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इस्तीफा दूं या जेल से ही सरकार चलाऊं? केजरीवाल का ये सर्वे क्या पार्टी बचा लेगा?

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. पर आम आदमी पार्टी इस मौके को आपदा में अवसर की तरह ले रही है. पार्टी दिल्ली की जनता से पूछ रही है कि केजरीवाल को गिरफ्तारी के बाद जेल से सरकार चलाना चाहिए या रिजाइन करना चाहिए? क्या पार्टी का ये पैंतरा दिल्ली की जनता की सहानुभूति के लिए है?

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आम आदमी पार्टी ने पीसी करके हस्ताक्षर अभियान की जानकारी दी
आम आदमी पार्टी ने पीसी करके हस्ताक्षर अभियान की जानकारी दी

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने मैं भी केजरीवाल अभियान का शुक्रवार से आगाज कर दिया.आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली में रहने वाले लोगों से घर-घर जाकर पूछेंगे कि क्या दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देना चाहिए या जेल से ही सरकार चलानी चाहिए? आप कार्यकर्ता लोगों को यह भी समझाएंगे कि शराब घोटाला किस तरह फर्जी है? किस तरह अरविंद केजरीवाल को फंसाने के लिए केंद्र सरकार ने यह साजिश रची.

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अरविंद केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन के बाद राजनीतिक पार्टी के गठन के नाम पर दिल्ली की जनता से पहली बार सुझाव मांगा था कि उन्हें राजनीति में उतरना चाहिए या नहीं? एक कहावत है जैसी नियत वैसी बरक्कत . दिल्ली की जनता ने भी अरविंद केजरीवाल की इच्छानुसार यही सलाह दी कि अब केजरीवाल एंड टीम को राजनीति में उतरकर देश की सेवा करनी चाहिए. अब एक बार फिर दिल्ली की जनता से सुझाव लिया जा रहा है . जाहिर है इस बार भी फैसला वही आने वाला है कि अरविंद केजरीवाल को रिजाइन नहीं करना चाहिए बल्कि जेल में रहकर भी दिल्ली की सत्ता नहीं छोड़नी चाहिए.

दरअसल अरविंद केजरीवाल जैसा चतुर-चालाक-संघर्षशील, पक्के इरादों वाला, ईंट का जवाब पत्थर से देने वाला नेता विपक्ष में दूसरा नहीं है. केजरीवाल के किसी घोर विरोधी से पूछिए कि देश में वह कौन सा नेता है जो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सकता है? सिर्फ और सिर्फ एक ही उत्तर मिलता है कि बीजेपी को उसके ही चाल से अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वो केवल अरविंद केजरीवाल हैं. आप अरविंद केजरीवाल की तारीफ कर सकते हैं, उनकी आलोचना कर सकतें हैं पर आप भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल को इग्नोर नहीं कर सकते हैं.

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1-केजरीवाल अपनी गिरफ्तारी को भी इवेंट बनाएंगे

दरअसल केजरीवाल कोई भी बात करते हैं तो नरेंद्र मोदी के नीचे वे बात नहीं करते हैं. उनके टार्गेट में केवल और केवल प्रधानमंत्री ही होते हैं. अगर वो दिल्ली के उपराज्यपाल की चर्चा कर रहे होते हैं तो भी उनके निशाने पर मोदी ही रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह हर घटना को इवेंट बनाने के लिए जाने जाते हैं. केजरीवाल भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं. वो भी अपनी सरकार के छोटे-छोटे फैसलों और उपलब्धियों को इवेंट बनाना जानते हैं. अब जेल जाने के पहले वो इस घटना को एक बड़ा इवेंट बनाना चाहते हैं जिसमें दिल्ली की जनता भी पूरी तरह इन्वॉल्व हो.

 शुक्रवार से शुरू हुआ आप का ‘मैं भी केजरीवाल’ हस्ताक्षर अभियान 20 दिसंबर तक चलेगा. दिल्ली सरकार के मंत्री, विधायक, पार्षद और पदाधिकारी दिल्ली के 2600 पोलिंग स्टेशनों पर स्थित हर घर जाएंगे और लोगों को अपनी बात बताएंगे और केजरीवाल की गिरफ्तार पर पार्टी को क्या करना चाहिए इसके लिए उनकी राय जानेंगे. फिर 21 से 24 दिसंबर तक विधायक और पार्षद सभी वार्डों में जनसंवाद करके भी जनता की राय लेंगे.इसी बहाने जनता के बीच जाएंगे, मीडिया कवरेज भी फुल होगा . मतलब गिरफ्तारी हो या न हो पर उसका पूरा लाभ लेने की तैयारी हो चुकी है.

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2-जेल से सरकार चलाने की कोशिश करेंगे, ज्यादा से ज्यादा बर्खास्त कर दिए जाएंगे

अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि देश के नियम कानूनों के तहत जेल से सरकार चलाने का काम इतना आसान नहीं होगा.पर सीधे-सीधे कोई ऐसा कानून भी देश में नहीं है जो यह मना कर दे कि जेल जाने के पहले किसी सीएम का रिजाइन करना जरूरी है.कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली हुई है. ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है, क्रिमिनल मामलों में नहीं.
 इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है. धारा ये भी कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है. हालांकि केजरीवाल की गिरफ्तारी आपराधिक मामले में ही होगी. पर चूंकि दिल्ली विधानसभा का अध्यक्ष उनकी अपनी पार्टी का ही है, जाहिर है विधानसभा अध्यक्ष इस बात को मुद्दा बनाएगा.केंद्र सरकार के पास केवल एक ही हथियार बचेगा कि कानून व्यवस्था खराब होने को आधार बनाकर सरकार को बर्खास्त कर दे. पर क्या कोई भी सरकार ऐसे समय जब लोकसभा चुनाव सर माथे पर है ऐसा फैसला ले सकेगी? 

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3-जनता के सामने शहीद होने से अगले साल 5 साल के लिए फिर जीवनदान मिल जाएगा 

अब सवाल ये उठता है कि जो सरकार राजस्थान चुनाव के चरम पर राजस्थान सीएम के बेटे को ईडी जांच के लिए बैठा सकती है . जो सरकार केजरीवाल सरकार के बढ़ते महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली अध्यादेश ला सकती है, क्या वो सरकार अरविंद केजरीवाल के शहीद होने के डर से उनकी बर्खास्तगी टाल देगी. ऐसा लगता तो बिल्कुल भी नहीं है. ये केवल हम नहीं कह रहे हैं, इस बात को आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल भी समझ रहे हैं. और इस समझ के आधार पर ही उन्होंने रणनीति बनाई है शहीद होने की . यह भी तय है कि अगर केजरीवाल की बर्खास्तगी होती है तो न केवल अरविंद केजरीवाल को जीवनदान मिल जाएगा बल्कि आम आदमी पार्टी को भी अगले पांच साल के लिए प्राणवायु मिल जाएगा

4-कभी हार नहीं मानने वाले की छवि अगर बन गई तो देश में पीएम के दावेदार बन जाएंगे

हो सकता है कि हस्ताक्षर अभियान में दिल्ली की जनता की व्यापक भागीदारी को देखते हुए कानून व्यवस्था के आधार पर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी टल जाए और जेल से सरकार चलाने की नौबत ही न आए. पर अगर ऐसा होता है और उनको जेल से सरकार चलाने का मौका मिल जाता है तो निश्चित रूप से केजरीवाल उसे देश विदेश के लेवल पर लेकर जाएंगे. देश के सामने उनकी कभी हार न मानने वाले नेता की छवि बनेगी जो सीधे उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने लाकर बराबरी पर खड़ा कर देगी.

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