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ममता बनर्जी अगर INDIA ब्लॉक की नेता बनीं तो क्या राहुल गांधी का कद घट जाएगा? | Opinion

राहुल गांधी अभी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री. दोनो नेताओं की अहमियत अलग अलग लेवल की है - INDIA ब्लॉक के नेतृत्व में भी दोनो की अपनी अपनी तयशुदा हदें भी हैं, जाहिर है, प्रभाव भी.

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राहुल गांधी और ममता बनर्जी की राजनीतिक हैसियत INDIA ब्लॉक के नेतृत्व की मोहताज नहीं है.
राहुल गांधी और ममता बनर्जी की राजनीतिक हैसियत INDIA ब्लॉक के नेतृत्व की मोहताज नहीं है.

ममता बनर्जी ने INDIA ब्लॉक के नेतृत्व को लेकर विपक्षी खेमे से मिले खुले सपोर्ट के लिए नेताओं का आभार जताया है. और, इंडिया ब्लॉक की सफलता के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है. 

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ममता बनर्जी का कहना है, 'मुझे जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं सभी की आभारी हूं... मैं उनकी अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करती हूं... मैं चाहती हूं कि वे नेता और उनकी पार्टियां भी अच्छी रहें.

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दौरे के समय मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने अपनी बात दोहराई, मैंने इंडिया ब्लॉक का गठन किया था... अब इसकी देखभाल करना नेतृत्व करने वालों पर निर्भर है... अगर वे इसे एकजुट नहीं रख सकते, तो मैं क्या कर सकती हूं? मैं बस यही कहूंगी कि सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है.

जाहिर है, ममता बनर्जी बार बार राहुल गांधी को ही निशाना बना रही हैं, नाम भले न ले रही हों. शरद पवार और लालू यादव के साथ साथ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के अलावा YSRCP का भी ममता बनर्जी के सपोर्ट में आ जाना खास मायने रखता है. 

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे जगनमोहन रेड्डी की पार्टी अब तक खुद को निर्गुट राजनीतिक दल के रूप में पेश करती आई है. जैसे नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी. लेकिन, अब दोनो का स्टैंड बदल चुका है. दोनो ही अपने अपने प्रभाव वाले राज्यों में सत्ता से बाहर हो चुके हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले पांच साल तक जगनमोहन रेड्डी हमेशा ही केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के साथ खड़े नजर आते थे, बल्कि विपक्षी खेमे के नेताओं से भी भिड़ जाते थे. 

INDIA ब्लॉक: राहुल गांधी बनाम ममता बनर्जी 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए YSRCP सांसद विजयसाई रेड्डी ने सोशल साइट X पर लिखा है, ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए एक आदर्श उम्मीदवार हैं... उनके पास गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए व्यापक अनुभव भी है.

आरजेडी नेता लालू यादव ने भले ही ममता बनर्जी का नाम एनडोर्स किया हो, लेकिन राहुल गांधी को भी इंडिया ब्लॉक का नेता बनाने वाले वही हैं. दावेदार तो ममता बनर्जी तब भी थीं, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने लिए प्रयासरत थे. लेकिन, तब लालू यादव ने एक झटके में नीतीश कुमार का पत्ता साफ कर दिया था.  

पटना में हुई इंडिया ब्लॉक की मीटिंग में लालू यादव का वो बयान काफी चर्चित भी रहा, जब आरजेडी नेता ने राहुल गांधी की शादी को लेकर कहा था, आप दूल्हा बनिये... हम बाराती बनने के लिए तैयार हैं.

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लालू यादव के इस बयान को तब इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व से जोड़कर देखा गया था, और लोकसभा चुनाव के नतीजे आने बाद तो राहुल गांधी विपक्ष के निर्विवाद नेता बन गये - और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने का सबसे बड़ा आधार भी यही था. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन गई, और बिहार में भी प्रदर्शन आरजेडी के बराबर ही रहा अगर पप्पू यादव को भी कांग्रेस के साथ ही जोड़ कर देखा जाये तो. 

लेकिन, अब वही लालू यादव कह रहे हैं, ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व दे देना चाहिये... हम लोग उनका समर्थन करेंगे.

जब उनको कांग्रेस की आपत्ति के बारे में बताया जाता है, तो कहते हैं, कांग्रेस के विरोध से कुछ नहीं होने वाला है... ममता को नेतृत्व दिया जाना चाहिये.

