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प्रशांत किशोर का अनशन खत्म और सत्याग्रह शुरू, गांधी से गंगा तक क्या खोया क्या पाया?

करीब दो हफ्ते चले प्रशांत किशोर के आमरण अनशन की छोटी सी अवधि में उनके कई रंग देखने को मिले हैं - और इस दौरान जनसुराज पार्टी की आगे की राजनीतिक लाइन की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई है.

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प्रशांत किशोर के आमरण अनशन आंदोलन में क्या जन सुराज के सत्याग्रह की झलक देखी जा सकती है?
प्रशांत किशोर के आमरण अनशन आंदोलन में क्या जन सुराज के सत्याग्रह की झलक देखी जा सकती है?

प्रशांत किशोर का आमरण अनशन खत्म हो गया है. अब वो जनसुराज आश्रम में सत्याग्रह कर रहे हैं. ऐसा संकेत मिला है कि साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव तक आश्रम से ही वो अपनी सारी राजनीतिक गतिविधियों को संचालित करेंगे.

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गांधी प्रतिमा के पास आमरण अनशन शुरू करने वाले प्रशांत किशोर ने गंगा में डूबकी लगाई, और फिर आश्रम में हवन के साथ अपने अनशन को पूर्णाहूति दी - प्रशांत किशोर की ये अदा जनसुराज पार्टी की भविष्य की राजनीतिक लाइन की तस्वीर काफी हद तक साफ कर देती है. 

फिर भी, पहले ये देखना होगा कि गांधी से गंगा तक के अपने हालिया राजनीतिक सफर में प्रशांत किशोर ने क्या पाया और क्या खोया है?

गंगा में डूबकी, हवन और अनशन खत्म

2 जनवरी को पटना के गांधी मैदान से आमरण अनशन शुरू करने वाले प्रशांत किशोर ने 16 जनवरी को गंगा में डूबकी लगाकर अपना अनशन तोड़ दिया. BPSC परीक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों के हाथ से केला खाने और जूस पीकर अनशन खत्म करने से पहले प्रशांत किशोर ने गंगा किनारे बने अपने नये नवेले आश्रम में हवन भी किया, जहां जय बिहार और भारत माता की जय के नारे लगाये जा रहे थे.  

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प्रशांत किशोर का नया कैंप ऑफिस जिसे आश्रम नाम दिया गया है, अभी निर्माणाधीन है. जनसुराज की तरफ से गंगा किनारे निजी जमीन पर प्रशांत किशोर के लिए कैंप ऑफिस बनना शुरू हुआ, तो प्रशासन ने रोक लगा दी. लेकिन, बाद में अस्थाई कैंप बनाने की अनुमति दे दी गई. बताया गया है कि प्रशासन की अनुमति और जमीन मालिक को किराया देने के बाद - मौजूदा व्यवस्था से पीड़ित लोगों के लिए  ये आश्रम को बनवाया जा रहा है. 

प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा, हमें गांधीजी की प्रतिमा के नीचे से हटाया गया था, और अब हम गंगा की गोद में आकर बैठ गए हैं… लोकतंत्र की जननी को लाठीतंत्र नहीं बनने देंगे. प्रशांत किशोर ने कहा है कि बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज करने और कराने वाले अफसरों को वो कोर्ट और मानवाधिकार आयोग तक लेकर जाएंगे.

अनशन शुरू होने से पहले प्रशांत किशोर अचानक विवादों में आ गये थे. आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस एक्शन से पहले मौके से भाग जाने के लिए वो निशाने पर तो थे ही, कंबल देने के लिए एहसान जताने वाला उनका एक वीडियो भी वायरल हो गया था, लेकिन आमरण अनशन, जमानत की जगह जेल भेजने की बात और अब सत्याग्रह के जरिये वो अपने खिलाफ हुए सारे विवादों को कवर करने की कोशिश कर रहे हैं, और उसमें बहुत हद तक सफल भी लगते हैं - और अब आगे की राजनीति को सत्याग्रह बता रहे हैं. 

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जन सुराज अभियान की शुरुआत से ही प्रशांत किशोर के निशाने पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव रहे हैं, और सत्याग्रह भी उनके खिलाफ ही होगा. 

पीके का ‘आश्रम’ और ‘नमक सत्याग्रह’ 

पॉलिटिक्स में पब्लिसिटी और ब्रांडिंग का भरपूर इस्तेमाल करने वाले प्रशांत किशोर ने मार्केट में जन सुराज नमक भी उतार दिया है. 

जन सुराज आश्रम के पास ही एक वैन पर सेंधा नमक बेचा जा रहा है. कलर स्कीम भी जन सुराज वाली ही नजर आती है, ये पैकेट भी पीले रंग का ही है. एक पैकेट के लिए MRP 60 रुपये रखा गया है, लेकिन जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ताओं को ये 50 फीसदी छूट के साथ 30 रुपये में दिया जा रहा है. सुनने में आया है कि नमक के साथ लोग आटा की भी डिमांड कर रहे हैं. 

प्रशांत किशोर अपने आंदोलन को महात्मा गांधी के साथ साथ बाबा साहेब आंबेडकर से प्रभावित बताते हैं, और समझाने की कोशिश करते हैं कि जन सुराज का सत्याग्रह भी वैसे ही है, जैसे नमक आंदोलन शुरू किया गया था. ये बात अलग है कि नमक सत्याग्रह के नाम पर नमक बेचा जा रहा है.

अब तक प्रशांत किशोर बेली रोड के शेखपुरा हाउस में रह रहे थे, एक पूर्व सांसद का पुश्तैनी मकान है. जिस वैनिटी वैन को लेकर विवाद खड़ा हुआ था, वो भी पूर्व सांसद की ही बताई गई है. 

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प्रशांत किशोेर का कहना है कि आने वाले कई महीने वो आश्रम में ही रहेंगे और वहीं से सत्याग्रह आंदोलन चलाएंगे. मीडिया से बातचीत में कहते हैं, आश्रम से आज ही से सत्याग्रह की शुरुआत हो गई है… मैं यहीं पर रहूंगा. प्रशांत किशोर के मुताबिक उनका सत्याग्रह बिहार के उन लोगों के लिए है, जो व्यवस्था से परेशान हैं… जो बेहतर व्यवस्था चाहते हैं, बच्चों के लिए पढ़ाई और रोजगार चाहते हैं.

प्रशांत किशोर का कहना है, गांधी जी की मूर्ति के नीचे से हटाया गया था… अब हम गंगा जी की गोद में बैठ गये हैं… सरकार हमारी आवाज नहीं दबा सकती… गांधी जी की मूर्ति से आवाज दबाया गया तो गंगा जी से आवाज निकलेगी.

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