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आकाश आनंद को हाशिये पर धकेल कर मायावती ने इन 5 कयासों को हवा दी है

मायावती ने आकाश आनंद को बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के ओहदे और उत्तराधिकारी के आशीर्वाद से महरूम किये जाने का जो कारण बताया है, आसानी से गले के नीचे नहीं उतर पा रहा है - क्या आकाश आनंद वास्तव में मैच्योर नहीं हुए हैं, या कोई और वजह है?

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मायावती की नजर में पांच साल बाद भी परिपक्व क्यों नहीं हो पाये आकाश आनंद?
मायावती की नजर में पांच साल बाद भी परिपक्व क्यों नहीं हो पाये आकाश आनंद?

आकाश आनंद अब न तो बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर रह गये हैं, न ही मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी. बीएसपी नेता मायावती ने खुद ये बात सोशल साइट X के जरिये सबको बताई है - सबसे बड़ा सवाल है कि ऐसा कैसे हो गया, और क्यों हुआ?

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2019 से ही बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर रहे आकाश आनंद को मायावती ने 2023 में अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था. आकाश आनंद से पहले मायावती ने उनके पिता यानी अपने भाई आनंद कुमार को भी बीएसपी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कुछ समय बाद ऐसे ही एक झटके में सब कुछ वापस ले लिया था. 

बार बार ऐसा होने की क्या वजह हो सकती है? आनंद कुमार को बीएसपी में लाये जाने के बाद पार्टी के अंदर भी कोई बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं हुई थी, लेकिन सारे ही नेता चुप रहे. आनंद कुमार की ही तरह आकाश आनंद के कामकाज के रवैये से भी बहुत सारे नेता नाराज बताये जाते हैं, लेकिन ये बात तो तभी से होगी जब आकाश आनंद को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. और ऐसा तो तृणमूल कांग्रेस में भी सुना जाता है. 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से भी कई नेता नाराज बताये जाते थे. टीएमसी छोड़ कर बीजेपी के नेता बन चुके शुभेंदु अधिकारी भी वैसे नाराज नेताओं में शुमार थे. 

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देखा जाये तो मायावती और ममता बनर्जी दोनों एक जैसे ही एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, लेकिन मायावती का एक्शन बिलकुल अलग है - वो भी तब जबकि ममता बनर्जी किसी को भी बहुत देर तक बर्दाश्त नहीं कर पातीं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ रहीं ममता बनर्जी कब नाता तोड़ लें, ये पहले से किसी को भी अंदाजा नहीं होता. आकाश आनंद के मामले में तो मायावती ने ममता बनर्जी जैसी ही जल्दबाजी दिखाई है. 

आज तक को दिये एक इंटरव्यू में आकाश आनंद ने बीएसपी में अपनी भूमिका को लेकर कहा था, बहुत लोगों को मौके दिये गये लेकिन नहीं चल पाया... मुझे ये जिम्मेदारी दी गई है, अगर मैं भी नहीं चला सका तो मुझे भी हटाया जा सकता है.

ये तो है कि आकाश आनंद ने जो आक्रामक राजनीतिक लाइन ले रखी थी, वो मायावती से तो बिलकुल अलग थी. मायावती जिस कदर कांग्रेस के खिलाफ हमलावर रहती हैं, आकाश आनंद बीजेपी के खिलाफ होते जा रहे थे - तो क्या ये सब मायावती की मौजूदा पॉलिटिकल लाइन में मिसफिट था?

1. क्या मायावती को बीजेपी और योगी के खिलाफ बयानबाजी बर्दाश्त नहीं है?

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आकाश आनंद ने कैंपेन की शुरुआत नगीना लोकसभा सीट से की थी. नगीना से भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद अपनी आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं. मायावती चंद्रशेखर आजाद को बिलकुल भी पसंद नहीं करती हैं - और आकाश आनंद के भाषण में भी बिलकुल वही भाव देख गये थे. 

