क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल के बाद ट्रेंड कर रहा 'पनौती' चुनावी राजनीति में भी दाखिल हो चुका है. 2023 के क्रिकेट वर्ल्ड कप विधानसभा चुनावों से पहले से चल रहा था, चुनाव नतीजे आने से पहले ही खत्म भी हो गया. जिस दिन अहमदाबाद में वर्ल्ड कप का फाइनल मैच चल रहा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान में चुनाव प्रचार कर रहे थे. बाद में, मैच खत्म होने से पहले वो नरेंद्र मोदी स्टेडियम भी पहुंचे.
फाइनल मैच को लेकर पूरे देश में जोश हाई था, लेकिन भारत मैच हार गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयी कैप्टन को कप दिया और सीधे ग्रीन रूम पहुंच गये जहां पूरा माहौल गमगीन था. तस्वीरें सामने आयीं तो खिलाड़ियों को गले लगाकर प्रधानमंत्री मोदी को वैसे ही ढाढ़स बंधाते देखा गया जैसे चंद्रयान मिशन 2 फेल हो जाने के बाद वो सिसकते इसरो के प्रमुख के. सिवन को चुप करा रहे थे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री मोदी का स्टेडियम पहुंचना और फिर खिलाड़ियों के ग्रीन रूम में घुस जाना बेहद नागवार गुजरा है - तभी तो वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की हार के लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार बताते हुए राहुल गांधी ने बता रहे हैं, 'PM का मतलब पनौती मोदी.'
राहुल गांधी ने मोदी को 'पनौती' क्यों बोला?
हर जगह की तरह राजस्थान की एक रैली में राहुल गांधी सत्ता में आने पर कांग्रेस के जातिगत जनगणना के वादे को दोहरा रहे थे, और तभी अचानक वर्ल्ड कप की तरफ शिफ्ट हो गये. राहुल गांधी अपने उस बयान की याद दिला रहे थे कि जब मोदी मानते ही नहीं, और गरीबी को ही सबसे बड़ी जाति बताते हैं, तो वो खुद ओबीसी कैसे हुए?
राहुल गांधी बाड़मेर की बायतु रैली में भाषण दे रहे थे. कह रहे थे, पहले अपने हर भाषण में नरेंद्र मोदी आते थे... और बताते थे... 'मैं ओबीसी हूं'... याद है? ये सुनते ही भीड़ में से कुछ लोग 'पनौती-पनैती' कह कर शोर मचाने लगे. जाहिर है कांग्रेस समर्थक ही होंगे, जो सोशल मीडिया के ट्रेंड वाले अंदाज में रिएक्ट कर रहे होंगे.
रैली में आये लोगों के मुंह से पनौती पनौती सुन कर राहुल गांधी भी कहने लगे, "हां क्या... पनौती पनौती... अच्छा भला वहां पर हमारे लड़के वर्ल्ड कप जीत जाते... पनौती हरवा दिया. टीवी वाले ये नहीं कहेंगे, लेकिन जनता जानती है."
राहुल के ये कहते ही रैली में मौजूद कुछ लोग पीएम मोदी के लिए बोलते हैं 'पनौती-पनौती'.
उनके ऐसा कहने पर राहुल गांधी भी कहते हैं...
"हां क्या, पनौती-पनौती... अच्छा भला वहां (फाइनल) पर हमारे लड़के वर्ल्ड कप जीत जाते, (लेकिन) पनौती हरवा दिया. टीवी वाले ये नहीं कहेंगे, लेकिन जनता जानती है."
और फिर राहुल गांधी कहते हैं, "PM मतलब पनौती मोदी"
पनौती 😉 pic.twitter.com/kVTgt0ZCTs
— Congress (@INCIndia) November 21, 2023
Mr @RahulGandhi :
— Supriya Bhardwaj (@Supriya23bh) November 21, 2023
टीवी पे आता है, कभी cricket matchमें चले जाएँगे
वो अलग बात है हरवा दिया - पनौती
PM मतलब #Panauti Modi #Rajasthan pic.twitter.com/Xz6uHNKFUK
क्या राहुल गांधी मध्य प्रदेश चुनाव कैंपेन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में अपने लिए 'मूर्खों के सरदार' सुन कर गुस्से में थे? 'पप्पू' शब्द की परवाह करना तो वो पहले ही छोड़ चुके थे, फिर ऐसा क्या हुआ कि 'मूर्खों के सरदार' को राहुल गांधी ने दिल पर ले लिया?
राहुल गांधी भी तो मध्य प्रदेश के लोगों को बीजेपी के स्लोगन वोकल फॉर लोकल वाली बात ही समझा रहे थे. मेड इन मध्य प्रदेश समझाते समझाते वो मेड इन चाइना मोबाइल का जिक्र करने लगे थे. लेकिन ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी.
राहुल गांधी की कम जानकारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी लोगों को बता रहे थे कि देश में कितने मोबाइल बन रहे हैं, लेकिन उनका नाम लेने की जगह मोदी ने उनको 'मूर्खों के सरदार' कह कर संबोधित कर दिया था.
