दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी बढ़त बनाने के लिए राजनीतिक दल आधुनिक हथियारों जैसे एआई (ऑर्टिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल कर रहे हैं. पर जिस तरह किसी भी वॉर का फैसला पैदल सेना (पारंपरिक युद्ध प्रणाली) ही करती है. इसी तरह दिल्ली में ईमेल, मेसेज, एआई वाले वीडियो से लड़ी जा रही लड़ाई पारंपरिक साधनों (चिट्ठी) पर उतर आई है. आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में केजरीवाल ने भागवत से दो सवाल पूछे हैं. केजरीवाल ने चिट्ठी में मोहन भागवत से पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया है, क्या आरएएस उसका समर्थन करती है? तो भारतीय जनता पार्टी ने जवाबी हमला अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर की है. बीजेपी ने उन्हें नए साल पर दिल्ली की जनता की भलाई के लिए कुछ संकल्प लेने की समझाइश दी है. इसके पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी वीके सक्सेना को पत्र लिखकर हिंदू और बौद्ध धार्मिक स्थलों को न तोडे जाने की अपील की थी. मतलब साफ है कि राजनीतिक दलों को लगता है कि लड़ाई जीतने के लिए पारंपरिक हथियारों को भी चमका कर रखने की जरूरत है. इन चिट्ठियों की सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया दोनों जगहों पर चर्चा हो रही है.
केजरीवाल की आरएसएस चीफ को चिट्ठी एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सर्वे सर्वा अरविंद केजरीवाल चिट्ठी में लिखते हैं कि बीजेपी नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं. क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती हैं? चिट्ठी में मोहन भागवत से पूछा गया कि बड़े स्तर पर दलितों और पूर्वांचलियों के वोट काटे जा रहे हैं. क्या आरएसएस को लगता है कि ये जनतंत्र के लिए सही है? क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है. बता दें कि केजरीवाल ने तीन महीने पहले भी मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी थी. उस समय उन्होंने उनसे पांच मुद्दों पर सवाल पूछे थे. उन्होंने तब बीजेपी पर दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़ने, भ्रष्ट नेताओं को पार्टी में शामिल कराए जाने के आरोप लगाते हुए बीजेपी और आरएसएस के संबंधों पर भी सवाल उठाए थे.
दरअसल आरएसएस पर हमला करके अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि बीजेपी विरोधी वोटों का दिल्ली में बंटवारा न हो. वो बार-बार आरएसएस को बीजेपी के साथ घसीटने की कोशिश करते हैं ताकि बीजेपी विरोधी ऐसे वोटर्स जो कांग्रेस की ओर जा सकते हैं वो उन्हें समझ सकें कि बीजेपी के असली विरोधी वो ही हैं. केजरीवाल बार-बार आरएसएस और बीजेपी के रिश्तों पर सवाल उठाते हैं.
तीन महीने पहले लिखी चिट्ठी हो या अब लिखी हुई चिट्ठी दोनों में ही उनका मुख्य पैगाम यही है कि बीजेपी का रिमोट आरएसएस के पास है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता को यह भी समझाना चाहते हैं कि अभी कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जिस तरह संभल हिंसा के बाद हिंदू संगठनों और नेताओं से हर मस्जिद में मंदिर न ढूंढने की अपील की थी, वो केवल एक दिखावा था.
केजरीवाल मोहन भागवत से पूर्वांचलियों और दलितों के संबंध में प्रश्न पूछकर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी और संघ को इन समुदायों की चिंता नहीं है. उन्हें पता है कि उनके पत्र का उत्तर आरएसएस देने वाली नहीं है. दूसरे अगर संघ जवाब दे भी देता है तो समझो उनका काम हो जाएगा. क्योंकि पूर्वांचलियों और दलितों के वोट काटने का सवाल अभी तक मु्द्दा नहीं बन पाया है. इस तरह अगर भागवत उनके पत्र का उत्तर देते हैं तो भी ठीक है अगर नहीं देते हैं तो केजरीवाल को हर सभा में यह कहने का मौका मिल जाएगा कि संघ को इन समुदायों के हितों की कोई चिंता नहीं है.
बीजेपी ने भी केजरीवाल को लिखी चिट्ठी में मर्म पर चोट किया है
जाहिर है चुनाव प्रचार में सेर पर सवा सेर जो रहेगा वही जनता का दिल जीत सकेगा. बीजेपी कहां पीछे रहने वाली है. भारतीय जनता पार्टी ने भी अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी की नस पकड़ने की कोशिश की है. बीजेपी को भी पता है कि किन मुद्दों पर बोलने से आम आदमी पार्टी बचती रही है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है जिसमें यह कोशिश की गई कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को झूठा साबित किया जा सके.
सचदेवा लिखते हैं कि मुझे विश्वास है कि अब कभी भी आप अपने बच्चों की झूठी कसम नहीं खाएंगे. दरअसल राजनीति में आने से पहले अरविंद केजरीवाल अपने बच्चों की कसम खाकर कहते थे कि अगर सत्ता में आ गए तो कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करेंगे. पर बाद में उसी के समर्थन से पहली बार सरकार बनाई. लोकसभा चुनावों में भी दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा.
सचदेवा दूसरा वादा करवाना चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल अब बुजुर्गों, महिलाओं और धार्मिक जनों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करेंगे. जाहिर है कि उनका इशारा महिलाओं और बुजुर्गों और पुरोहितों के नाम का रजिस्ट्रेशन अभियान चलाकर उनसे ये वादा करना है कि सरकार बनने पर इन वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू किए जाने हैं. महिलाओं को 2100 रुपये देने का वादा है, बुजुर्गों के लिए निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था करना है और पुरोहितों को 18 हजार प्रति महीने देने का वादा किया गया है. जबकि बीजेपी कहती है कि केजरीवाल ये सब कहां से कर सकेंगे. पंजाब में अभी तक महिला सम्मान निधि नहीं दी जा सकी है. दिल्ली में 18 महीनें से मस्जिद के मौलवियों को मिलने वाली राशि आज तक नहीं मिली है.
तीसरा वादा यह कराया गया है कि आप शराब को प्रोत्साहन देने के लिए दिल्ली वालों से माफी मांगेंगे. चौथा वादा यह कराया गया है कि दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए झूठे वादे किए गए और सफाई के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के लिए दिल्ली वासियों से माफी मांगेंगे. पांचवां वादा उनसे करने को कहा गया है कि आप देश विरोधी ताकतों से न मिलने और उनसे चंदा नहीं लेने का संकल्प लेंगे. दरअसल दिल्ली शराब घोटाला और यमुना की गंदगी, कूड़े के पहाड़ और कुछ आतंकवादी समूहों से चंदा लेने का उन पर आरोप लगता है रहा है जिस पर आम आदमी पार्टी का जवाब देना मुश्किल हो जाता है.
अब आखिर में यही सवाल उठता है कि केजरीवाल की चिट्ठी के जवाब में भाजपा ने जिस तरह से केजरीवाल और आप की कमजोरियों पर चोट की है, उसका असर क्या दिल्ली के वोटरों पर पड़ेगा? ये आने वाला वक्त ही बताएगा.