महाकुंभ के महत्व को लेकर लालू यादव का बयान ऐसे समय आया है जब राहुल गांधी के संगम जाकर डुबकी लगाने की खबर आ रही है, और अखिलेश यादव महाकुंभ में डुबकी लगाते तस्वीरें भी शेयर कर चुके हैं. ये भी सुनने में आया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ उनकी सांसद बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी कुंभ नहाने जा रही हैं.
लालू यादव का बयान इसलिए भी अभी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि साल के आखिर में बिहार में विधानसभा के भी चुनाव होने जा रहे हैं - फिर कैसे न माना जाये कि महाकुंभ पर लालू यादव का बयान चुनावी और राजनीतिक रूप से अहम नहीं है.
लालू यादव की नजर में महाकुंभ का महत्व
आरजेडी नेता लालू यादव ने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की तरह प्रयागराज महाकुंभ पर कोई बयान नहीं जारी किया है. बल्कि, नई दिल्ली स्टेशन पर मची भगदड़ में हुई मौतों पर अपनी प्रतिक्रिया में महाकुंभ को लेकर भी अपनी राय जाहिर कर दी है.
रेल मंत्री रह चुके लालू यादव ने स्टेशन पर हुई मौतों को लेकर कहा है, दुखद घटना घटी है… हम सब लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं… ये रेलवे की गलती है… रेलवे की लापरवाही की वजह से इतने लोगों की मौत हुई है… रेल मंत्री को जिम्मेदारी लेनी चाहिये.
और उसी क्रम में महाकुंभ को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में लालू यादव ने महाकुंभ को बेकार की कवायद बता डाली है. असल में, रेलवे स्टेशन पर भीड़ भी महाकुंभ के कारण ही हुई थी, और भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई.
महाकुंभ को लेकर पत्रकार के सवाल के जवाब में लालू यादव का कहना है, अरे ये सब कुंभ का क्या कोई मतलब है… फालतू है कुंभ.
बीजेपी लालू यादव के बयान को सनातन का अपमान बता रही है, लेकिन बिहार सरकार में उसकी सहयोगी जेडीयू नेता लालू यादव के बयान में राजनीतिक मकसद देख रहे हैं.
जेडीयू नेता नीरज कुमार कह रहे हैं, लालू प्रसाद जी राजनीति में नजरबंद हैं, तो नजरबंद व्यक्ति की वाणी भी नजरबंद हो जाती है… अब जिस तरह की दुखद घटना हुई, उस पर पीड़ा व्यक्त करने के बजाये राजनीति का एजेंडा तय कर रहे हैं.
और फिर अखिलेश यादव के कुंभ स्नान से जोड़कर जेडीयू नेता नीरज कुमार कहते हैं, अगर कुंभ को आपने फालतू बताया है… आपकी नजरों में फालतू है, मतलब आपकी बात कोई मानता नहीं है… अखिलेश यादव यात्रा कर रहे हैं, जो आपके निकटस्थ संबंधी हैं, तो उनको नहीं समझा दिये... वो स्नान करके अपने फोटो डाल रहे हैं, तो इसका मतलब वो भी फालतू हैं… बोलिये कि अखिलेश यादव फालतू हैं.
क्या लालू यादव बिहार चुनाव के कारण ऐसा बोल रहे हैं
1. बिहार में लालू यादव और यूपी में अखिलेश यादव एक ही पैटर्न पर राजनीति करते रहे हैं. अब दोनो नेताओं के बेटे तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव राजनीति की उसी राह पर चल रहे हैं.
ये राह है मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति की, और दोनो की राजनीति में एक ही बिरादरी का होने के कारण यादव वोटर कॉमन जगह बनाता है - और इस तरह लालू यादव और अखिलेश यादव दोनो एम-वाई समीकरण की राजनीति करते हैं.
देखा जाये तो मुस्लिम वोट तो राहुल गांधी की कांग्रेस को भी चाहिये - और जब राहुल गांधी महाकुंभ जा रहे हैं तो लालू यादव को किस बात का डर लग रहा है?
2. मुलायम सिंह यादव ताउम्र चुनावों से पहले अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने का गर्व से बखान करते रहे, लेकिन अखिलेश यादव के रुख में अब काफी नरमी महसूस की जा रही है.
ये ठीक है कि लालू यादव ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोकने का वैसे ही स्टैंड लिया था, जैसे मुलायम सिंह ने अयोध्या में गोली चलवाने का या आगे चलकर पूरे विपक्ष ने राम मंदिर उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का.
3. घोषित तौर पर तो अभी तक अखिलेश यादव, लालू यादव और राहुल गांधी इंडिया ब्लॉक में साथ ही हैं - और राम मंदिर उद्घाटन समारोह का तो पूरे विपक्ष ने बहिष्कार किया था - क्या लालू यादव महाकुंभ में भी राम मंदिर आंदोलन की राजनीतिक झलक देख रहे हैं.
4. जब अखिलेश यादव डुबकी लगा आये, और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कमेंट के बाद भी राहुल गांधी जाने वाले हैं, फिर लालू को महाकुंभ फालतू क्यों लगता है?