UP Lok Sabha Election 2024: पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पूरे देश की निगाहें हैं. कारण कि एक छोर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी है तो दूसरे छोर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला गोरखपुर है. पर बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि 2014 लोकसभा और 2017 विधानसभा चुनावों को छोड़ दें तो उसके बाद 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए यह इलाका सुकून देने वाला नहीं रहा है. 2019 लोकसभा चुनावों में यहां बीजेपी ने अपनी 5 लोकसभा सीटें गवां दी थीं तो 2022 विधानसभा चुनावों में कई जिलों में पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया. इसी तरह 2019 में 3 लोकसभा सीटें ऐसी थीं जहां मामूली वोटों से पार्टी कैंडिडेट चुनाव जीत सके थे. बीजेपी के सबसे बड़े 2 महारथियों के प्रभाव के बावजूद पार्टी की ऐसी दुर्गति क्यों है? 2024 में क्या समीकरण बन रहे हैं, आइये देखते हैं.
2019 में इन 5 सीटों पर बीजेपी को मिली थी हार, इस बार क्या है समीकरण
1. आजमगढ़
2019 के आम चुनाव में आजमगढ़ सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. यादव और मुस्लिम बहुल इस संसदीय सीट पर एमवाई फार्मूला काम करता रहा है. हालांकि अखिलेश के रिजाइन करने के बाद हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव को यहां से करारी हार मिली. और बीजेपी के प्रत्याशी भोजपुरी एक्टर और सिंगर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को जीत मिली थी. पर जीत का अंतर काफी कम हो गया. 2024 में समीकरण समाजवादी पार्टी के पक्ष में है . क्योंकि उपचुनाव में बीजेपी के जीत का कारण बने बीएसपी कैंडिडेट गुड्डु जमाली अब समाजवादी पार्टी के साथ हैं. बीएसपी इस बार कई प्रत्याशी बदलने के चलते पहले जितना प्रभावी नहीं है.
2. घोसी सीट
पिछले चुनाव में घोसी लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के अतुल राय ने चुनाव जीता था. अतुल राय को 1,22,568 मतों के अंतर से जीत मिली थी. पर इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ने मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं. समाजवादी पार्टी से राजीव राय तो बहुजन समाज पार्टी से बालकृष्ण चौहान उम्मीदवार हैं.बालकृष्ण यहां से एक बार सांसद रह चुके हैं. एनडीए ने यहां से सुभासपा के अनिल राजभर को उम्मीदवार बनाया है. अनिल सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बेटे हैं. बीजेपी ने घोसी के दारा सिंह चौहान को बीजेपी में शामिल किया था कि चौहान (नोनिया) वोटों का फायदा हो सकेगा. पर बीएसपी उम्मीदवार के भी नोनिया जाति से होने के चलते यह फायदा अब एनडीए कैंडिडेट को नहीं मिलेगा. इसी तरह बीजेपी को सवर्ण (भूमिहार) वोट भी मिलने की उम्मीद भी अब कम है क्योंकि समाजवादी पार्टी ने भूमिहार समुदाय के कैंडिडेट को उम्मीदवार बनाया है.
3. गाजीपुर
गाजीपुर लोकसभा सीट से 2019 का आम चुनाव बहुजन समाज पार्टी के अफजाल अंसारी ने जीता था. उन्हें अफजाल अंसारी ने 1,19,392 मतों के अंतर से हराया था. गाजीपुर लोकसभा सीट से बीजेपी के मनोज सिन्हा तीन बार सांसद रह चुके हैं. इस बार मनोज सिन्हा के ही खास पारस नाथ राय को बीजेपी से टिकट मिला है. मनोज सिन्हा जबसे कश्मीर के राज्यपाल बने हैं तबसे उनके नाम और काम की काफी चर्चा है. उन्हें लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खास समझने लगे हैं.इसके चलते उनका प्रभाव गाजीपुर में कुछ काम कर सकता है. पर मुख्तार अंसारी की मौत के चलते समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अफजाल अंसारी को सहानुभूति वोट मिलने की उम्मीद है. पर इस बार बहुजन समाज पार्टी अफजाल अंसारी के साथ नहीं है. इसलिए यहां की लड़ाई इस बार कांटे की है.
