राबड़ी देवी को नीतीश कुमार के खिलाफ हाल फिलहाल काफी आक्रामक देखा जा रहा है. और हां, नीतीश कुमार भी राबड़ी देवी पर चुनावी रैलियों की तरह हमलावर देखे जा रहे हैं - और बिहार विधान परिषद में ये नजारा कई बार देखा जा चुका है. होली से पहले भी, और उसके बाद भी.
राबड़ी देवी कभी महिलाओं के मुद्दे पर, तो कभी राष्ट्रगान के अपमान का मामला उठाकर और तो कभी आरक्षण के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल रही हैं. ये सब सड़क पर भी हो रहा है, और सदन में भी.
राष्ट्रगान के दौरान जब नीतीश कुमार एक अफसर से बात करने को लेकर विरोधियों के निशाने पर आ गये थे, तो बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की तरफ से भी सलाहियत जारी कर दी गई. राबड़ी देवी ने कहा कि अगर नीतीश कुमार की तबीयत खराब है, तो अपने बेटे निशांत को ही मुख्यमंत्री क्यों नहीं बना देते हैं.
नीतीश कुमार के मामले में राबड़ी देवी का रुख आरजेडी की तरफ से अलग ही स्टैंड लगता है. लालू यादव और तेजस्वी यादव से राबड़ी देवी का नीतीश के प्रति अलग ही स्टैंड देखने को मिल रहा है - और इसीलिए सवाल खड़ा होता है कि क्या राबड़ी देवी को लालू यादव की तरफ से आने वाले बिहार चुनाव की तरफ से कोई स्पेशल टास्क दिया गया है?
नीतीश के खिलाफ राबड़ी ने मोर्चा संभाला
25 मार्च, 2025 को राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हरे रंग की टी-शर्ट पहनकर विधान परिषद पहुंचे. आरजेडी विधायकों के टी शर्ट पर लिखा था, ‘तेजस्वी सरकार में बढ़ी बिहार की 65 प्रतिशत आरक्षण सीमा को 9वीं अनुसूची में शामिल करो, आरक्षण चोर बीजेपी -एनडीए जवाब दो’.
विधायको के विरोध प्रदर्शन का ये तरीका नीतीश कुमार को बहुत खराब लगा. ये विधायक राबड़ी देवी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
सदन में एक बार फिर नीतीश कुमार आगबबूला दिखे, ये सब जो कर रहे हैं, क्या मतलब है? हम तो आप ही से पूछ रहे हैं, काहे के लिए ये पहनकर आए हैं? ये सब फालतू की चीज है.
और तभी राबड़ी देवी की तरफ देखते हुए कहने लगे, अरे बैठो ना तुम… तेरे हस्बैंड का है… तेरा क्या चीज है, तू बैठ जा… जो है वो हस्बैंड का है… सब लोगों को कहा कि यही पहन कर चलो… ई बेचारी को कुछ आता नहीं है… पति जब रिजेक्ट हुआ, तो इसको सीएम बना दिया था… ये तो ऐसे ही है.
देखा जाये तो राबड़ी देवी को भी नीतीश कुमार ने उसी तरीके से ट्रीट कर रहे थे, जैसे तेजस्वी यादव को करते रहे हैं. लेकिन, तभी जब वो महागठबंधन में नहीं होते. वरना, कभी कभी तो लगता है, जैसे लालू यादव की तरह तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक वारिस ही घोषित कर देंगे.
नीतीश कुमार के राबड़ी देवी पर हमले का जबाव उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने तरीके से सोशल साइट एक्स पर दिया है. रोहिणी आचार्य अपनी बोली में लिखती हैं, ‘अरे तू चुप्प रहअ न... जादा मुंह मत फाड़$अ... तोहरा त$अ बोले के मुंह नय हो... तू ओकरे गोदी में जा बइठलअ, जे तोहर डीएनए में खोट बताईल... आऊर तू त$अ सही हस्बेंडो न बन पईलअ, तू त$अ जेकर-तेकर नाम पर ट्रेन चलाबे के फेरा में अपन परिवार नाश लेल$अ... तू तअ जोगाड़ के दम पर कुर्सी पर चमोकन माफिक चिपकल ह$अ. तीन नंबर के पार्टी के तीन नंबरिया जोगाडू नेता.’
एक अन्य पोस्ट में रोहिणी आचार्य लिखती हैं, लाल रंग देख कर सांड भड़क जाता है… ये पहले से सुना और जाना था, मगर आज जाना कि दिमागी रोगी हरा रंग देख कर भड़क… बौरा जाता है... हद है!
20 मार्च को भी नीतीश कुमार ऐसे ही भड़क गये थे. उस दिन भी राबड़ी देवी के नेतृत्व में विपक्ष विधान परिषद में हंगामा कर रहा था. बोले, 'उनके पति की जब सरकार थी तब क्या हाल था? कोई काम भी बिहार में नहीं हुआ. अगर कोई घटना घटी है, तो जांच होगी. जब इनके पति की सरकार थी, तो कोई जांच होती थी? कोई काम किया था? हिंदू और मुसलमान का कितना झगड़ा होता था. सब काम हमने किए हैं.
