राजनीति में विरोधियों पर आरोप लगाने की रणनीति बहुत पुरानी है. वीपी सिंह तो सिर्फ जेब में एक पर्ची लेकर घूमते थे और यह दावा करते थे कि ये स्विस बैंक के वो अकाउंट नंबर हैं, जिनमें राजीव गांधी और उनके करीबियों को बोफोर्स तोप सौदे की दलाली डिपॉजिट है. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी राजीव सरकार को लेकर वीपी सिंह के इस दावे पर लोगों ने भरोसा किया, और राजीव 1989 का चुनाव हार गए. यही रणनीति अपनी राजनीतिक शुरुआत करते हुए अरविंद केजरीवाल ने भी अपनाई. बल्कि वे अपने समकक्ष राजनेताओं से दो कदम आगे निकल गए. कई बार वहां तक, जहां से लौटना मुश्किल था. नतीजे में उन्हें अदालतों में माफी मांगनी पड़ी. लेकिन, हाल में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने कई बार तो हद ही पार कर दी.
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो आरोप लगाते हैं अधिकतर का कोई आधार नहीं होता है. इसलिए पब्लिक उनके आरोपों को अब भाव नहीं देती है. राजनीतिक गलियारों में भी उनके आरोपों के लिए अब कोई सहानुभूति नहीं दिखाता है. दिल्ली विधानसभा चुनाव की काउंटिंग से पहले गुरुवार को आम आदमी पार्टी ने अपने सभी 70 उम्मीदवारों की अहम बैठक बुलाई है. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं. दरअसल यह बैठक केजरीवाल के उन आरोपों के बाद बुलाई जा रही है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनके 16 कैंडिडेट्स से बीजेपी संपर्क कर रही है. उन्हें खरीदने की कोशिश कर रही है. आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह का कहना है कि दिल्ली में नतीजों से पहले ऑपरेशन लोटस शुरू हो गया है. आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के सात विधायकों को 15-15 करोड़ की पेशकश के फोन आने लगे हैं. सवाल यह है कि केजरीवाल के इन आरोपों में कितना दम है ? क्योंकि बिना रिजल्ट आए इस तरह की बातों पर क्यों कोई भरोसा करेगा.
1-आप के 16 विधायकों को बीजेपी से ऑफर मिले पर सबूत के नाम पर मोबाइल की रिकॉर्डिंग भी नहीं
अरविंद केजरीवाल ने एग्जिट पोल पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ एजेंसी दिखा रही हैं कि गाली-गलौज पार्टी की 55 से ज्यादा सीट आ रही हैं. केजरीवाल ने दावा किया कि दो घंटे में उनके 16 उम्मीदवारों के पास फोन आ गए हैं और पार्टी छोड़कर आने पर मंत्री बनाने के साथ 15-15 करोड़ रुपए के ऑफर का दावा किया. केजरीवाल ने X पर लिखा कि अगर इनकी पार्टी की 55 से अधिक सीटें आ रहीं हैं, तो हमारे उम्मीदवारों को फोन करने की क्या जरूरत है? केजरीवाल आरोप लगाते हैं कि एग्जिट पोल के सर्वे फर्जी हैं और उनके सहारे माहौल बनाकर उम्मीदवारों को तोड़ा जा रहा है. दरअसल इस तरह का आरोप अरविंद केजरीवाल कोई पहली बार नहीं लगा रहे हैं.
ठीक एक साल पहले दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को ऐसे ही एक आरोप की जांच में शामिल होने का नोटिस दिया था. लेकिन उसकी तय समय सीमा बीत जाने के बाद आप ने पुलिस को कोई जवाब नहीं दिया. तब केजरीवाल और आतिशी ने आरोप लगाया था कि आप सरकार को गिराने के लिए उनके 7 विधायकों को 25-25 करोड़ देने का ऑफर किया है. दिल्ली पुलिस ने इस आरोप पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था.
