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मनीष सिसोदिया की आम आदमी पार्टी में भूमिका साफ होने लगी है, सरकार में वापसी का नहीं पता

मनीष सिसोदिया की दिल्ली सरकार में क्या भूमिका होगी, अभी तय नहीं है, क्योंकि उसकी खास वजह भी है. हां, आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति करीब करीब तय कर ली गई है - और ये भी साफ हो चुका है कि जब तक अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, मनीष सिसोदिया ही मोर्चे पर आगे नजर आएंगे.

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अरविंद केजरीवाल के बाहर आने तक मनीष सिसोदिया और सुनीता केजरीवाल अपना अपना मोर्चा संभाल रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल के बाहर आने तक मनीष सिसोदिया और सुनीता केजरीवाल अपना अपना मोर्चा संभाल रहे हैं.

संगठन और सरकार दोनो ही जगह मनीष सिसोदिया की भूमिका इस बात पर निर्भर है कि अरविंद केजरीवाल जेल के अंदर हैं, या बाहर. मोटे तौर पर अरविंद केजरीवाल के जेल में रहते मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी का नेतृत्व तो कर सकते हैं, लेकिन सरकार में सीधे सीधे कोई दखल नहीं दे सकते. जब तक उनको संवैधानिक प्रक्रिया के तहत कैबिनेट में एंट्री नहीं मिलती, ये संभव नहीं है - और अरविंद केजरीवाल के जेल में होते हुए ऐसा हो पाना करीब करीब असंभव ही है. 

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जमानत पर रिहा होने के बाद मनीष सिसोदिया ने भी सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी को भगवान बताया है. अंतरिम जमानत पर कुछ दिन के लिए बाहर आये अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसी ही बात कही थी. मिशन सिसोदिया की कामयाबी के बाद अभिषेक मनु सिंघवी अब अरविंद केजरीवाल को जेल से छुड़ाने में जुट गये हैं. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह से सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की गई है. याचिका में सीबीआई केस में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को भी चैलेंज किया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिकाओं को खारिज कर दिया था. 

दिल्ली हाईकोर्ट का कहना था कि सीबीआई ने उनकी हिरासत और रिमांड को सही ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत पेश किये थे. अरविंद केजरीवाल ने अपनी याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के 5 अगस्त के फैसले पर सवाल उठाया है.

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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी. जब अरविंद केजरीवाल ने ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई, तो उनको अंतरिम जमानत मिल गई. अब बाहर निकलने के लिए अरविंद केजरीवाल को सीबीआई केस में जमानत मिलने का इंतजार है. 

मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं - और उम्मीदों का हकीकत बन पाना न मुश्किल होता ही है, कभी भी संभव भी नहीं लगता. 

सिसोदिया ने केजरीवाल की जगह संभाली आधी कमान

आधी कमान से आशय है कि सरकार में मनीष सिसोदिया की अभी सीधे तौर पर कोई भूमिका नहीं है, लेकिन आज की तारीख में आम आदमी पार्टी के वो निर्ववाद नेता बन गये लगते हैं. संजय सिंह के जेल से छूट कर आने के बाद एक बार लगा था कि वो लीड करेंगे, लेकिन सुनीता केजरीवाल के साये में वो कहीं खो से गये.

सुनीता केजरीवाल की भूमिका को चूंकि अरविंद केजरीवाल के मैसेंजर तक ही सीमित रखा गया है, इसलिए मनीष सिसोदिया, संजय सिंह की तरह उनके साये से मुक्त नजर आ रहे हैं. सम्मान और महत्व अपनी जगह है, तभी तो जेल से छूटने के बाद मनीष सिसोदिया भी संजय सिंह की ही तरह पहले अरविंद केजरीवाल के घर गये और सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की. 

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वैसे भी शुरू से ही अरविंद केजरीवाल के बाद संगठन और सरकार में दोनो ही जगह मनीष सिसोदिया ही नंबर 2 नेता के रूप में देखे जाते रहे हैं - और सुनीता केजरीवाल के प्रभाव से वो आसानी से अलग हो जा रहे हैं. 

आजादी वाली सुबह की चाय पत्नी के साथ पीने की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करने के बाद मनीष सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी के नये दफ्तर में साथियों के साथ मीटिंग की. मीटिंग में सीनियर नेताओं के साथ मनीष सिसोदिया ने आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों की रणनीति पर विस्तार से बातचीत की. 

मीटिंग में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज, आतिशी, गोपाल राय, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और संदीप पाठक के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता भी शामिल हुए. गोपाल राय मंत्री होने के साथ साथ आप की दिल्ली इकाई के संयोजक भी हैं, जबकि संदीप पाठक राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) हैं. 

चुनाव कैंपेन के तहत मनीष सिसोदिया दिल्ली में पदयात्रा करने जा रहे हैं. 14 अगस्त से शुरू होने जा रही मनीष सिसोदिया की पदयात्रा का पहला मकसद तो दिल्ली के लोगों से मिलकर फिर से कनेक्ट होना ही है, और विधानसभा चुनावों के लिए ये जरूरी और प्रभावी उपाय है. 

