scorecardresearch
 

किसानों के मामले में क्यों चूक जाते हैं राहुल गांधी और कांग्रेस?

किसानों का मामला बीजेपी (BJP) के लिए अब भी कमजोर कड़ी बना हुआ है. और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा मौका. लेकिन कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा रही. न्याय यात्रा में पश्चिम यूपी से परहेज राहुल गांधी का वैसा ही रवैया है जो 2022 के चुनाव से पहले पंजाब में दिखा था - MSP गारंटी से किसान कांग्रेस के हो पाएंगे?

Advertisement
X
किसानों के साथ खड़े होकर राहुल गांधी कांग्रेस को फिर से ऊपर उठा सकते हैं.
किसानों के साथ खड़े होकर राहुल गांधी कांग्रेस को फिर से ऊपर उठा सकते हैं.

किसानों का हुजूम एक बार फिर दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच चुका है, और दिल्ली में दाखिल होने के लिए अड़े हुए हैं. किसानों और पुलिस के बीच नये सिरे से संघर्ष शुरू हो गया है. बीजेपी सरकार के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर कांग्रेस नेतृत्व की भी नजर बनी हुई है. 

Advertisement

पुलिस लगातार किसानों को रोकने और वापस भेजने की कोशिश में लगी हुई है. रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं. हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं. ऐसे में किसानों के सपोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोशल मीडिया साइट X के जरिये समर्थन तो जताया ही है, न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को लेकर कांग्रेस की गारंटी की भी घोषणा की है. 

भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी का दावा है, 'न्याय के पथ पर यह कांग्रेस की पहली गारंटी है.'

किसानों के पिछले आंदोलन के दौरान भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खासे एक्टिव दिखे थे. किसानों के आंदोलन का समर्थन भी किया, और विरोध में सड़क पर उतर कर प्रदर्शन भी किया. कांग्रेस के कुछ नेता जंतर मंतर पर कई दिनों तक धरने पर भी बैठे, लेकिन बीजेपी के बुरी तरह फंस जाने के बाद भी पार्टी राजनीतिक फायदा नहीं उठा सकी. 

Advertisement

संयुक्त किसान मोर्चा ने, इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें अपनी मांगे दोहराने के साथ साथ केंद्र की बीजेपी सरकार को उनके मसले सुलझाने में नाकाम बताया है - और 16 को फरवरी प्रस्तावित किसानों की क्षेत्रीय को लेकर आगाह भी किया है. 

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने राहुल गांधी के लिए भी मैसेज छोड़ा है, ये लिख कर कि उनकी मांग सिर्फ MSP को कानूनी मान्यता देने तक ही सीमित नहीं है.

कांग्रेस के लिए किसानों के आंदोलन में मौका क्यों

जहां कहीं भी बीजेपी परेशान हो, कांग्रेस के लिए मौका ही मौका होता है. जिस किसी भी मुद्दे पर बीजेपी फंसी हुई महसूस कर रही हो, कांग्रेस के लिए मौका ही मौका होता है - लेकिन कांग्रेस बार बार ऐसे मौकों का फायदा उठाने से चूक जाती है. 

ऐसे किसी भी मुद्दे को सपोर्ट करके या अपनी तरफ से कोई पहल भर करके उसका राजनीतिक फायदा नहीं उठाया जा सकता. कुछ ऐसे मुद्दे भी होते हैं, जो मुख्य मुद्दे से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भी जुड़े होते हैं - और राजनीतिक रूप से दुरूस्त फैसले तभी लिये जा सकते हैं, जब छोटी-छोटी चीजों पर भी गौर किया जाये. 

Advertisement

अब इससे बड़ी मुश्किल क्या होगी कि देश की एक मजबूत सरकार को और उसके बेहद सख्त प्रधानमंत्री को किसानों के दबाव में अपने ही लाये कानून वापस लेने को मजबूर होना पड़े. प्रधानमंत्री को लोगों के बीच पहुंचकर ये बोलना पड़े कि तपस्या में ही कोई कमी रह गई. 

अपनी कृषि नीति के मामले में बीजेपी को ये कदम तब पीछे खींचने पड़े थे, जब सिर पर यूपी सहित पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव आ खड़े हुए थे - और करीब करीब वैसे ही माहौल की शुरुआत एक बार फिर बन गई है, जब 2024 के लोक सभा का चुनाव नजदीक आ गया है. 

कांग्रेस के लिए तब भी मौका था, और कांग्रेस के लिए अब भी मौका है - लेकिन राहुल गांधी सब कुछ वैसे ही हल्के में ले रहे हैं जैसे पहले लिये थे. 

कांग्रेस ने पंजाब की सत्ता गंवा कर भी कुछ नहीं सीखा. कैप्टन अमरिंदर सिंह तब कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री हुआ करते थे जब पिछले किसान आंदोलन की पंजाब में सुगबुगाहट शुरू हुई थी. कांग्रेस नेतृत्व को कैप्टन से चिढ़ हो गई थी, और वैसे भी ये तो नेतृत्व का अधिकार होता है कि पार्टी को कैसे चलाया जाये, और किसे क्या जिम्मेदारी दी जाएगी. 

