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मोदी के मिशन बिहार का आगाज नीतीश कुमार के लिए कैसा होगा?

बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा दिल्ली जैसा जोश भरने वाला तो होगा ही, नीतीश कुमार के लिए भी ‘कहीं नहीं जाएंगे…’ बताने का एक और मौका हो सकता है - लेकिन नीतीश के लिए मोदी के दौरे के मुकाबले अमित शाह का रुख ज्यादा मायने रखता है.

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बिहार चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा बीजेपी और नीतीश कुमार दोनो के लिए बराबर महत्वपूर्ण है.
बिहार चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा बीजेपी और नीतीश कुमार दोनो के लिए बराबर महत्वपूर्ण है.

नीतीश कुमार के लिए मोदी के दौरे से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण बिहार को लेकर अमित शाह का रुख मायने रखता है - क्योंकि कुछ दिन पहले अमित शाह के बयान के बाद बिहार में भी महाराष्ट्र की राजनीति दोहराये जाने की आशंका जताई जाने लगी थी. 

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भोपाल के बाद प्रधानमंत्री मोदी के बिहार के पूर्णिया और भागलपुर दौरे का कार्यक्रम है, उसके बाद वो असम चले जाएंगे. भागलपुर में जहां महिलाएं ‘नमो मेहंदी’ के साथ मोदी का इंतजार कर रही हैं, पूर्णिया में सांसद पप्पू यादव ने बंद बुलाने और ट्रेन रोक देने की चेतावनी दी है. 

बिहार के प्रति केंद्र की केंद्र की बीजेपी सरकार का सॉफ्ट कॉर्नर तो आम बजट में ही देख लिया गया था, दिल्ली में सरकार बनाने के बाद तो जोश और भी ज्यादा हाई हो गया है. पप्पू यादव चाहते हैं कि बजट में प्रस्तावित मखाना बोर्ड पूर्णिया में ही बनाया जाये, और ऐसा न होने पर वो आंदोलन की धमकी दे रहे हैं. 

वो सब तो है ही, नीतीश कुमार के लिए मोदी का बिहार दौरा कैसा होनेवाला है, बड़ा सवाल ये है - और वो भी ऐसे माहौल में जब उनके बेटे निशांत कुमार के भी राजनीति में एंट्री की बिहार में जोरदार चर्चा है. 

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मोदी का बिहार दौरा और नीतीश कुमार

2024 के आखिर में अमित शाह से जब एक इंटरव्यू में बिहार में एनडीए की लीडरशिप के बारे में पूछा गया, तो उनका कहना था कि ये फैसला बीजेपी के संसदीय बोर्ड में होगा. अमित शाह के इस बयान को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री न बनाये जाने से जोड़कर देखा जाने लगा, और नीतीश कुमार अचानक खामोश होकर प्रेशर पॉलिटिक्स करने लगे. 
 
अमित शाह के बयान पर नीतीश कुमार की नाराजगी भांपते हुए बीजेपी का पूरा अमला डैमेज कंट्रोल में जुट गया, और बिहार बीजेपी की तरफ से सफाई देननी पड़ी की 2025 के चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए के नेता होंगे. जेडीयू और बिहार बीजेपी के नेताओं के बीच बचाव के बाद सोशल साइट X पर नीतीश कुमार की पार्टी की तरफ से एक पोस्ट जारी कर तस्वीर साफ करने की कोशिश की गई, जिस पर लिखा था, '2025 फिर से नीतीश'.

ये यथास्थिति है, लेकिन चुनाव तक परिवर्तन कभी भी संभव है. और कुछ भी संभव है. और यही वजह है कि नीतीश कुमार के लिए मोदी के बिहार दौरे से ज्यादा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का रुख मायने रखता है. क्योंकि, बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के एनडीए का नेता होने पर जब तक बीजेपी संसदीय बोर्ड की मुहर नहीं लगती, किसी के भी बयान या सफाई का कोई मतलब नहीं रह जाता. 

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ऐसे में मोदी का बिहार दौरा नीतीश कुमार को बीजेपी के साथ बने रहने की निष्ठा दिखाने का एक और मौका है, और अगर उनके बेटे निशांत कुमार को लेकर भी कोई बात आगे बढ़ती है, फिर तो बात सोने में सुगंध जैसी ही होगी. 

