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आतिशी पर रमेश बिधूड़ी की बार बार टिप्पणी के पीछे क्या कोई रणनीति है? कोई रोकता क्‍यों नहीं?

चुनाव आयोग भी रमेश बिधूड़ी की टिप्पणियों पर सख्त ऐतराज जता चुका है, लेकिन उनको फर्क नहीं पड़ रहा है. क्या रमेश बिधूड़ी बेलगाम हो चुके हैं, और बीजेपी का कोई वश नहीं रह गया है - या फिर, बीजेपी को भी फायदेमंद लग रहा है?

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रमेश बिधूड़ी बेकाबू हो गये हैं, या बीजेपी को उनके बयानों से फायदा मिल रहा है?
रमेश बिधूड़ी बेकाबू हो गये हैं, या बीजेपी को उनके बयानों से फायदा मिल रहा है?

रमेश बिधूड़ी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं, और इससे कई बातें साफ हो चुकी हैं. पहली बात तो यही कि अब वो कालकाजी सीट से ही चुनाव लड़ेंगे, और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ उम्मीदवार बदलने का बीजेपी नेतृत्व का कोई इरादा नहीं है. और अब ये बात भी मान ही लेनी चाहिये कि बीजेपी को रमेश बिधूड़ी के विवादित बयानों से कोई दिक्कत नहीं हो रही है - और इसके भी खास मायने हो सकते हैं. 

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लगे हाथ ये भी साफ हो गया है कि बीजेपी की तरफ से किसी तरह की मनाही न होने से रमेश बिधूड़ी का हौसला और भी बढ़ा ही होगा. आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी की नई टिप्पणी भी यही बता रही है.  

हैरानी की बात ये है कि चुनाव आयोग की चेतावनी के बाद भी रमेश बिधूड़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है - और ये सवाल ये भी है कि चुनाव आयोग रमेश बिधूड़ी के खिलाफ इसे लेकर कोई एक्शन लेगा क्या?

नया क्या कहा है रमेश बिधूड़ी ने

दिल्ली की एक रैली में रमेश बिधूड़ी ने कहा है, ‘दिल्ली की जनता नरक भोग रही है… गलियों की हालत देखिये कभी, आतिशी लोगों से मिलने नहीं गईं… लेकिन अब चुनाव के समय… जैसे जंगल में हिरणी भागती है, वैसे आतिशी दिल्ली की सड़कों पर हिरणी जैसी घूम रही हैं… अगर कोई महिला दिखती है, तो ऐसे मिलती हैं… जैसे कुंभ में बिछड़ी कोई बहन मिल गई हो.’

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रमेश बिधूड़ी के बयान पर आम आदमी पार्टी की तरफ से स्वाभाविक प्रतिक्रिया आई है. सोशल मीडिया के जरिये रिएक्ट करते हुए आम आदमी पार्टी ने लिखा है, गालीबाज पार्टी के नेता रमेश बिधूड़ी ने फिर दिखाई अपनी महिला विरोधी सोच… दिल्लीवाले ऐसे गालीबाज नेता और पार्टी को माफ नहीं करेंगे.

हाल ही में रमेश बिधूड़ी ने आतिशी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी विवादित टिप्पणी की थी. रमेश बिधूड़ी ने आतिशी के नाम को लेकर कहा था कि ‘बाप बदल लिया’, और प्रियंका गांधी के बारे में लालू यादव के बयान का हवाला देते हुए हेमा मालिनी के गालों जैसी सड़क का उदाहरण दिया था. 

बवाल मचने पर रमेश बिधूड़ी ने सोशल मीडिया पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली प्रभारी बैजयंत पांडा और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को टैग करते हुए राजनीतिक लहजे में अफसोस भी जताया था. 

एक प्रेस कांफ्रेंस में रमेश बिधूड़ी का जिक्र करते हुए आतिशी रो पड़ी थीं. आतिशी का कहना था कि बीजेपी नेता ने उनके बीमार पिता को भी नहीं बख्शा.  

आतिशी को लेकर, इस बीच, रमेश बिधूड़ी ने दावा किया है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री आतिशी को निपटाना चाहते हैं. 

एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में रमेश बिधूड़ी ने दावा किया कि आतिशी अपनी हार को देखते हुए कालकाजी से चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी… वो बेचारी जंगपुरा जाना चाहती थीं, लेकिन वहां मनीषजी कूद गये… फिर संगम विहार से चुनाव लड़ना चाहती थीं… बहुत मन था उनका… उनके कार्यकर्ता बता रहे थे, लेकिन केजरीवाल ने उनको फंसा दिया… मुझे लगता है कि केजरीवाल साहब उन्हें निपटाना चाहते हैं… बेचारी को यहां फंसा दिया.

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संगम विहार के भरोसेमंद कार्यकर्ताओं का हवाला देते हुए रमेश बिधूड़ी ने एक और भी दावा किया कि आतिशी वहां से चुनाव लड़ने जा रही थीं, और दिनेश मोहनिया की टिकट कटने वाला था. लेकिन, केजरीवाल का खास होने के कारण मोहनिया का कुछ नहीं बिगड़ा और आतिशी मन मसोस कर रह गईं.

रमेश बिधूड़ी किसके बल पर उछल रहे हैं

दानिश अली के खिलाफ संसद में रमेश बिधूड़ी के बयान के बाद राजस्थान विधानसभा चुनाव में टोंक भेज दिया गया था. लोकसभा चुनाव हुए तो टिकट काट दिया गया, लेकिन अब वो फिर से फॉर्म में लौट चुके हैं. 

दिल्ली चुनाव की घोषणा के वक्त चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस में रमेश बिधूड़ी को लेकर भी सवाल पूछा गया था. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने रमेश बिधूड़ी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कहा कि चुनाव आयोग ये सुनिश्चित करेगा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान महिलाओं के खिलाफ कोई टिप्पणी न की जाये… महिलाओं के खिलाफ कोई भी टिप्पणी नहीं की जानी चाहिये… हमने बहुत सख्त दिशा-निर्देश जारी किये हैं… हम इसकी निंदा करते हैं, लेकिन केवल तभी जब आदर्श आचार संहिता लागू हो.

चुनाव आयुक्त का कहना था, एक तरफ हम अधिक से अधिक महिलाओं को मतदान केंद्र तक लाने का प्रयास कर रहे हैं… अगर आप माताओं और बहनों के बारे में इस तरह की बात करते हैं, तो ये शर्मनाक है.

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रमेश बिधूड़ी ने जब पहली बार आतिशी पर कमेंट किया था, तब इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कालकाजी विधानसभा सीट से कैंडिडेट बदला जा सकता है. बीजेपी नेताओं से बातचीत में ये भी पाया गया था कि रमेश बिधूड़ी की जगह किसी महिला नेता को आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़ाया जा सकता है - लेकिन, कार्यकर्ताओं में से ही किसी ने ये भी कहा था कि ऐसी बातें चल जरूर रही हैं, लेकिन ऐसा कुछ होने की संभावना कम ही है. 

रमेश बिधूड़ी के नामांकन के बाद तो उस कार्यकर्ता की बात सही हो गई है - लेकिन सवाल है कि क्या रमेश बिधूड़ी को बीजेपी में कोई रोकने वाला नहीं है?

रमेश बिधूड़ी के बयान से बीजेपी को फायदा मिल रहा है क्या

रमेश बिधूड़ी शुरू से ही संघ से जुड़े हुए हैं. बताते हैं, अब भी नजदीकी शाखा में अक्सर उनको देखा जाता है. छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़े रहे, और विधायक के साथ साथ दो बार सांसद भी रह चुके हैं - और सबसे बड़ी बात समर्थकों का मजबूत सपोर्ट बेस भी है. 

जिस बीजेपी में बड़े बड़े नेताओंं को विवादों के बाद किनारे लगा दिया गया, वहां रमेश बिधूड़ी का कोई कुछ क्यों नहीं बिगाड़ पा रहा है. लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे कई दिग्गज नाम बीजेपी में उदाहरण हैं. 

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ये सब तो तभी हो सकता है, जब बीजेपी को फायदा मिल रहा हो, या फिर नेतृत्व मजबूर हो. जैसे 75 साल पार करने के बाद भी कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा काफी दिनों तक मुख्यमंत्री बने रहे. 

रमेश बिधूड़ी के बयानों से क्या बीजेपी को कोई फायदा मिल रहा होगा? और कुछ नहीं तो रमेश बिधूड़ी के बयान बीजेपी के खिलाफ चल रही खबरों और नैरेटिव पर विराम तो लगा ही देते हैं.  

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