सनातन धर्म के मुद्दे पर विवाद रफ्तार पकड़ता जा रहा है. उदयनिधि स्टालिन के बाद डीएमके नेता ए राजा की सोच भी सामने आ गयी है. और मामला डेंगू, मलेरिया से आगे बढ़ते हुए वो सनातन धर्म को एचआईवी जैसी बीमारियों से तुलना करने लगे हैं.
उत्तर भारत में सनातन धर्म के मुद्दे पर डीएमके नेताओं को अगर किसी का खुला सपोर्ट मिल रहा है, तो वो राजनीतिक दल है - आरजेडी. कांग्रेस नेतृत्व तो कंफ्यूज है, और INDIA ब्लॉक के बाकी नेता करीब करीब चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन लालू यादव की पार्टी तो डीएमके के स्टैंड का खुला सपोर्ट कर रही है.
डीएमके सांसद ए राजा कह रहे हैं कि सनातन धर्म के मुद्दे पर उदयनिधि स्टालिन का रुख तो नरम था. मतलब, और सख्त होना चाहिये था. खुद बता भी देते हैं कि कितना सख्त होना चाहिये.
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके ए राजा की सलाहियत है कि सनातन धर्म की तुलना उन बीमारियों से होनी चाहिये जिनको सामाजिक कलंक की कैटेगरी में रखा जाता है.
ए राजा कह रहे हैं कि सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से नहीं बल्कि HIV और कुष्ठ रोग से होनी चाहिये. ध्यान रहे, कोई भी व्यक्ति HIV संक्रमित ब्लड या किसी और तरीके से भी इस बीमारी का शिकार हो सकता है - और कुष्ठ रोग भी आम बीमारियों में से एक है. किसी जमाने में ऐसी चीजों को सामाजिक अभिशाप माना जाता होगा, लेकिन मौजूदा समाज का बड़ा हिस्सा ऐसी चीजों को काफी पीछे छोड़ चुका है.
जिस कार्यक्रम के जरिये उदयनिधि स्टालिन का बयान सामने आया है, उसका तो नाम ही रहा - सनातन उन्मूलन सम्मेलन. ऐसे में उदयनिधि स्टालिन के बाद ए राजा का बयान चौंकाने वाला तो नहीं है. हां, राष्ट्रीय जनता दल के स्टैंड पर किसी को हैरानी हो रही हो तो बात अलग है.
जगदानंद सिंह क्या हवा का रुख बदल पाएंगे?
बिहार आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपनी पार्टी के दूसरे नेताओं की तरह सीधे सीधे सपोर्ट तो नहीं किया है, लेकिन RSS और बीजेपी को निशाना बना कर मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश जरूर की है. हालांकि, जिस तरीके से वो सनातन धर्म के मुद्दे पर विवाद को समझा रहे हैं, पॉलिटिकल लाइन बिलकुल वही है.
जगदानंद सिंह का कहना है कि देश मंदिर बनाओ या मस्जिद तोड़ो अभियान से नहीं चलेगा... देश में हिंदू मुस्लिम को बांटने से काम नहीं चलेगा. आरजेडी के ही एक कार्यक्रम में जगदानंद सिंह ने आरोप लगाया कि तिलक लगाने वालों ने ही देश को गुलाम बनाया. और लगे हाथ पूछा भी, देश गुलाम किस समय हुआ? क्या उस समय कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद और राम मनोहर लोहिया जैसे नेता थे?
उदयनिधि को मनोज झा का खुला सपोर्ट है
उदयनिधि स्टालिन के सपोर्ट में आरजेडी नेता मनोज झा कबीर के बहाने सवाल उठाते हैं. सवाल है, कबीर अगर आज पैदा होते तो क्या आप उनको फांसी पर लटका देते? और कबीर का दोहा सुनाते हैं, 'जो तू वामन वमनीं जाया, तो आने बाट हवे काहे न आया, जो तू तुरक तुरकनीं जाया तो भीतरि खतना क्यूं न कराया.'
मनोज झा का सुझाव है, कभी-कभी हमें प्रतीकों और मुहावरों के भीतर जाकर चीजों को समझना चाहिये. कहते हैं, सनातन में कई विकृतियां हैं. और पूछते हैं, जाति व्यवस्था क्या अच्छी चीज है? आखिर सीवर में उतरने वाले की जाति क्यों नहीं बदलती?
शिवानंद तिवारी तो नर्क का द्वार दिखाने लगे
आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी का सवाल है, सनातन धर्म में दलितों का क्या स्थान है? मैं पूछना चाहता हूं... सनातन धर्म में दलितों पर अत्याचार होता है. सनातन धर्म में पिछड़ों की क्या स्थिति है?
और फिर सनातन धर्म में महिलाओं की स्थिति का जिक्र करते हैं. शिवानंद तिवारी का कहना है, महिलाओं के लिए सनातन धर्म में कहा गया है कि ये नर्क का द्वार है.
निशाने पर लालू यादव - और तेजस्वी के तर्क
हाल ही में एक तस्वीर वायरल हुई है, जिसमें राहुल गांधी को लालू यादव मटन बनाने की रेसिपी सिखा रहे हैं. बीजेपी ने लालू की कही एक पुरानी बात का हवाला देते हुए आरजेडी नेता पर हमला बोला है. बीजेपी विधायक अपने तरीके से लालू यादव को याद दिला रहे हैं कि कैसे 'पाप का प्रायश्चित करने के लिए लालू यादव हरिहरनाथ मंदिर गये थे.'
बिहार से बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा का कहना है कि सावन के महीने में राहुल गांधी को मीट पकाने की ट्रेनिंग देकर लालू यादव ने सनातन धर्म को नीचा दिखाया है.
सनातन धर्म पर डीएमके नेताओं के बयान पर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव बच कर निकल जाते हैं. हाल ही में पूछा गया था तो ऐसी बातों को लेकर अनभिज्ञता जतायी थी, लेकिन बिहार में हो रहे जातीय सर्वे के बहाने जो कुछ वो कह रहे हैं, सनातन धर्म विवाद में आरजेडी की राजनीतिक लाइन तो करीब करीब वही है.
जातीय जनगणना का विरोध करने वालों को लेकर एक कार्यक्रम में तेजस्वी यादव कहते हैं, वो शादी अपनी ही जाति में करेंगे... लेकिन जातिवादी नहीं कहलाएंगे... जातीय सेना बनाकर जातीय सम्मेलन आयोजित करेंगे लेकिन अपनी जाति नहीं गिनवाएंगे.
और फिर तेजस्वी यादव बातों बातों में ही लगता है जैसे अपना उदाहरण दे रहे हों, 'वो लोग जो दूसरी जाति और धर्म में शादी करते है... किसी जातीय सम्मेलन में नहीं जाते... समता और सामाजिक न्याय की बात करते है - उन्हें ये जातिवादी बताते हैं.'
तेजस्वी यादव की पत्नी क्रिश्चियन रही हैं, लेकिन दोनों की शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई है. तेजस्वी यादव का खुद की मिसाल देना तो बनता ही है.