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आकाश आनंद के बीएसपी का चुनाव कैंपेन शुरू करने के काफी बाद मायावती निकली थीं, और सब कुछ ठीक ही चल रहा था. फिर अचानक खबर आई कि 1 मई को औरैया और हमीरपुर में होने वाली आकाश आनंद की रैलियां रद्द कर दी गई हैं. 

रैलियां रद्द होने से पहले आकाश आनंद ने सीतापुर में चुनाव कैंपेन के दौरान यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की तालिबान से तुलना की थी, और बीजेपी की सरकार को 'आतंक की सरकार' तक कह डाला था. आकाश आनंद के भाषण को लेकर सीतापुर में केस भी दर्ज कराया गया था.

वैसे तो समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने मायावती के एक्शन को बीएसपी का आंतरिक मामला बताया है, लेकिन लगे हाथ राजनीतिक चुटकी भी ली है. लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है.  

सोशल साइट X पर हाशिम ने आकाश आनंद के भाषण का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, 'बोलने की सजा मिली है आकाश आनंद को.'

और Times of BSP की पोस्ट में भी ऐसी ही भावना नजर आती है. लिखा है, बहन जी का हर फैसला सिर आंखों पर है, लेकिन आकाश आनंद  जी को चुनावी मैदान से हटाना कार्यकर्ताओं में अधिक हताशा व निराशा आएगी... हमें आकाश आनंद के जैसे ही तेज तर्रार मार्गदर्शन की जरूरत थी.

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अपने प्रोफाइल में बीएसपी सपोर्टर बताने वाले जीतू राजौरिया आकाश आनंद के खिलाफ एक्शन से निराश है लेकिन मायावती के कदम का आंख मूंद कर समर्थन कर रहे हैं, भाई आकाश आनंद के लिए बहन जी ने और परीक्षा ली है... उन्हें और बहुत कुछ सीखने के लिए मौका दिया है... हालांकि यह निर्णय निराश करने वाला है... मगर यह भी है आकाश आनंद जी के कुछ शब्द राजनीतिक तौर पर तो ठीक थे, मगर मूवमेंट के लिए सही नहीं थी... हो सकता है शायद इसीलिए ही बहन मायावती जी ने यह कदम उठाया है.

तो क्या ये समझा जाये कि मायावती को बीजेपी और मोदी के खिलाफ बयानबाजी बर्दाश्त नहीं हो रही है? एक्शन के पीछे ये एक वजह तो लगती ही है. 

2. क्या ये मायावती की तरफ से एहतियाती उपाय है?

बीएसपी के अंदर से एक ऐसी बात भी सामने आ रही है जिससे लगता है कि आकाश आनंद के सुरक्षित भविष्य को देखते हुए मायावती ने एक जरूरी एहतियाती कदम उठाया है. और यही वजह है कि मायावती ने बीएसपी के भावी नेता को विवादों से दूर करने की कोशिश की है. 

बताते हैं कि मायावती नहीं चाहतीं कि जिस पर बीएसपी को नई ऊचाइयां देने की जिम्मेदारी हो, बहुजन आंदोलन को आगे ले जाने की जिम्मेदारी हो - वो बिलावजह कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे, और ऊर्जा फालतू में बर्बाद हो.

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3. क्या मायावती ने वास्तव में आकाश आनंद को ब्रेक दिया है?

मायावती ने कहा है कि बाबा साहेब अंबेडकर के सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन के लिए बीएसपी संस्थापक कांशीराम और खुद उन्होंने जीवन समर्पित किया है, और नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है. 

बीएसपी नेता ने कहा है, इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी और मूवमेंट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है.

मतलब, मायावती ने आकाश आनंद को पूरी तरह बेदखल नहीं किया है. एक तरह से उनके कामकाज को होल्ड कर दिया गया है. जिसे बर्खास्त या टर्मिनेट नहीं बल्कि सस्पेंड माना जा सकता है. मतलब, परिपक्व हो जाने पर फिर से सारी चीजें पहले की तरह बहाल हो सकती हैं. 

आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार के बारे में भी मायावती ने स्थिति स्पष्ट की है, 'जबकि इनके पिता श्री आनन्द कुमार पार्टी व मूवमेंट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे.