4. जौनपुर
जौनपुर लोकसभा सीट से भी 2019 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. इस सीट से बहुजन समाज पार्टी के श्याम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी. 1989 से 2014 के बीच बीजेपी ने यहां से चार बार लोकसभा का चुनाव जीता था.इस बार बीजेपी ने मुंबई में पूर्वांचल के लोकप्रिय नेता कृपाशंकर सिंह पर दांव खेला है. पर उनका मुकाबला बाबू सिंह कुशवाहा से है जो समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. बाबू सिंह कुशवाहा बीएसपी में रहते हुए अतिपिछड़ों के कद्दावर नेता रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी ने अपने पुराने सांसद श्याम सिंह यादव पर ही भरोसा जताया है. अगर बीएसपी उम्मीदवार कमजोर पड़ते हैं तो समाजवादी पार्टी को फायदा होना तय है. वैसे धनंजय सिंह ने जबसे बीजेपी के पक्ष में बैटिंग शुरू की है बीजेपी को कुछ फायदा होने की उम्मीद बढ़ी है.
5. लालगंज
लालगंज सीट सुरक्षित सीट है. 2014 में इस सीट से बीजेपी को विजय मिली थी. 2014 में बीजेपी की नीलम सोनकर यहां से जीत हासिल की थी. पर 2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एक साथ चुनाव लड़कर बीजेपी से यह सीट छीन ली थी.लालगंज लोकसभा सीट से 2019 का आम चुनाव बहुजन समाज पार्टी की संगीता आजाद जीती थीं.बीजेपी ने एक बार फिर अपनी पुरानी कैंडिडेट नीलम सोनकर पर ही भरोसा जताया है.बीएसपी ने यहां से डॉक्टर इंदू चौधरी को मैदान में उतारा है.समाजवादी पार्टी ने पुराने समाजवादी दरोगा सरोज पर भरोसा जताया है.लालगंज सीट पर सबसे अधिक संख्या में मुस्लिम वोटर ही हैं. करीब ढाई लाख मुस्लिम वोटर्स हैं और 2लाख के करीब यादव वोटर्स हैं. पर अति पिछड़ों और दलितों का वोट भी इतना है कि निर्णायक हो जाता है. इसलिए यहां की जीत भी बीएसपी कैंडिडेट की ताकत पर निर्भर करेगा कि वो चुनाव को किस दिशा में मोड़ देता है.
पूर्वी यूपी की ये तीन सीटें क्या इस बार भी जीत पाएगी बीजेपी
पूर्वी उत्तर प्रदेश में तीन सीट ऐसी रही हैं जहां बस बीजेपी किसी तरह ही जीत सकी थी. जाहिर है कि उन तीनों सीटों को कंटीन्यू रखना एक बड़ी चुनौती होगी. चंदौली , मछली शहर और बलिया तीन सीट ऐसी थीं जहां बीजेपी बहुत कम वोटों से 2019 में चुनाव जीत सकी थी.
6. मछलीशहर
यूपी में मछली शहर लोकसभा सीट पर सबसे कम अंतर रहा था. बीजेपी यह सीट महज 181 वोटों से जीतने में सफल रही थी.मछली शहर में बीजेपी ने मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उम्मीदवार बनाया है. बीपी सरोज के पास जीत की हैट्रिक बनाने का मौका है, पर एंटीइनकंबेंसी का पहलू जरूर उन्हें परेशान करेगा. समाजवादी पार्टी ने 3 बार सांसद रहे तूफानी सरोज की 26 साल की बेटी प्रिया सरोज पर भरोसा जताया है. जाहिर है कि इस बार बीजेपी के लिए यहां का चुनाव आसान नहीं है.
7. चंदौली
पिछली बार बीजेपी ने पूर्वांचल की चंदौली लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि, यहां जीत का अंतर भी ज्यादा नहीं था. चंदौली सीट से बीजेपी के डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय महज 13,959 मत से जीते थे. वहीं, इससे पहले इसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2014 का आम चुनाव डॉ. पांडेय ने डेढ़ लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीता था.पर इस बार मुकाबल बेहद कड़ा है . समाजवादी पार्टी ने इस बार यहां से वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है.चंदौली लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार सतेंद्र कुमार मौर्य को बनाया है .चंदौली में मौर्य लोगों की निर्णायक भूमिका होती है. सबसे बड़ी बात कि मौर्य लोग बीजेपी को वोट देते रहे हैं. करीब तीन बार से यहां से बीजेपी के प्रत्याशी मौर्य ही होते थे. जाहिर है कि अगर मौर्य वोट बीजेपी से कटते हैं तो महेंद्रनाथ पांडेय के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
8. बलिया
बलिया में 2019 का चुनाव बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त ने मात्र 15,519 वोट से जीता था. शायद यही कारण है कि बीजेपी ने उनपर इस बार भरोसा नहीं जताया है. बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को कैंडिडेट बनाया है. उनके सामने सपा के सनातन पांडेय और बीएसपी के ललन सिंह यादव मैदान में हैं. नीरज शेखर की स्थिति यहां मजबूत है पर सनातन पांडेय खेल बिगाड़ने की कूवत रखते हैं.