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ममता बनर्जी इंडिया गुट के नेता पद के साथ क्‍यों न्‍याय नहीं कर पाएंगी | Opinion

ममता बनर्जी के तेवर देखकर तो लगता है जल्दी से वो राहुल गांधी को किनारे लगाकर INDIA ब्लॉक का नेतृत्व करना चाहती हैं, लेकिन वो भूल जाती हैं कि उनकी अपनी सीमाएं ही उन पर भारी पड़ रही हैं.

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देश की राजनीति में ममता बनर्जी का कद बड़ा है, लेकिन प्रभाव क्षेत्र काफी सीमित है.
देश की राजनीति में ममता बनर्जी का कद बड़ा है, लेकिन प्रभाव क्षेत्र काफी सीमित है.

INDIA ब्लॉक में फिर से बवाल मच गया है. नेतृत्व पर टकराव तो शुरू से ही था. नेता न बनाये जाने से खफा होकर ही नीतीश कुमार एनडीए में चले गये. जाने के और भी कारण थे, लेकिन इंडिया ब्लॉक का नेता न बनाये जाने से उनको मौका मिल गया. हो सकता है, नीतीश कुमार को नेतृत्व सौंप दिये जाने पर वो कुछ दिन और रुक जाते. 

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नये दौर में ममता बनर्जी को नेता बनाये जाने की मांग शुरू हो गई है. ये डिमांड टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी की तरफ से की गई थी, जिसे धीरे धीरे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और परोक्ष रूप से तेजस्वी यादव की तरफ से भी सपोर्ट मिलने लगा है. अखिलेश यादव तो नहीं, लेकिन तेजस्वी यादव ऐसा बयान जरूर दिया है जिसे ममता बननर्जी के पक्ष में माना जा सकता है - और खास बात ये है कि ये सब बिहार चुनाव से एक साल पहले, और पश्चिम बंगाल चुनाव से 2 साल पहले हो रहा है. 

99 सीटों वाली कांग्रेस के सबसे बड़े विपक्षी दल होने के कारण राहुल गांधी अघोषित तौर पर इंडिया ब्लॉक की अगुवाई कर रहे हैं. जब नीतीश कुमार इंडिया ब्लॉक में हुआ करते थे, तब भी ममता बनर्जी ऐसे ही तेवर दिखाती रहीं. एक बार विपक्षी गठबंधन के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम लेकर ममता बनर्जी ने मैसेज देने की कोशिश की थी कि वो राहुल गांधी को नेता बनाये जाने के पक्ष में नहीं हैं.

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और अब टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी वाली भाषा ही ममता बनर्जी के मुंह से सुनने को मिल रही है. वो इंडिया ब्लॉक की नेता पद की सबसे बड़ी दावेदार बनकर उभरी हैं - और ये सब ऐसे वक्त हो रहा है, जब ये भी साफ साफ समझ में नहीं आता कि ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन में हैं भी या नहीं?

INDIA ब्लॉक और ममता बनर्जी का दावा

हाल ही में टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का स्वाभाविक नेता बताया था - और ममता बनर्जी कह रही हैं कि इंडिया ब्लॉक को खड़ा करने वाली भी वही हैं. 

ममता बनर्जी का ये दावा अपनेआप में अजीब है. इंडिया ब्लॉक के बारे में ऐसा दावा सिर्फ नीतीश कुमार ही कर सकते हैं. ये बात बीजेपी भी जानती और मानती होगी. एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी में इंडिया ब्लॉक के खड़ा हो जाने की भी अहम भूमिका है. 

बेशक ममता बनर्जी शुरू से विपक्षी गठबंधन से साथ बनी हुई हैं, लेकिन ममता बनर्जी भी इंडिया ब्लॉक में उतनी ही साथ हैं, जितना अरविंद केजरीवाल दिल्ली में विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं - और ममता बनर्जी ने भी लोकसभा का चुनाव ऐसे ही लड़ा था. 

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के ठीक पहले ममता बनर्जी के दो दिलचस्प बयान आये थे. ममता बनर्जी ने पहले कहा था, इंडिया ब्लॉक की सरकार बनी तो वो बाहर से सपोर्ट कर सकती हैं, लेकिन जल्दी ही भूल सुधार करते हुए दावा किया कि वो भी पूरी तरह इंडिया ब्लॉक में ही हैं. 

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ममता बनर्जी के ऐसे बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं था. 