तो क्या राहुल गांधी का यही गुस्सा फूट पड़ा और वो राजस्थान चुनाव के लिए प्रचार के दौरान बाड़मेर की बायतु रैली में प्रधानमंत्री मोदी को 'पनौती' बता डाले?
कभी कभी राहुल गांधी के स्टैंड को लेकर हैरानी भी होती है. ये वही राहुल गांधी हैं जो 2017 के गुजरात चुनाव के दौरान जब कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'नीच आदमी' बोल दिया था तो माफी मंगवा कर ही चैन लिये थे. मणिशंकर अय्यर के खिलाफ कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की.
तब तो राहुल गांधी समझा रहे थे कि वो हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री हैं. तब तो वो हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री पद की गरिमा का हवाला दे रहे थे. तब तो वो हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री पद की गरिमा का नाम लेकर कांग्रेस का चुनावी कैंपेन 'विकास गांडो थायो छे' तक बंद करा दिया था. असल में, कांग्रेस के कैंपेन को काउंटर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बोल दिया था, 'हुं छु गुजरात, हुं छु विकास.'
'सारे मोदी चोर क्यों होते हैं' बोल कर मोदी सरनेम पर टिप्पणी के लिए राहुल गांधी को दो साल की सजा हुई थी, जिसके पास उनकी लोक सभा की सदस्यता चली गयी थी. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गयी.
'मौत का सौदागर' से 'पनौती' तक - और चुनावों में ऐसे बयानों का असर
टीम इंडिया के क्रिकेट मैच हारने के बाद आरजेडी नेता और बिहार की नीतीश कुमार सरकार में मंत्री सुरेंद्र राम ने फाइनल में भारत की हार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बता डाला था - और राजस्थान के आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल ने तो मोदी को हार का जेनरेटर तक बता डाला. हनुमान बेनीवाल पहले एनडीए में बीजेपी के साथ हुआ करते थे, लेकिन किसानों के मुद्दे पर अलग हो गये थे.
उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के सांसद संजय राउत भी हार के लिए मोदी को जिम्मेदार बताने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तरीका अलग था. संजय राउत का आरोप है कि सरदार वल्लभभाई स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम बना दिया गया ताकि वहां वर्ल्ड कप जीतें तो ये संदेश जाये कि स्टेडियम में मोदी थे इसलिए विश्व कप जीता है. वैसे वो ये भी समझा रहे थे कि अगर फाइनल मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम या कोलकाता के ईडन गार्डन में होता तो भारत क्रिकेट का विश्वविजेता बन सकता था.
ये तो हुई हार के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराने की बातें. गुजरात चुनाव के दौरान एक बार तो कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर तक कह दिया था. सोनिया गांधी ने मोदी के लिए ऐसा 2002 के गुजरात दंगों को लेकर कहा था - ध्यान देने वाली बात है कि कांग्रेस वो चुनाव हार गयी थी. ये 2007 की बात है.
ऐसे ही 2014 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को लेकर चाय पिलाने की बात कर दी - और मोदी के खुद को चायवाला बताते ही लोग दिल खोल कर अपने वोट उंड़ेल दिये. ऐसी ही बात 2019 के आम चुनाव में देखने को मिली. राहुल गांधी पूरे चुनाव एक नारा लगाते रहे - 'चौकीदार चोर है.' राहुल गांधी के नारे को काउंटर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम के पहले सोशल मीडिया पर चौकीदार शब्द जोड़ दिया - और चुनाव जीतने के बाद ही हटाया. हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
निजी हमले का घातक नतीजा और चुनावों में भी देखने को मिला है. 2015 के बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'डीएनए में खोट' बताना बहुत भारी पड़ा था - मोदी शाह की तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था. और उससे ठीक पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी AAP नेता अरविंद केजरीवाल के गोत्र पर सवाल उठाने की वजह से बीजेपी को शिकस्त झेलनी पड़ी थी.
मौजूदा विधानसभा चुनाव की बात करें तो चुनावों में सिर्फ एक पॉजिटिव शब्द सुनाई पड़ा है - पांडव. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी-शिवराज के साथ साथ जांच एजेंसियों को जोड़ते हुए बीजेपी की पांडवों से तुलना कर दी. लेकिन फौरन ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को कौरव बताना शुरू कर दिया. साथ ही, उसी क्रम में धृतराष्ट्र शब्द का भी इस्तेमाल हो चुका है.
मध्य प्रदेश चुनाव में ही प्रियंका गांधी वाड्रा मामा के नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान को कंस मामा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार तक कह चुकी हैं - और सलमान खान की फिल्म तेरे नाम की तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी को 'मेरे नाम' फिल्म बनवाने की सलाह दे चुकी हैं.
देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में अब बस आखिरी दो दौर की वोटिंग बाकी है. 25 नवंबर को राजस्थान में, और 30 नवंबर को तेलंगाना में. और 3 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद नतीजे आने की उम्मीद है - देखना है, 'PM का मतलब पनौती मोदी' का असर 'चौकीदार चोर है' जैसा होता है या अलग?