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मंदाकिनी: 80 के दौर में बोल्ड सीन, दाऊद से रिश्ते और मुंबई धमाकों में पूछताछ...

बॉलीवुड में मंदाकिनी ने जितनी तेजी से एंट्री ली उतनी ही तेजी से वो बाहर भी निकल गईं. बोल्ड सीन को लेकर चर्चा में आईं मंदाकिनी की अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद के साथ एक तस्वीर ने उन्हें फिल्मी कॅरियर में अचानक से पीछे की ओर धकेल दिया. इतना ही नहीं, मुंबई धमाकों को लेकर उनसे पुलिस ने पूछताछ भी की और ये सिर्फ इसलिए कि उन्हें दाउद की कथित गर्लफ्रेंड बताया जा रहा था. हालांकि एक्ट्रेस ने इन सभी अफवाहों का खंडन कर दाउद के साथ अपने रिश्ते को नकार दिया था...

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मंदाकिनी का करियर जितनी तेजी से आसमान की तरफ बढ़ा उतनी ही तेजी से नीचे भी चला गया
मंदाकिनी का करियर जितनी तेजी से आसमान की तरफ बढ़ा उतनी ही तेजी से नीचे भी चला गया

'तुझे बुलाएं ये मेरी बाहें...' साल 1985 में आई फिल्म राम तेरी गंगा मैली फिल्म के इस गाने ने  उस दौर में ना सिर्फ दर्शकों बल्कि बॉलीवुड में तक हलचल मचा दी थी. वजह थी, फिल्म के इस गाने में लीड एक्ट्रेस मंदाकिनी का बोल्ड सीन. गाने में मंदाकिनी एक झरने के नीचे सफेद साड़ी में लिपटी हुई नजर आती हैं. 80 के दौर में इस तरह का सीन अपने आप में एक बड़ी बात थी. उसमें भी मंदाकिनी ने इस सीन को जितनी सहजता से दिया उसे कमाल ही माना जा रहा था. लेकिन 'राम तेरी गंगा मैली' में सिर्फ एक ये ही सीन नहीं था जिसमें मंदाकिनी का बोल्ड लुक सामने आया, बल्कि एक और सीन भी रहा जिसने चर्चा का बाजार गर्म कर दिया था.

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तमाम क्रिटिक्स यही बात कर रहे थे कि राज कपूर की फिल्म के इन सीन्स पर सेंसर बोर्ड ने आखिर अपनी कैंची क्यों नहीं चलाई. इसको लेकर कई सारे बातें भी हुईं, कि फिल्म में मंदाकिनी को सीन दिलाने से लेकर उनके सीन पर कैंची ना चलने देने तक एक अंडरवर्ल्ड के आदमी ने मदद की है. बॉलीवुड में इस तरह की ख़बरों ने जगह बना ली. लेकिन ये सभी बातें यूं ही एक 'हॉट टॉपिक' नहीं बनी हुई थीं. इनके पीछे सबसे बड़ी वजह थी एक तस्वीर! 

आज ही के दिन यानी कि 30 जुलाई साल 1963 में मेरठ के एक एंग्लो इंडियन घर में पैदा हुईं यास्मीन जोसेफ, छोटी उम्र से ही एक्टिंग की दुनिया में जाना चाहती थीं. जोसेफ और मुन्नी के एंग्लो इंडियन परिवार में जन्म लेने वाली यास्मीन को हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी तीनों ही भाषा पर जबरदस्त पकड़ भी रही. लेकिन फिल्मों में जाने की बात को लेकर यास्मीन के सामने एक दिक्कत खड़ी हो गई, और वो थी उनका नाम. माना जाता है कि उस दौर में ऐसे नाम को फिल्मों के लिए अनुकूल नहीं माना था जाता था. जैसे यूसुफ़ खान फ़िल्मी दुनिया में आकर- दिलीप कुमार, सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी- जगदीप, और बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी- जॉनी वॉकर हो गए थे, वैसे ही यास्मीन जोसेफ फ़िल्मी दुनिया में मंदाकिनी हो गईं. 

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1985 में राज कपूर अपने सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर को लेकर एक फिल्म बना रहे थे. इस दौरान उन्होंने बॉलीवुड में फिल्म 'बॉबी' से अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुकीं डिंपल कपाड़िया को अपनी फिल्म की लीड हीरोइन के तौर पर चुन लिया. सब कुछ सेट था कि राज कपूर की अगली फिल्म में डिंपल, राजीव कपूर के साथ स्क्रीन शेयर करेंगी. 