संसद के शीतकालीन सत्र में भी ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस को बिल्कुल अलग पेश कर रही हैं. टीएमसी नेता न तो विपक्षी दलों की मीटिंग में जा रहे हैं, न ही विरोध प्रदर्शनों में ही शामिल हो रहे हैं. हालांकि, ममता बनर्जी को चिढ़ सिर्फ कांग्रेस से ही मच रही है. लेकिन, हो तो ये रहा है कि कांग्रेस से दूरी बनाने के चक्कर में वो विपक्ष में भी अलग लाइन लगाकर खड़ी हो रही हैं. 

शीतकालीन सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस अडानी के मुद्दे पर अलग स्टैंड लिया है. बताते हैं कि टीएमसी सांसद बहस में शामिल होना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस विरोध-प्रदर्शन जारी रखना चाहती है. 

राहुल गांधी ने तो कांग्रेस के दो नेताओं की संसद परिसर में मास्क परेड भी कराई है. एक कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्क पहने हुए थे, जबकि दूसरे कांग्रेस नेता को कारोबारी गौतम अडानी का मास्क पहनाया गया था - और मौके पर ही राहुल गांधी ने उनका इंटरव्यू भी लिया. 

कोलकाता में बैठे बैठे कमान संभालना चाहती हैं

इंडिया ब्लॉक की बात करते हुए ममता बनर्जी एक इंटरव्यू में कहती हैं, अब इसे संभालने की जिम्मेदारी नेतृत्व करने वालों पर हैं... लेकिन वे इसे नहीं चला सकते तो मैं क्या कर सकती हूं? 

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ममता बनर्जी कहती हैं, "मैंने इंडिया गठबंधन बनाया है. जो लोग मुझे पसंद नहीं करते, कमियां खोजते रहते हैं. वे मेरी तरह नहीं हो सकते... लेकिन अगर मुझे जिम्मेदारी मिली... हालांकि, वो ऐसा होने नहीं देंगे... मैं बंगाल नहीं छोड़ना चाहती... मैं यहां पैदा हुई, और आखिरी सांस भी यही लूंगी क्योंकि मुझे बंगाल से बेपनाह मोहब्बत है. लेकिन मुझे यकीन है कि मैं यहां से सबकुछ मैनेज कर सकती हूं. 

कल्याण बनर्जी की बातों को आगे बढ़ाते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में ही इंडिया गठबंधन बीजेपी का मुकाबला कर सकता है. 

ममता बनर्जी का कहना है, आज अगर इंडिया ब्लॉक इमानदारी से बीजेपी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़े, तो मजबूत होगा ही. और उसके लिए फैसले लेने वाले एक नेता की जरूरत है. सबसे बड़ा सवाल है कि वो नेता कौन होगा?

कांग्रेस से ही निकल कर बनी तृणमूल कांग्रेस अभी तक पश्चिम बंगाल तक ही सीमित है. और यही वजह है कि राहुल गांधी तृणमूल कांग्रेस को भी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी क्षेत्रीय पार्टी ही मानते हैं. 

ममता बनर्जी सक्रिय रूप से 2019 से राष्ट्रीय स्तर पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन थोड़ी दूर चलकर रुक जाना पड़ता है. क्योंकि कहीं न कहीं से कोई बाधा आ खड़ी होती है. 

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2021 का पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के बाद भी ममता बनर्जी ने कांग्रेस को दरकिनार कर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्षी खेमे के ही कई नेताओं ने रास्ते में रोड़ा खड़ा कर दिया. 

राहुल गांधी इंडिया ब्लॉक को भले ही कामयाबी न दिला पायें, लेकिन कांग्रेस जितनी व्यापक पहुंच न तो तृणमूल कांग्रेस की है, न ही ममता बनर्जी का प्रभाव. ममता बनर्जी का क्षेत्रीय नेताओं में कद बेशक बड़ा है, लेकिन उनकी अपनी सीमाएं हैं. 

ममता बनर्जी भले ही राम मंदिर उद्घाटन समारोह के मामले में सबसे पहले स्टैंड लेती हों, और कांग्रेस नेतृत्व फॉलो करता हो, लेकिन टीएमसी सांसदों के मुकाबले कांग्रेस के तीन गुणा ज्यादा सांसद हैं.  

ठीक से हिंदी न जानना भी ममता बनर्जी की एक बड़ी कमी मानी जाती है, और ये चीज वो खुद भी महसूस करती हैं. सोशल मीडिया पर भी ममता बनर्जी से चार गुणा ज्यादा फॉलोवर राहुल गांधी के हैं, और तीन गुणा अखिलेश यादव के हैं - ये ठीक है कि राहुल गांधी को भी विपक्षी खेमे के कई नेता पसंद नहीं करते, लेकिन ममता बनर्जी की स्वीकार्यता और भी कम है. 

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