वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा को लोकसभा में पहला भाषण देने का मौका बहुत जल्दी मिल गया. कांग्रेस महासचिव बनने के बाद बोलने का मौका काफी देर से मिल पाया था.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था. अभी वो लखनऊ में जमने की तैयारी कर ही रही थीं कि पुलवामा आतंकवादी हमला हो गया, और दिल्ली लौट जाना पड़ा था. महीने भर बाद बोलने का मौका मिला, लेकिन यूपी में नहीं बल्कि गुजरात के गांधीनगर में हुई कांग्रेस की रैली में.
संविधान पर हो रही बहस में हिस्सा लेते हुए प्रियंका गांधी ने लोकसभा में सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टार्गेट किया. बोलीं, पहले राजा भेष बदलकर आलोचना सुनने जाता था... आज का राजा भेष तो बदलते हैं, शौक तो है उनको... भेष बदलने का, लेकिन न जनता के बीच जाने की हिम्मत है... और न आलोचना सुनने की... मैं तो सदन में नई हूं... सिर्फ 15 दिन से आ रही हूं, लेकिन मुझे ताज्जुब होता है कि इतने बड़े-बड़े मुद्दे हैं, प्रधानमंत्री जी सिर्फ एक दिन के लिए 10 मिनट दिखे हैं.
प्रियंका गांधी ने, असल में, राहुल गांधी के संविधान की कॉपी लेकर चलने के मकसद को ही अपने तरीके से समझाने की कोशिश की है. और, इस मामले में वो राहुल गांधी से बेहतर समझा रही हैं. प्रियंका गांधी के भाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों का बार बार मेजें थपथपाना भी ये बता रहा है.
संविधान ही सब कुछ है
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राहुल गांधी संविधान की कॉपी लेकर संसद पहुंचे थे, और अब भी कई मौकों पर उनके हाथ में वो देखने का मिलता है. प्रियंका गांधी ने भी हाथ में संविधान की कॉपी लिये हुए ही शपद ली है - और लोकसभा में संविधान पर बहस में भाग लेते हुए भी प्रियंका गांधी ने यही समझाने की कोशिश की है कि राहुल गांधी के हाथ में संविधान की कॉपी लेकर घूमने का मकसद क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टार्गेट करते हुए प्रियंका गांधी कहती हैं, 'संविधान-संविधान इसलिए कह रहे हैं ये, क्योंकि हारते-हारते जीतने से ये पता चला कि संविधान में बदलाव की बात नहीं चलेगी... जाति जनगणना की मांग आज की जरूरत है... जाति जनगणना इसलिए जरूरी है कि किसकी क्या स्थिति और नीतियां उस हिसाब से बनें... जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई, तो इनका जवाब देखिये, भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे... ये गंभीरता है इनकी जाति जनगणना पर.
उन्नाव की रेप पीड़ित घर जाने के वाकये का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, उसे जलाकर मार डाला था... वो शायद 20-21 साल की थी... जब वो अपनी लड़ाई लड़ने के लिए गई तो उसे जलाकर मार डाला गया... मैं उस बच्ची के पिता से मिली... पिता ने बताया मुझे न्याय चाहिए... मेरी बेटी एफआईआर कराने गई तो उसे मना कर दिया गया... वो रोज सुबह उठती और खुद मुकदमा लड़ने के लिए ट्रेन से जाती थी... उसकी बेटी ने उसको जवाब दिया... मैं अकेली जाऊंगी और लड़ूंगी... ये लड़ने की क्षमता उस लड़की को और करोड़ों भारत की नारियों को हमारे संविधान ने दिया.
सत्ताधारी बीजेपी नेतृत्व को चेतावनी देते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योति है जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जगती है... इस ज्योति ने हर भारतीय को शक्ति दी है कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है... जब वो आवाज उठाएगा तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा... संविधान ने हर देशवासी को अधिकार दिया है कि वो सरकार बना भी सकता है और गिरा भी सकता है.
सत्यमेव जयते की राजनीति
केंद्र सरकार की तरफ से विपक्षी खेमे के नेताओं के खिलाफ एजेंसियों की कार्रवाई का भी प्रियंका गांधी ने जिक्र किया. बगैर नाम लिये ही कारोबारी गौतम अडानी को मिलने वाली सरकारी मदद का भी ध्यान दिलाया.
प्रियंका गांधी अपना भाषण खत्म तो 'जय हिंद' के साथ किया, लेकिन उसके ठीक पहले 'सत्यमेव जयते' भी कहा. बोलीं, ये देश भय से नहीं चलेगा, साहस से ही चल सकता है... ये देश 'कायरों के हाथों' में ज्यादा देर तक कभी नहीं रहेगा... ये देश उठेगा, ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा.
जो बाद राहुल गांधी गुस्से में लाल होकर कहते हैं, प्रियंका गांधी ने सहजता से कही. पहले से लिखा हुआ अपना भाषण पढ़ते हुए प्रियंका गांधी के हर शब्द की डिलीवरी का लहजा राहुल गांधी से बिल्कुल अलहदा था. कई बार तो तो राहुल गांधी से भी बेहतर नजर आईं.
प्रियंका गांधी के भाषण में लोकसभा चुनावों में चली कांग्रेस और विपक्ष की संविधान बचाओ मुहिम से लेकर जातिगत जनगणना की भी गूंज सुनाई दी. बातें वही थीं, जो चुनावी रैलियों में सुनने को मिलती रहीं. बातें वही थीं, जो राहुल गांधी के मुंह से भी अक्सर सुनने को मिलता रहा है - लेकिन प्रजेंटेशन में बड़ा फर्क था.