2-यमुना में हरियाणा सरकार के जहर मिलाने का आरोप लगाते हुए बहक गए थे पूर्व मुख्यमंत्री
दिल्ली विधानसभा चुनावों में जब प्रचार अपने चरम पर था अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया कि जानबूझकर दिल्ली में जहरीला पानी भेजा जा रहा है जिससे दिल्ली में नरसंहार किया जा सके. इस बयान के बाद यमुना का प्रदूषित पानी और दिल्ली में पीने के पानी के संकट पर सियासत तेज हो गई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस बयान को लेकर आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार को आड़े हाथो लिया. केजरीवाल को न केवल चुनाव आयोग ने तलब किया है बल्कि उनके खिलाफ हरियाणा के थानों में मुकदमा भी दर्ज हुआ. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह ने दिल्ली के एक घाट पर यमुना का पानी पीकर अरविंद केजरीवाल के आरोपों की हवा निकाल दी. अरविंद केजरीवाल ने यहां तक कहा था कि दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों ने हरियाणा के जहर मिलाए पानी को बॉर्डर पर ही रोक दिया नहीं तो दिल्ली में पता नहीं कितने लोग मारे जाते. जाहिर है कि आम जनता को इस तरह के आरोप हास्यास्पद लगे. एग्जिट पोल अगर सही होते हैं तो इस तरह के आरोपं के चलते ही दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी है.
3- दिल्ली चुनावों में आप की बुनियाद हिलने के पीछे केजरीवाल के झूठ बने बड़ा आधार
अगर एग्जिट पोल सही होते हैं और आम आदमी पार्टी का दिल्ली से सफाया होता है तो मानना होगा कि दिल्ली चुनावों में अरविंद केजरीवाल का बड़ा घर (शीश महल), उनका मुख्यमंत्री रहते वीवीआईपी कल्चर को सपोर्ट करती जीवन शैली की भूमिका सबसे बड़ी होगी. दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल ने जनता से कहा था कि वो सुरक्षा नहीं लेंगे और वीआईपी कल्चर से दूर रहेंगे. लेकिन सच्चाई यह थी कि केंद्र सरकार और पंजाब सरकार दोनों ही जगहों से केजरीवाल जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी. अभी भी उनके पास केंद्र सरकार से मिली हुई जेड प्लस कैटगरी की सिक्युरिटी है. केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि सत्ता में आने पर आम आदमी पार्टी सबसे पहला काम जनलोकपाल विधेयक को पास कराना होगा. पर ये आज तक नहीं हो सका. दरअसल अरविंद केजरीवाल ने जनता के बीच जैसी उम्मीद जगाई थी वैसी सादगी वाली राजनीति नहीं कर सके. उनके बहुत से समर्थकों को ये बात बहुत खलती है कि उनके नेता ने जैसा वादा किया था वैसा नहीं किया.
4-अरविंद केजरीवाल पहले आरोप लगाते हैं बाद में माफी मांगते रहे हैं
अरविंद केजरीवाल कोई पहली बार इस तरह के आरोप नहीं लगा रहे हैं. इसके पहले भी केजरीवाल ने कई ऐसे आरोप अपने विरोधियों पर लगाए हैं जिसके चलते उनकी बहुत किरकिरी हुई है. बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मशहूर वकील और राज्य सभा सदस्य कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी वे माफी मांग चुके है. नितिन गडकरी को उन्होंने पत्र लिखकर माफ मांगी थी उन्होंने लिखा था कि 'हम दोनों अलग-अलग दलों में हैं. मैंने आपके बारे में बिना जांचे कुछ आरोप लगाए, जिससे आपको दुख हुआ होगा, इसलिए आपने मेरे खिलाफ मानहानि का केस दायर किया. मुझे आपसे निजी तौर पर कोई दिक्कत नहीं है, इसलिए मैं आपसे माफी मांगता हूं.' केजरीवाल ने पंजाब के पूर्व मंत्री और अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से भी माफी मांगी थी. पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 के चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने मजीठिया पर ड्रग्स के धंधे में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. साथ ही उन्होंने पंजाब में आप की सरकार आने पर मजीठिया को सलाखों के पीछे भेजने तक की बात कही थी.केजरीवाल के इन आरोपों पर मजीठिया ने उनके खिलाफ मानहानि का दावा किया था. जिसके बाद केजरीवाल ने लिखित में माफी मांगी.