लगे हाथ नीतीश कुमार ने ये भी दोहरा दिया कि अब वो कभी इधर उधर नहीं जाएंगे. जब राबड़ी देवी को कुछ बोलते देखा तो कहने लगे, अरे छोड़अ न… तोड़ा कउची मालूम है... आप क्या थे? कौची के लिए मुख्यमंत्री बने थे?
होली से ठीक पहले राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के बीच महिलाओं के अपमान को लेकर तीखी बहस हुई थी. जैसे ही नीतीश कुमार ने लालू-राबड़ी शासन के दौरान महिलाओं की स्थिति पर बोलना शुरू किया, विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे. नीतीश कुमार का कहना था, 'पहले क्या होता था? महिलाओं की क्या स्थिति थी? महिलाएं कितनी पढ़ी-लिखी थीं? हमने महिलाओं के लिए काफी काम किया है।'
नीतीश कुमार के मुंह से ये बातें सुनते ही राबड़ी देवी टूट पड़ीं. कहने लगीं, 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं का अपमान कर रहे हैं… कुछ लोग नीतीश कुमार के कान भरते हैं, जिसके बाद वो महिलाओं का अपमान करते हैं… ये महिला का लगातार अपमान कर रहे हैं.'
ये वही राबड़ी देवी हैं, जो नीतीश कुमार के बचाव में उस वक्त खड़ी हो गई थीं, जब वो भरी विधानसभा में महिला-पुरुष संबंधों के रात के किस्से सुना रहे थे. तब नीतीश कुमार के एक बयान पर काफी विवाद हुआ था, जिसमें वो कह रहे थे, 'लड़की पढ़ लेगी, तो जब शादी होगा… तब पुरुष रोज रात में करता है ना. उसी में और (बच्चा) पैदा हो जाता है… लड़की अगर पढ़ लेगी तो उसको भीतर मत ... उसको ... कर दो.'
ये उन दिनों की बात है जब नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और राबड़ी देवी ने कहा था गलती से उनके मुंह से ऐसी बात निकल गई होगी. और, तेजस्वी यादव ने इसे नीतीश कुमार की यौन शिक्षा बता डाला था.
लालू यादव की नई रणनीति में राबड़ी का क्या रोल है
नीतीश कुमार के प्रति लालू परिवार के रुख में कुछ दिनों से बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. पहले पूरा परिवार एक साथ पलटू-कुमार बोलकर धावा बोल देता था, लेकिन अब परिवार का हर सदस्य अलग अलग बयान दे रहा है.
1. तेजस्वी यादव शुरू में तो बड़ा ही नरम रुख दिखाते थे, लेकिन धीरे धीरे उनका रवैया बदल रहा है. राजनीतिक तौर पर ऐसा बदलाव जरूरी भी है. आखिर जिसके खिलाफ चुनाव लड़ना है, उसके साथ कब तक नरमी से पेश आया जा सकता है.
तेजस्वी यादव निजी हमलों से तो अब भी बचने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार की सेहत पर बहाने से सवाल जरूर उठाते हैं. कहते हैं, वो अपने मंत्रियों और अफसरों से घिरे रहते हैं - और ये भी दावा करते हैं कि सरकार पर उनका नियंत्रण नहीं है. लेकिन लहजा ज्यादा आक्रामक नहीं लगता.
2. लालू यादव तो अब भी भाई की तरह पेश आते हैं. बात आती है तो बता भी देते हैं कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं.
3. राबड़ी देवी कहीं ज्यादा आक्रामक नजर आती हैं. वो आरक्षण की डिमांड तो करती ही हैं, आरजेडी विधायकों के साथ कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाती हैं. राष्ट्रगान के वक्त हुई घटना को लेकर सेहत पर भी सवाल उठाती हैं, और तंज कसते हुए बेटे निशांत कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बना देने की सलाह भी देती हैं.
राबड़ी देवी ने एक नया मुद्दा तलाश लिया है. महिलाओं की स्थिति का. महिलाएं, असल में, नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ा वोट बैंक हैं, जिनके बूते वो सत्ता में आसानी से वापसी करते आ रहे हैं.
देखा जाये तो राबड़ी देवी महिलाओं का मुद्दा उठाने में लालू और तेजस्वी से भी ज्यादा असरदार साबित हो रही हैं. महिलाओं की स्थिति की बात कर एक तरीके से वो नीतीश कुमार की तरफ से जंगलराज बोल कर किये जाने वाले हमले की धार कमजोर कर दे रही हैं.
राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर भी लगा है. ये पोस्टर तो एक पूर्व जिला पार्षद की तरफ से लगाया गया है, लेकिन बातें बहुत बड़ी बड़ी लिखी गई हैं. संजू कोहली ने अपने नाम के आगे राजद नेत्री लिखा है.
पोस्टर पर लिखा है, ‘नायक नहीं खलनायक हूं मैं… हां, मैंने किया है महिलाओं का अपमान… गांधी जी का किया है अपमान… अब हो गया है राष्ट्रगान का अपमान.
क्या लालू यादव ने जंगलराज के नाम पर हमलों को न्यूट्रलाइज करने का कारगर उपाय खोज लिया है? क्या नीतीश कुमार और बीजेपी इस बात को समझ रहे हैं?