फिल्म को लेकर सभी तैयारियां भी हो गईं, लेकिन अचानक राज कपूर के सामने मंदाकिनी का चेहरा आ गया. बताते हैं कि राज कपूर मंदाकिनी को एक नजर देखते ही यह तय कर चुके थे कि उनकी फिल्म में अब डिंपल कपाड़िया नहीं बल्कि मंदाकिनी ही हीरोइन रहेंगी. फिल्म में एक्ट्रेस को एक पहाड़ी लड़की का किरदार निभाना था और राज कपूर को यह लगता था कि जिस तरह से मंदाकिनी हैं, वो ही इस किरदार को सबसे बेहतर कर सकेंगी, और ऐसा हुआ भी.  

राज कपूर की ये फिल्म थी 'राम तेरी गंगा मैली'. जिसमें मंदाकिनी की खूबसूरती और बोल्ड किरदार, दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री में चल रही चर्चाओं में थे. लेकिन दूसरी तरफ चर्चाओं में था मंदाकिनी का नाम अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के साथ जुड़ जाना. 1994 में दुबई में हुए एक क्रिकेट मैच के दौरान दाउद और मंदाकिनी की तस्वीरें सामने आ गईं.

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तस्वीरें जो यादें सहेजती हैं, याद ताजा रखती हैं... लेकिन मंदाकिनी के लिए यही तस्वीरें एक बुरा सपना बन गईं. इस तस्वीर के चलते मंदाकिनी को बॉलीवुड में ज्यादा दिन तक जगह नहीं मिल सकी. मंदाकिनी ने लाख कोशिश की, लेकिन वो ठीक से वापसी नहीं कर पाईं. उनके एक्टिंग कॅरियर पर 'दाउद' नाम का काला बदल छा चुका था. 

 

दाउद और मंदाकिनी को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि अंडरवर्ल्ड डॉन ने जब पहली बार मंदाकिनी को देखा था तो वो एक्ट्रेस का दीवाना हो गया था. जिसके बाद उसने एक्ट्रेस की फिल्मों में पैसा तक लगाया. इतना ही नहीं, तमाम बॉलीवुड गॉसिप ऐसी भी थीं कि मंदाकिनी जब भी दुबई जातीं, दाउद के घर पर ही रूकती थीं. दाउद का नाम मंदाकिनी के साथ जुड़ जाने के बाद उनकी जिंदगी आसान नहीं रही. 

मुंबई बम धमाकों के बाद मंदाकिनी भी पुलिस के सवालों से अछूती नहीं रहीं. कथित तौर पर दाउद की गर्लफ्रेंड से पुलिस ने सभी जरूरी सवाल जवाब किये. ऐसे में जितनी तेजी से मंदाकिनी का फिल्मी करियर आसमान की ओर बढ़ा उतनी ही तेजी से जमीन पर भी आ गया. 

एक लंबे समय तक मंदाकिनी ने अपने और दाउद के कथित रिश्ते पर कुछ नहीं कहा लेकिन साल 2005 में उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि उन्हें इस अफवाह से काफी दुख हुआ था कि वो एक अंडरवर्ल्ड से ताल्लुक रखने वाले की दोस्त हैं. वो उनसे मिलती हैं, उसके साथ उनका रिश्ता है. उन्होंने कहा कि मैं अक्सर दुबई जाती रहती थी, लेकिन दाउद से मेरी मुलाकात एक एक्ट्रेस और एक फैन के तौर पर ही हुई. इसके अलावा मेरा उस शख्स से किसी भी तरह का कोई रिश्ता नहीं था. हालांकि, इस बारे में वो बहुत बातचीत करने से बचती रही हैं.

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साल 1996 में आखिरी फिल्म 'जोरदार' में आदित्य पंचोली के साथ नजर आईं मंदाकिनी ने इस फिल्म से 6 साल पहले एक बुद्धिस्ट मॉन्क डॉ. कग्यूर टी. रिनपोचे ठाकुर से शादी रचा ली. 70 के दशक में कग्यूर एक जानेमाने चाइल्ड आर्टिस्ट भी रह चुके हैं. अगर आपको मर्फी रेडियो का एड याद हो तो उसमें एक बच्चे की तस्वीर भी याद होगी, यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि मंदाकिनी के पति कग्यूर ही थे. 

 

इन दिनों मंदाकिनी मुंबई में ही अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं. एक्ट्रेस यहां पति के साथ मिलकर एक तिब्बतन हर्बल सेंटर चलाती हैं और योगा भी सिखाती हैं... तमाम विवादों और हलचल भरे फिल्मी जीवन के बाद अब मंदाकिनी एक शांत जीवन जी रही हैं, लेकिन शायद कहीं ना कहीं उन्हें उस एक तस्वीर को लेकर टीस आज भी होगी जिसकी वजह से वो बॉलीवुड की टॉप हीरोइन की लिस्ट में शुमार होते होते रह गईं.  

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