scorecardresearch
 

मायावती की नाराजगी और उनके एक्शन का कारण अकेले आकाश आनंद नहीं हैं

आकाश आनंद को बीएसपी से बाहर करने के बाद भी मायावती एक्शन मोड में ही हैं. ताजा शिकार आनंद कुमार हुए हैं, जो आकाश आनंद के पिता और मायावती के भाई हैं - क्या अब भी आपको लगता है कि बीएसपी में जो हो रहा है उसके पीछे आकाश आनंद ही हैं?

Advertisement
X
मायावती के एक्शन ही बताते हैं कि कभी भी किसी पर एक्शन हो सकता है, और वापसी भी संभव है.
मायावती के एक्शन ही बताते हैं कि कभी भी किसी पर एक्शन हो सकता है, और वापसी भी संभव है.

मायावती के ताबड़तोड़ एक्शन जारी हैं. आकाश आनंद के बाद उसी बिजली गति से गाज अब उनके पिता आनंद कुमार पर गिरी है. आनंद कुमार को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया गया है. लेकिन, बीएसपी के उपाध्यक्ष वो बने रहेंगे. 

Advertisement

बीएसपी में जो कुछ हाल फिलहाल हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि सारा मामला आकाश आनंद के ही इर्द गिर्द घूम रहा है - लेकिन जो भी नजर आ रहा है, सब कुछ वैसा ही हो, लगता नहीं है.
 
आकाश आनंद घटनाक्रम के मुख्य किरदार लगते जरूर हैं, लेकिन हैं नहीं. मायावती ने बहुतों को आजमाया है, लेकिन आकाश आनंद में ही उनको वो स्पार्क दिखा है, जिसकी उनको जरूरत थी. 

जब लोकसभा चुनाव के वक्त आकाश आनंद से सारी जिम्मेदारियां ले ली गई थीं, तब भी एक चर्चा ये भी रही कि मायावती ने सारा ताना बाना आकाश आनंद को प्रोटेक्ट करने के लिए बुना है, और बाद में वो सही भी साबित हुआ - यही सब कारण हैं जो बताते हैं कि आकाश आनंद पर ताजातरीन एक्शन भी बीएसपी की राजनीतिक का कोई स्थाई भाव नहीं है.  

Advertisement

मायावती के ताबड़तोड़ एक्शन को कैसे समझें?

बीएसपी नेता मायावती लगातार ब्रेकिंग न्यूज दे रही हैं. आकाश आनंद को हटाने के बाद उनके पिता आनंद कुमार को बीएसपी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था, लेकिन अब ये जिम्मेदारी रणधीर बेनीवाल को दे दी गई है. 

बताया ये गया है कि आनंद कुमार बीएसपी के उपाध्यक्ष बने रहेंगे. मायावती ने ये जानकारी सोशल साइट X पर दी है, और पेश ऐसे किया है जैसे आनंद कुमार को हटाया नहीं गया है, बल्कि उनकी रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली गई है. 

असल में मायावती अपने काडर और समर्थकों को एक साथ कई मैसेज देना चाहती हैं. मैसेज ये भी है कि बीएसपी में सभी बराबर जिम्मेदार और हक रखते हैं. बीएसपी में एक्शन किसी के खिलाफ भी लिया जा सकता है, और ऐसे मामलों में भाई-भतीजावाद भी नहीं चलता - और हां, बीएसपी में किसी तरह की गुटबाजी भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. 

ध्यान रहे रणधीर बेनीवाल भी अगले आदेश या सोशल मीडिया पोस्ट तक ही अपने पद पर बने रहने वाले हैं - अगर किसी और को कोई मैसेज दिया जाना हो तो तलवार उन पर भी लटकी हुई है. 

मुद्दा तो कांशीराम की विरासत पर दावेदारी का है

1. बात कांशीराम की विरासत को लेकर शुरू हुई थी, और आकाश आनंद को बलिदान देना पड़ा, ताकि मायावती ही कांशीराम की वारिस बनी रहें. जबकि, नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की भी बीएसपी संस्थापक कांशीराम की विरासत पर नजर लगी हुई है. 

Advertisement

2. चंद्रशेखर आजाद खुद को कांशीराम की राजनीति का असली वारिस होने का दावा करते रहे हैं, और इसके लिए मायावती पर बहुजन मिशन से भटक जाने का इल्जाम लगाते हैं. 

3. चंद्रशेखर आजाद के नगीना से चुनाव जीत जाने के बाद ही मायावती ने आकाश आनंद को फिर से ओहदा और जिम्मेदारी वापस कर दी थी, लेकिन उपचुनावों और दिल्ली चुनाव में बीएसपी के हाथ कुछ नहीं लगा.

4. ऐसे में मायावती को लगा होगा कि चंद्रशेखर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और उनके उत्तराधिकारी बनाये गये आकाश आनंद ठीक से काउंटर नहीं कर पा रहे हैं. वैसे आकाश आनंद के भी हाथ बांध दिये गये थे, खुलकर खेलने का मौका तो कम ही मिला है.  

5. अगर कांशीराम की विरासत पर लड़ाई चंद्रशेखर और आकाश आनंद के बीच होती तो बीएसपी के कमजोर पड़ जाने का खतरा होता, लेकिन अब  चंद्रशेखर की तुलना मायावती से होगी, जिसमें वो कहीं नहीं टिक पाते. तब तक आकाश आनंद नेपथ्य में पड़े रहेंगे - और रामदास अठावले जैसे ऑफर तो मिलते ही रहेंगे. 

आकाश के खिलाफ एक्शन अस्थाई है

ऐसा क्यों लगता है, जैसे आकाश आनंद के खिलाफ ये एक्शन भी अस्थाई है? जैसे पिछली बार उनकी वापसी हुई थी, आगे भी मौका मिल सकता है. 

Advertisement

1. जैसे मायावती ने उपचुनावों के देखते हुए आकाश आनंद के सारे अधिकार वापस दे दिये थे, वैसा तो फिर से भी कर सकती हैं. आखिर अपने भाई आनंद कुमार के साथ भी तो ठीक वैसा ही किया है. जैसे हटाया था, वापस लिया, और अब फिर से हटा दिया है. 

2. आकाश आनंद के खिलाफ एक्शन के लिए उनके जिस भाषण को जिम्मेदार बताया जा रहा है, वो कोई पार्टी विरोधी गतिविधि तो है नहीं. वो तो पार्टी में गुटबाजी की ही तरफ इशारा कर रहे हैं. ये वैसा ही संकट है जिससे कांग्रेस या और भी पार्टियां लगातार जूझ रही हैं. आकाश आनंद अपनी मजबूरी बता रहे हैं, और खुद को बेबस.
 
3. ये भी तो हो सकता है, मायावती ने खुद को न्यायप्रिय और सभी के साथ बराबर व्यवहार करने वाली नेता बने रहने का संदेश देने के लिए ऐसा किया हो, ताकि सीनियर नेताओं को भी सही संदेश जाये. 

वैसे भी मायावती के सारे पुराने साथी तो छोड़ ही चुके हैं. लेकिन, आकाश आनंद के समर्थकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है, सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों की पोस्ट और टिप्पणियां तो यही बता रही हैं.  

Live TV

Advertisement
Advertisement