविंद केजरीवाल की नये सिरे हुई गिरफ्तारी भी बिलकुल वैसी ही लगती है.

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ED के बाद  अरविंद केजरीवाल को अब CBI ने भी आबकारी नीति केस में गिरफ्तार कर लिया है.
ED के बाद अरविंद केजरीवाल को अब CBI ने भी आबकारी नीति केस में गिरफ्तार कर लिया है.

अरविंद केजरीवाल को ED के बाद अब CBI ने भी आबकारी नीति केस में गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले से ही तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत के बाद अरविंद केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर कर दिया था. 

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दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से 20 जून को जमानत मिल गई थी, जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में चैलेंज कर दिया और हाई कोर्ट ने निचली अदालत के जमानत आदेश पर स्टे लगा दिया, और फैसला सुरक्षित रख लिया. 

हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर के खिलाफ अरविंद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट चले गये. चूंकि हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश तो नहीं जारी किया, लेकिन एक महत्वपूर्ण टिप्पणी जरूर कर दी. असल में, सुप्रीम कोर्ट की नजर में निचली अदालत में जमानत मंजूर होने के बाद हाई कोर्ट का स्टे लगाना असामान्य (UNUSUAL) है.

और ठीक वैसे ही तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल से जुड़े जमानत केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले गिरफ्तार किया जाना भी बिलकुल अस्वाभाविक लगता है, जबकि सीबीआई के गिरफ्तार करने के फैसले पर सुनीता केजरीवाल की प्रतक्रिया बिलकुल स्वाभाविक है.

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अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने सोशल साइट X पर लिखा है, '20 जून अरविंद केजरीवाल को बेल मिली... तुरंत ED ने स्टे लगवा लिया... अगले ही दिन CBI ने आरोपी बना दिया... और आज गिरफ्तार कर लिया... पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आ जाये... ये कानून नहीं है... ये तानाशाही है, इमरजेंसी है.'

आम आदमी पार्टी ने सीबीआई के एक्शन का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ा है, जब अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने की संभावना थी, तो बीजेपी घबरा गई... और उन्हें सीबीआई द्वारा फर्जी मामले में गिरफ्तार करवा दिया.

आरोपी को मिली जमानत पर स्टे सही क्यों नहीं?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. बाद में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में कैंपेन के लिए 21 दिन की जमानत दे दी थी, जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर कर दिया था. फिर 20 जून को निचली अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली थी, लेकिन ईडी की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया. हाई कोर्ट के स्टे के खिलाफ जब अरविंद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. 

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर कोई आदेश तो नहीं जारी किया लेकिन जो बात कही वो काफी महत्वपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आमतौर पर जमानत अर्जियों पर स्टे नहीं लगता... वो उसी समय पारित होते हैं... ये बात बेहद असामान्य (UNUSUAL) है.’

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दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी कई दिलचस्प बातें सामने आई थीं. ईडी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि निचली अदालत में उसे अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त मौका नहीं दिया गया. यहां तक सुनने को मिला कि निचली अदालत में उनकी फाइल तक ठीक से नहीं देखी गई. 

बहरहाल, अब तो ये देखना है कि सुप्रीम कोर्ट का रुख क्या रहता है. इस बीच अरविंद केजरीवाल को सीबीआई के गिरफ्तार कर लेने के बाद उनके वकील ने याचिका वापस ले ली है - और अब नये सिरे से याचिका दायर की जानी है. 

केजरीवाल को सीबीआई ने क्यों गिरफ्तार किया?

देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल भी अब मनीष सिसोदिया की तरह शराब घोटाला केस में फंस चुके हैं. मनीष सिसोदिया को पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, और बाद में ईडी ने कस्टडी ले ली थी. अरविंद केजरीवाल से सीबीआई ने पहले पूछताछ जरूर की थी, लेकिन गिरफ्तार पहले ईडी ने किया था. 

कोर्ट में जब अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किये जाने को लेकर सवाल हुआ तो सीबीआई ने पूरा किस्सा सुनाया कि किस तरह वो बड़े धैर्य के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए इंतजार कर रही थी. 

सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया, पहले चुनाव चल रहे थे... तब जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार करने से परहेज किया... फिर अदालत चुनाव के लिए उनकी अंतरिम जमानत पर विचार कर रही थी... ये हमारे संयम को दर्शाता है कि हमने उन्हें उस समय गिरफ्तार नहीं किया जब वो चुनाव प्रचार कर रहे थे.

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सीबीआई की तरफ से कोर्ट को बताया गया है, अरविंद केजरीवाल को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि वो उस कैबिनेट का हिस्सा थे जिसने दिल्ली आबकारी नीति को मंजूरी दी थी. सीबीआई का आरोप लगाया है कि रिश्वत लेने के बाद दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में खास मकसद से संशोधन किये गये. थोक विक्रेताओं के लिए प्रॉफिट मार्जिन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया.

जब अरविंद केजरीवाल के वकील ने जांच एजेंसी पर दुर्भावना, प्रक्रिया के दुरुपयोग और पावर के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाया तो सीबीआई ने बड़ी मासूमियत के साथ दलील पेश की - 'अरविंद केजरीवाल की जमानत पर हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद ही हमने गिरफ्तार किया है.' 

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