लेकिन, कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर का सवाल है, बंगाल के अलावा, टीएमसी का स्ट्राइक रेट क्या है? गोवा, त्रिपुरा, मेघालय और असम में क्या हुआ? टीएमसी को इसका जवाब देना चाहिये.

शरद पवार पहले ही कह चुके हैं, बेशक, वो देश की एक प्रमुख नेता हैं... और उनमें गठबंधन का नेतृत्व करने की क्षमता है.

तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कांग्रेस नेतृत्व अपना अहंकार त्यागकर ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने देने की सलाह भरी अपील की जा रही है. ये बहस शुरू करने वाले टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी कहते हैं, कांग्रेस को ये समझने की जरूरत है कि उसके नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक ने संघर्ष किया है... अगर ममता बनर्जी नेता बनती हैं, तो ये ज्यादा बेहतर होगा.

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राहुल गांधी और ममता बनर्जी दोनो की अपनी अपनी हैसियत है

टीएमसी नेताओं की तरफ से माहौल बना दिये जाने के बाद ममता बनर्जी ने भी इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व पर तत्काल दावा ठोक दिया था, मैं बंगाल से बाहर नहीं जाना चाहती, लेकिन गठबंधन को मैं यहां से चला सकती हूं.

राहुल गांधी ने इस मामले में कोई रिएक्शन नहीं दिया है. जो बहस चल रही है, कांग्रेस नेता अपने स्तर पर ही प्रतिक्रिया दे रहे हैं - और विपक्षी नेता अपनी बात कह रहे हैं. 

ममता बनर्जी और राहुल गांधी दोनो की अपनी अपनी पोजीशन है, लेकिन ये भी है कि पहले वाले और अब के राहुल गांधी में काफी फर्क है. 

1. 2019 के आम चुनाव से पहले राहुल गांधी एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे, 2024 के आम चुनाव के बाद राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.  

2. राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं. एक संवैधानिक पद पर हैं, और राष्ट्रीय राजनीति में हैं. ममता बनर्जी एक राज्य की मुख्यमंत्री हैं, और ये उनका तीसरा टर्म है.  

3. एक बड़ा फर्क ये भी है कि ममता बनर्जी अपने दम पर टीएमसी की चुनावी जीत सुनिश्चित करती आ रही हैं, और राहुल गांधी को अमेठी में ही हार का मुंह भी देखना पड़ता है - लेकिन राहुल गांधी की जो स्थिति है वो पूरे देश में है, लेकिन ममता बनर्जी का प्रभाव क्षेत्र पश्चिम बंगाल ही है. 

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जून, 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो इंडिया ब्लॉक में नेतृत्व का सवाल ठंडा पड़ गया था. ये सवाल हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद उठना शुरू हुआ है. 

सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस की हमेशा से ही प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी रही है. और हां, कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी ही हैं. ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री पद पर नजर 2019 से ही है, लेकिन उनके दावेदार बनने पर और भी दावेदार खड़े हो जाएंगे, ऐसा लगता है. 

राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय प्रभाव का अलग फायदा है, लेकिन राष्ट्रीय फलक पर असर की अपनी बात है. 

1. बेशक नेतृत्व का मामला हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते उठा है. लेकिन, क्या कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया होता तो क्या मामला नहीं उठता.

2. लीडरशिप का मामला उठाये जाने की एक वजह समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी को हरियाणा और महाराष्ट्र में मनमाफिक सीटें नहीं मिलना भी है. 

3. नेतृत्व का मामला उठना ही था, क्योंकि दिल्ली के बाद बिहार और फिर पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. बिहार में कांग्रेस ज्यादा सीटें चाहती है, इसलिए आरजेडी की तरफ से पहले से ही दबाव बनाने की कोशिश हो रही है. बंगाल में ममता बनर्जी ने भले ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सीटें न दी हों, लेकिन यथास्थिति कब तक बनाये रख पाएंगी.

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ये भी नहीं भूलना चाहिये कि INDIA ब्लॉक का पहला फोकस राष्ट्रीय राजनीति है. क्षेत्रीय राजनीति भी महत्वपूर्ण है. लेकिन, इंडिया ब्लॉक के 2024 के प्रदर्शन की सही पैमाइश 2029 में ही हो सकेगी, न कि विधानसभाओं के चुनाव दर चुनाव में - और यही वो बिंदु है जहां राहुल गांधी और ममता बनर्जी दोनो के प्रदर्शन, राजनीतिक कद और हैसियत की सही पैमाइश हो सकेगी.

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