मिल्कीपुर में उपचुनाव की आहट महसूस की जाने लगी है. जैसे महाराष्ट्र विधानसभा के साथ उत्तर प्रदेश की 10 में से 9 सीटों पर पर उपचुनाव कराये गये थे, वैसे ही दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ मिल्कीपुर में उपचुनाव की संभावना समझी जा रही है.
ये आहट थोड़ी तेज इसलिए भी सुनाई दे रही है, क्योंकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महज मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर करीब करीब वैसी ही तैयारी कर रहे हैं, जैसी यूपी की 9 सीटों पर हुए चुनाव के लिए इंतजाम किये गये थे - और वैसे ही संकेत समाजवादी पार्टी की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी दे रहे हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और यूपी उपचुनाव के बाद विपक्ष के नेताओं ने EVM पर नये सिरे से सवाल उठाया था - और मिल्कीपुर को लेकर अखिलेश यादव अपनी तरफ से अभी से एहतियाती उपायों का संकेत दे रहे हैं.
मिल्कीपुर के लिए योगी आदित्यनाथ की मोर्चेबंदी
जब यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर विधानसभा सीट पर तीन तीन मंत्रियों को तैनात कर दिया था. शुरुआती तैयारियों में मिल्कीपुर भी शामिल था, लेकिन जब चुनाव आयोग ने सिर्फ 9 सीटों पर ही चुनाव की घोषणा की तो सारे काम होल्ड कर लिये गये थे.
मिल्कीपुर के लिए योगी आदित्यनाथ ने नये सिरे से जो टीम बनाई है, मंत्रियों की संख्या डबल कर दी गई है. योगी आदित्यनाथ के साथ कुल छह मंत्री मिल्कीपुर कैंपेन में जुट गये हैं.
नये साल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 जनवरी को मिल्कीपुर में उपचुनाव की तैयारियों की समीक्षा भी की थी. मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र फैजाबाद लोकसभा सीट में पड़ता है, और यही वजह है कि विपक्ष वहां समाजवादी पार्टी की जीत को अयोध्या की हार के रूप में प्रचारित करता है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि बीते दो हफ्ते में योगी आदित्यनाथ तीन बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं - और 8 जनवरी को मिल्कीपुर में बीजेपी की एक रैली भी करने जा रहे हैं. 11 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्रतिष्ठा द्वादशी उत्सव में शामिल होंगे.
मंत्रियों को जीत का नुस्खा समझाते हुए योगी आदित्यनाथ ने मतदान बूथों के हिसाब से वार छोटी छोटी टीमें बनाकर जनता से सीधा संवाद करने की हिदायत दी है.
अखिलेश यादव की तैयारी और एहतियाती उपाय
बीजेपी की ही तरह समाजवादी पार्टी के लिए भी मिल्कीपुर सीट जीतना प्रतिष्ठा का मुद्दा है. मिल्कीपुर सपा का गढ़ रहा है, और अब फैजाबाद से अवधेश प्रसाद के लोकसभा पहुंच जाने के बाद अपना गढ़ बचाना सपा के लिए नई चुनौती बन चुका है.
देखा जाये तो उपचुनावों में अखिलेश यादव की पार्टी को महज दो सीटों पर समेट कर योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार का आधा बदला तो ले ही लिया है. लोकसभा चुनाव में सपा के 37 सीटें जीत लेने के कारण बीजेपी 33 सीटों पर सिमट कर रह गई थी.
समाजवादी पार्टी की कोशिश है कि चुनाव कवर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को बुलाया जाये. असल में, नवंबर में हुए उपचुनावों के नतीजे आने के बाद समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर उपचुनाव में पुलिस और प्रशासन की मदद से धांधली का आरोप लगाया था - और ईवीएम पर भी सवाल उठाये गये थे.
चुनावी माहौल तो पहले से ही बन चुका है
यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है - और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी पहले से महाकुंभ का न्योता देते आ रहे हैं.
महाकुंभ के न्योता को लेकर अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला था. अखिलेश यादव ने महाकुंभ का न्योता दिये जाने पर आपत्ति जताई थी.
और फिर देखते ही देखते बीजेपी नेता अखिलेश यादव को महाकुंभ में शामिल होकर अपने पाप धुल लेने की सलाह देने लगे. अब तो 2013 के महाकुंभ में भगदड़ में हुई मौतों को लेकर भी अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है.
महाकुंभ को लेकर भी अखिलेश यादव और बीजेपी के बीच वैसी ही तकरार हो रही है, जैसे 2024 में राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर हो रहा था, और अब तो राम मंदिर उद्घाटन का वार्षिकोत्सव भी मनाये जाने का वक्त आ गया है - लगता है, मिल्कीपुर के बहाने अयोध्या की लड़ाई नये सिरे से होने जा रही है.