जिस तरह आकाश आनंद के भाषण के बाद मायावती ने एक्शन लिया है, सैम पित्रोदा तो कांग्रेस की कहीं ज्यादा फजीहत करा रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ तो ऐसा कुछ भी नहीं सुनने को मिला है. न तो राहुल गांधी, मणिशंकर अय्यर और सीपी जोशी की तरह उनसे माफी मंगवा रहे हैं, न मल्लिकार्जुन खरगे उनसे ओवरसीज कांग्रेस की जिम्मेदारी वापस ले रहे हैं.

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बाकी पार्टियों में भी ऐसी चीजें होती रहती हैं, लेकिन इतना बड़ा कदम नहीं उठाया जाता. अक्सर पार्टियां ऐसी बातों को नेता का निजी बयान बता कर खुद को अलग कर लेती हैं. या माफी मांगने को कह दिया जाता है - लेकिन जिसे उत्तराधिकारी घोषित किया जा रहा हो, उसे इस तरह एक झटके में बेदखल कर देना तो काफी अजीब लगता है. 

4. क्या आकाश आनंद का उभरता कद मायावती की टेंशन बढ़ा रहा था?

खबर है कि बीएसपी में आकाश आनंद की चुनावी रैलियों की डिमांड बढ़ने लगी थी. कभी कभी तो ऐसा भी लग रहा था कि कैंपेन के लिए आकाश आनंद को बुलाने की मायावती से भी ज्यादा डिमांड हो रही थी. 

नतीजा ये हो रहा था कि कुछ नेता तो अपने लिए और कुछ ऐसे भी थे जो आकाश आनंद की लोकप्रियता को मायावती के लिए भी खतरे जैसा महसूस करने लगे थे - और मायावती के सामने लगातार ऐसी चीजें पेश कर रहे थे. आखिरकार, मायावती करीबी और भरोसेमंद नेताओं की बात मान भी गईं. 

5. क्या बीएसपी भी क्षेत्रीय पार्टियों की तरह मजबूर है?

देश के क्षेत्रीय में में ज्यादातर पारिवारिक पार्टियां हैं, और उसमें बीएसपी की अलग कैटेगरी है. ज्याादतर क्षेत्रीय पार्टियों को परिवार ही मजबूती दे रहा है. यूपी में समाजवादी पार्टी, बिहार में आरजेडी से लेकर तमिलनाडु में डीएमके तक - सभी एक ही तरीके से चलती हैं. जहां उत्तराधिकारी, लालू यादव की मानें, तो बेटा ही होता है. महाराष्ट्र में एनसीपी अपवाद है जहां शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले को वारिस बनाया है. 

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गैर पारिवारिक क्षेत्रीय पार्टियों के साथ करीब करीब बीएसपी जैसी ही दिक्कत है. हो सकता है, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ भी ऐसी मुश्किलें आती हों - और बीजेपी-कांग्रेस के साथ रिश्ता तोड़ने में जिस तरह की जल्दबाजी वो दिखाती हैं, अभिषेक बनर्जी के मामले में वो काम कभी नहीं करतीं. 

ऐसे राजनीतिक दलों में उत्तराधिकार एक बड़ी समस्या रही है. मसलन, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे. जयललिता की पार्टी डीएमके - जैसे जयललिता ने अपना कोई उत्तराधिकारी नहीं घोषित किया था, नीतीश कुमार ने भी गंभीर होकर ऐसा कुछ नहीं किया. हां, लालू यादव के दबाव में तेजस्वी यादव को लेकर कुछ कुछ संकेत जरूर देते रहते थे, और एक बार प्रशांत किशोर को पार्टी का भविष्य जरूर बताया था. 

मायावती का सियासी स्टैंड अब पहले की तरह पूरी तरह साफ नहीं लगता, बल्कि 2022 के यूपी चुनाव में बीएसपी के स्टैंड ने काफी धुंधला कर दिया है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच मायावती ने अपने लिए एक पॉलिटिकल कंफर्ट जोन बना लिया है - और लगता है, आकाश आनंद का युवा जोश मायावती के कंफर्ट जोन को डिस्टर्ब कर रहा था. 

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