Advertisement

कांग्रेस ने कैप्टन से निजात तो पा ली, लेकिन वो सब गंवा दिया जो कैप्टन ने कांग्रेस की झोली में डाले थे - और फिर पंजाब में ऐसे ऐसे प्रयोग किये गये कि लगा जैसे कांग्रेस ने थाली में सजा कर सत्ता आम आदमी पार्टी को सौंप दी हो. 

भारत जोड़ो यात्रा लेकर यूपी पहुंच रहे राहुल गांधी एक बार फिर वैसी ही गलती कर रहे हैं, पश्चिम यूपी में न्याय यात्रा से परहेज करके. राहुल गांधी को तो यूपी में न्याय यात्रा के वक्त में कटौती की जगह बढ़ा देना चाहिये था. और मध्य प्रदेश या इधर उधर की जगह हरियाणा और पंजाब में अरविंद केजरीवाल वाली स्टाइल में खूंटा गाड़ कर बैठ जाना चाहिये था. 

मोदी सरकार के चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की वजह सिर्फ जयंत चौधरी को INDIA ब्लॉक से उठा कर एनडीए में कर लेना भर थोड़े ही है, और राहुल गांधी हैं कि पश्चिम यूपी को वैसे ही छोड़ दिया है, जैसे 2019 की हार के बाद अमेठी को ही अलविदा कर दिये - अरे... राजनीति ऐसे मुंह फुला लेने से थोड़े ही चलती है. ये तो खुली प्रतियोगिता है. वोट के लिए तो लोगों के बीच जाना ही पड़ेगा. 

Advertisement

सिर्फ MSP नहीं, किसानों की मांगें और भी हैं

अपनी पोस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लि्खा है, किसान भाइयों आज ऐतिहासिक दिन है! कांग्रेस ने हर किसान को फसल पर स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार MSP की कानूनी गारंटी देने का फैसला लिया है... यह कदम 15 करोड़ किसान परिवारों की समृद्धि सुनिश्चित कर उनका जीवन बदल देगा... न्याय के पथ पर यह कांग्रेस की पहली गारंटी है.

अच्छी बात है. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने किसानों को कानूनी मदद मुहैया कराने का भी वादा किया है. बहुत अच्छी बात है. सोशल मीडिया पर ये वादा कांग्रेस की तरफ से किया गया लगता है, लेकिन राहुल गांधी के भाषण में कांग्रेस की जगह INDIA ब्लॉक की सरकार की तरफ से सुना जा सकता है. 

राहुल गांधी ने एक अन्य पोस्ट में न्याय दिलाने वाली कांग्रेस (या INDIA ब्लॉक, जिसकी भी हो) की गारंटी के फायदे भी समझाया है. बताया है कि कैसे राहुल गांदी की MSP पर कानूनी गारंटी किसानों के जीवन में तीन बड़े बदलाव लाएगी.

जिन बदलावों के बारे में बताया गया है, वे हैं - फसल के सही दाम मिलने से किसान कर्ज की मुसीबत से छुटकारा पा जाएगा... कोई भी किसान आत्महत्या को मजबूर नहीं होगा... खेती मुनाफे का व्यवसाय होगा और किसान समृद्ध बनेगा... और समृद्ध किसान देश की तकदीर बदल देगा.

Advertisement

देखा जाये तो राहुल गांधी का ये वादा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत का सपना पूरा होने जैसा ही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी तो भारत को दुनिया में नंबर 1 बनाने का वादा कर रही रखा है. 

अगर राहुल गांधी को ये मालूम है कि न्याय के पथ पर कांग्रेस की गारंटी किसानों का जीवन बदल सकती है. अगर राहुल गांधी को ये भी मालूम है कि बस एक गारंटी से किसान आत्महत्या नहीं करेगा - और किसानों की समृद्धि देश की तकदीर बदल सकती है, तो दूर से ही बीरबल की खिचड़ी क्यों पका रहे हैं? 

अपनी जानी दुश्मन बीजेपी से वैसे ही क्यों नहीं पेश आते जैसा सलूक उनके साथ होता है. निश्चित तौर पर राहुल गांधी और उनके सलाहकारों को भी मालूम होगा ही कि किसानों के मामले में दूध की जली बीजेपी अब भी फूंक फूंक कर छाछ पी रही है.

किसानों ने तो प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में भी साफ कर दिया है, ...मांग एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी तो है ही, साथ-साथ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 बहाल करने - और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी है.

Advertisement

राहुल गांधी का साथ जयंत चौधरी ने छोड़ा है, नीतीश कुमार ने छोड़ा है, ममता बनर्जी ने छोड़ा है और अरविंद केजरीवाल छोड़ने वाले हैं - किसानों ने ऐसा कुछ नहीं किया है. अब भी मौका है, लेकिन फिर से चूके तो क्या कहा जाये. आने वाले लोक सभा चुनाव के संभावित नतीजे समझ पाने में मुश्किल तो शायद ही किसी को हो रही हो. 

अगर किसानों को राहुल गांधी की बातों में गंभीरता नहीं नजर आई तो MSP की गारंटी का हाल भी वैसा ही होगा, जैसा जातीय जनगणना के वादे का बीते विधानसभा चुनावों में देखने को मिला था. 

Live TV

Advertisement
Advertisement