रही बात नीतीश कुमार के राजनीतिक स्वभाव का जिक्र बनाये रखने की, तो लालू यादव की पार्टी आरजेडी की कोशिशें अब भी थमी नहीं हैं. अब आरजेडी की तरफ से दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा शर्मा के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार के न जाने पर भी सवाल उठाया जा रहा है. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र का दावा है, 'नीतीश कुमार जी हमारे साथ आने वाले हैं, तो क्यों जाएंगे बीजेपी के सीएम के शपथ ग्रहण में.'

कोई आश्चर्य की बात नहीं कि नीतीश कुमार मोदी का हाथ पकड़ लें या पैर छूने की कोशिश करते हुए फिर से बोल पड़ें, ‘अब कहीं नहीं जाएंगे… गलती हो गई थी… ’

क्या पता बेटे को उत्तराधिकार सौंपने का मोह उनके मन में भी शुरू हो गया हो? क्या मालूम बीजेपी की तरफ से ही ये तीर छोड़ी गई हो, नीतीश कुमार के मन की बात और उसी बहाने कमजोर कड़ी को तस्दीक करने के लिए.

बिहार बीजेपी के लिए मोदी के दौरे का महत्व

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दिल्ली और बिहार चुनावों की फिक्र तो केंद्र सरकार के आम बजट 2025 में ही देख ली गई थी. इनकम टैक्स में छूट की सीमा का फायदा तो दिल्ली में मिल ही गया, अब बिहार के लिए प्रस्तावित सौगातों के साथ आगे बढ़ने का वक्त आ गया है - और मोदी का दौरान भी बीजेपी की उसी रणनीति का हिस्सा है. 

मोदी के दौर से पहले तैयारियों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक दिन पहले ही बिहार पहुंच गये. दरभंगा में कृषि मंत्री चौहान ने मखाना बोर्ड के गठन को लेकर किसानों से चर्चा भी की है. याद रहे आम बजट की घोषणाओं में बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भी शामिल था. 

लोकसभा सांसद पप्पू यादव की मांग है कि मखाना बोर्ड पूर्णिया में बने. पप्पू यादव ने 27 फरवरी को पूर्णिया और आसपास के इलाकों में बंद बुलाने का ऐलान किया है - और ट्रेन रोकने की भी चेतावनी भी दी है.

मोदी के दौरे से पहले एनडीए की एकजुटता बनाये रखने के मकसद से पूर्णिया में महत्वपूूर्ण बैठक भी हुई है. बैठक में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मंगल पांडे, जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और बिहार सरकार में मंत्री लेसी सिंह सहित कई सीनियर नेता शामिल थे.

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भागलपुर में मोदी पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त जारी करने जा रहे हैं, जिससे 9.80 करोड़ किसानों को 22,700 करोड़ रुपये दिये जाने हैं. मोदी के कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होंगे, और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान तो पहले से ही बिहार पहुंचे हुए हैं.

मोदी के दौरे से विपक्ष भी सतर्क है 

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर ने मोदी के बिहार कार्यक्रम को चुनावी दौरा बताया है, और लोगों को समझाने की कोशिश की है कि इससे बिहार को कुछ नहीं मिलने वाला है. 

पटना में पत्रकारों से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'अब जब बिहार में चुनाव होने वाले हैं, तो ये बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री की नजर राज्य पर होगी… इससे पहले, वो महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में व्यस्त थे.'

तेजस्वी यादव कह रहे हैं, दिल्ली का चुनाव खत्म होते ही हमने कहा था कि ये लोग बिहार कूच करेंगे… बिहार ने इनको 20 साल तक डबल इंजन सरकार चलाने का मौका दिया, लेकिन क्या हुआ?

तेजस्वी यादव के लिए 2025 का चुनाव बहुत बड़ा मौका है. क्योंकि ये नीतीश कुमार की आखिरी पारी हो सकती है. ये बात बीजेपी के रुख से भी लगता है, और नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र के कारण भी. ये तो नहीं कहा जा सकता कि तेजस्वी के लिए भी आखिरी मौका है, लेकिन अगर इस बार वो चूक गये तो ऐसा मौका जल्दी नहीं मिलने वाला है - अगर नीतीश कुमार को किनारे लगाकर बीजेपी पूरी तरह काबिज हो गई तो आगे लंबा संघर्ष करना पड़ेगा. 

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