क्या दिल्ली में विधानसभा चुनाव पहले भी हो सकते हैं?

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एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम को चुनाव आयोग की तरफ से मिले एक आदेश से, माना जा रहा है कि दिल्ली में विधानसभा के चुनाव थोड़ा पहले भी कराये जा सकते हैं. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल के शुरू में खत्म होने जा रहा है. पिछले दो चुनाव फरवरी तक कराये गये हैं. 

चुनाव आयोग ने एमसीडी को चुनाव संबंधी कई कामों को लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने और कर्मचारियों को चुनाव कार्य के जुड़ा प्रशिक्षण देने का आदेश दिया है. आदेश मिलते ही, अमर उजाला अखबार के मुताबिक, एमसीडी की तरह से नोडल अधिकारी की नियुक्ति के साथ ही कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी शुरू कर दी गई है. 2024 के अंत में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं - ऐसे में समझा जाता है कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी कराये जा सकते हैं. 

अगर वास्तव में ऐसा होता है तो मनीष सिसोदिया के पास बहुत कम वक्त बचा है - और अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण ये और भी ज्यादा मुश्किल टास्क साबित हो सकता है.

सुनीता केजरीवाल की क्या भूमिका होगी? 

अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने से पहले तक सुनीता केजरीवाल ही लोकसभा चुनाव के लिए कैंपेन का नेतृत्व कर रही थीं. अरविंद केजरीवाल की जमानत मंजूर होते ही पहले से तय चुनाव प्रचार कार्यक्रम रद्द कर दिये गये, और नये सिरे से तैयार किये गये. तब सुनीता केजरीवाल ने दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों में भी कैंपेन किया था - और फिलहाल सुनीता केजरीवाल हरियाणा में आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार कर रही हैं. 
 
मनीष सिसोदिया के बाहर आ जाने के बाद सवाल ये उठ रहा है कि सुनीता केजरीवाल का क्या होगा? अरविंद केजरीवाल जब गिरफ्तार किये गये थे, तो मनीष सिसोदिया पहले से ही जेल में थे. लिहाजा विपक्षी दलों की INDIA ब्लॉक की रैलियों से लेकर चुनाव कैंपेन तक हर जगह सुनीता केजरीवाल ही नजर आती थीं - लेकिन अब मनीष सिसोदिया की रिहाई के बाद बहुत कुछ वैसे ही हो रहा है, जैसा अरविंद केजरीवाल के जमानत पर बाहर होने के दौरान हो रहा था. 

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थोड़ा ध्यान देकर देखें तो मनीष सिसोदिया की रिहाई से पहले से ही सुनीता केजरीवाल हरियाणा में एक्टिव हैं. ऐसा किये जाने की एक वजह ये भी रही कि हरियाणा में दिल्ली से पहले चुनाव होने हैं, ऐसा माना जा रहा था. अब मनीष सिसोदिया के आ जाने के बाद भी वो अगर हरियाणा में ही चुनाव प्रचार जारी रखती हैं, तो इसे एक अघोषित बंटवारे के तौर भी समझा जा सकता है. मतलब, दिल्ली में कैंपेन मनीष सिसोदिया संभालेंगे और हरियाणा में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल.

आप नेता संदीप पाठक का कहना है, 'हरियाणा में आम आदमी पार्टी का अभियान अच्छा चल रहा है... सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है.'

हरियाणा में सुनीता केजरीवाल बीजेपी के खिलाफ आक्रामक नजर आ रही हैं, बीजेपी पिछले 10 साल से है, लेकिन कोई काम नहीं किया... अब विधानसभा चुनाव नजदीक है... इस बार आप अपने बेटे अरविंद केजरीवाल को अपना घर ठीक करने की जिम्मेदारी दें.

कहती हैं, मैं हरियाणा की बहू... आपसे पूछती हूं कि क्या हरियाणा की जनता अपने बेटे का अपमान चुपचाप सहन करेगी? केजरीवाल शेर हैं, और वो मोदी के सामने झुकेंगे नहीं. 

और फिर समझाने का प्रयास करती हैं, भगवान अरविंद केजरीवाल से कुछ बड़ा करवाना चाह रहे हैं... अरविंद केजरीवाल ने पहली बार चुनाव लड़ा और वो दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये... ऐसे-ऐसे काम किए, जो कोई भी पार्टी नहीं कर पाई... आज पूरी दुनिया में लोग अरविंद केजरीवाल को उनके कामों से जानते हैं.

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ताजा गतिविधियों को देखकर ऐसा लगता है, जैसे मनीष सिसोदिया को आम आदमी पार्टी के नेतृत्व का जिम्मा मिल तो रहा है, लेकिन दायरा सिर्फ दिल्ली तक है, जबकि सुनीता केजरीवाल दिल्ली से बाहर भी एक्टिव हैं - ऐसा तो होगा नहीं कि दिल्ली चुनाव के दौरान वो घर पर बैठी रहेंगी. अब अगर अरविंद केजरीवाल भी जेल से छूट जाते हैं, तब तो सब कुछ बदल जाएगा. 

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